
9th Day of Navratri Maa Siddhadatri: नवरात्रि की नवमी तिथि को मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की जाती है। सिद्धिदात्री मां दुर्गा का नौवां व अंतिम रूप है। मां अपने भक्तों को विभिन्न प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती हैं, इसलिए इन्हें सिद्धिदात्री कहा जाता है जिसका अर्थ होता है सिद्धियो को देने वाली। मां सिद्धिदात्री भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है और उन्हें यश बल और धन प्रदान करती हैं।
मां सिद्धिदात्री को मोक्ष और सिद्धियो की देवी माना गया है। मां सिद्धिदात्री के पास अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईर्शित्व और वशित्व इस प्रकार आठ सिद्धियां होती हैं। मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मांड की रचना प्रारंभ हुई तब भगवान शिवजी ने सिद्धिदात्री की आराधना करके ही आठ सिद्धियां को प्राप्त किया। भगवान शिव को आठों सिद्धियां प्रदान करने के बाद भगवान शिव का शरीर देवी का हो गया इसलिए उन्हें अर्धनारीश्वर भी कहा जाता है।
मां सिद्धिदात्री मां लक्ष्मी के समान कमल पर विराजमान होती हैं मां की चार भुजाएं हैं। उनके चारो हाथो में मां ने शंख, गदा, कमल का फूल,और चक्र धारण किया हुआ है। मां सिद्धिदात्री को सरस्वती का रूप भी मानते हैं इसलिए इनकी आराधना करने से यश और बुद्धि मिलती है। इनकी उपासना करने से उपासक को सभी सुखों की प्राप्ति होती है और उसे मोक्ष मिलता है। इनकी उपासना से साधक को ज्ञान, शक्ति, सुख–समृद्धि, यश ,बुद्धि धन–वैभव सभी प्रकार के सारे सुख प्राप्त होते है।
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2025 में नवमी तिथि व पूजन मुहूर्त
2025 में नवरात्रि का नौवां दिन 1 अक्टूबर 2025 बुधवार को मनाया जाएगा। नवमी तिथि का प्रारंभ 30 सितंबर 2025 को रात्रि 8:57 से 1 अक्टूबर 2025 की रात्रि 5:53 बजे तक रहेगा। पूजा का श्रेष्ठ समय प्रातकाल रहेगा। इसलिए 1 अक्टूबर की सुबह 04:37 से 05:26 तक का समय पूजा के लिए शुभ माना जाएगा। इस समय पर मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करना अत्यंत शुभ फलदाई होता है।
मां सिद्धिदात्री का प्रिय भोग
मां सिद्धिदात्री को हलवा–पूरी, नारियल, चना, खीर इत्यादि का भोग लगाना चाहिए। यह मां को अत्यंत प्रिय होता है। केले, मिठाईयां और पंचामृत का भोग मां को अवश्य लगाना चाहिए। इससे मां प्रसन्न होकर साधक को रोग मुक्त और सुख समृद्धि का आशीर्वाद देती है।
नवमी तिथि का शुभ रंग
मां सिद्धिदात्री को गुलाबी (Pink) रंग अत्यंत प्रिय होता है। गुलाबी रंग प्रेम और अनुराग का रंग है। यह रंग हमारी वाइब्रेशंस को नरम बनता है और हमारे सहस्त्रार चक्र को मजबूत करता है। इस दिन साधक को गुलाबी रंग अवश्य पहनना चाहिए।
नवमी की रात्रि साधना का महत्व
नवरात्रि की नवमी तिथि पर साधक को नारंगी वस्त्र पहनकर घी का दीपक जलाकर ॐ मां सिद्धदात्र्यै नमः का 108 बार जब करना चाहिए। इस प्रकार की साधना साधक को दिव्य दृष्टि,आत्मज्ञान और कठिन से कठिन कार्यों में सफलता प्रदान करती है। इस दिन हवन, कन्या पूजन, गरीबों को दान,और महाप्रसाद का आयोजन करके मां को प्रसन्न किया जाता है इस प्रकार करने से मां प्रसन्न होकर साधक को आशीर्वाद प्रदान करती है।
नवमी तिथि पर मां को प्रसन्न करने के उपाय
- नवमी तिथि की सुबह स्नान कर के स्वच्छ वस्त्र पहनकर माता का ध्यान करना चाहिए।
- इस दिन मां को तिल और नारियल का भोग अवश्य अर्पण करें।
- कन्याओं को भोजन कराकर और उन्हें उपहार देखकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।
- ब्राह्मणों को और गरीबों को दान दक्षिणा देनी चाहिए।
- इस दिन गाय को गुड और रोटी खिलाना और अन्न का दान करने से साधक के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
इस प्रकार नवमी तिथि के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्तों को दिव्य शक्तियां प्राप्त होती हैं। मां सिद्धिदात्री अर्धनारीश्वर का रूप होता है इसलिए यदि मां सिद्धिदात्री प्रसन्न होती है तो शिवजी भी प्रसन्न होते हैं मां और शिवजी प्रसन्न होकर भक्तो को बुद्धि ,धन, वैभव, समृद्धि,सुख–शांति और मोक्ष प्रदान करते हैं।
FAQ- 9th Day of Navratri Maa Siddhadatri
रामनवमी और दुर्गा नवमी में क्या अंतर है?
रामनवमी चैत्र महीने में मनाई जाती है जो भगवान राम के जन्म के अवसर के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भगवान राम की पूजा होती है। वहीं शादी नवरात्र की नवमी तिथि मां दुर्गा को समर्पित होती है, मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।