
Annakoot 56 Bhog: अन्नकूट जिसे गोवर्धन पूजा भी कहते हैं हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जो दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर मनाया जाने वाला यह त्योहार भगवान कृष्ण की गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा से जुड़ा है। इस दिन भक्त भगवान को अन्नकूट या छप्पन भोग चढ़ाते हैं जिसमें 56 प्रकार के व्यंजन शामिल होते हैं। यह भोग ना केवल भक्ति का प्रतीक है बल्कि जीवन के विविध स्वादों को भगवान के चरणों में अर्पित करने का एक माध्यम भी है। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर छप्पन भोग ही क्यों और प्रत्येक भोग का क्या महत्व है? चलिए इस आर्टिकल में समझे।
अन्नकूट की पौराणिक कथा(Annakoot 56 Bhog Katha)
श्रीमद् भागवत पुराण के अनुसार ब्रज में इंद्रदेव की पूजा के परंपरा थी। लेकिन भगवान कृष्ण ने बृजवासियों को प्रकृति और गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की सलाह दी, जिससे क्रोधित होकर इंद्र ने भारी वर्षा शुरू कर दी। कृष्ण ने बृजवासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया और 7 दिनों तक वर्षा से उनकी रक्षा की। इस दौरान कृष्णा ने कुछ भी नहीं खाया।
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7 दिनों बाद इंद्र की हार हुई और बृजवासियों ने कृष्ण के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए 56 प्रकार के व्यंजन बनाकर भोग लगाया। मान्यता है कि कृष्णा रोज आठ भोग ग्रहण करते थे इसलिए 7 दिनों के उपवास की भरपाई के लिए 7 गुना 8 यानी 56 भोग तैयार किये गए। यह परंपरा आज भी अन्नकूट के रूप में जीवित है जहां अन्नकूट का अर्थ अन्न का पर्वत होता है विभिन्न प्रकार के अन्न और व्यंजनों का ढेर।
क्यों ठीक 56 भोग?
56 भोग की संख्या सहयोग नहीं कल की प्रतीकात्मक है। हिंदू दर्शन में 6 रस माने जाते हैं मीठा, खट्टा, नमकीन, तीखा, कड़वा और कसैला इन रसों से बने भोज्य पदार्थ जीवन के उतार-चढ़ाव का प्रतिनिधित्व करते हैं। छप्पन भोग में यह सभी रस शामिल होते हैं जो भगवान को समर्पित कर भक्त अपने भक्त और समर्पण व्यक्त करता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार यह संख्या कृष्ण की आठ भोगों और 7 दिनों के उपवास से जुड़ी हुई है, जबकि अन्य में इसे 56 प्रकार के देवताओं या जीवन के 56 पहलुओं से जोड़ा जाता है।
56 भोग की सूची और उनका महत्व(Annakoot 56 Bhog List)
56 भोग में दूध से बनी चीजे अनाज सब्जियां मिठाइयां फल और नमकीन शामिल होते हैं। इनका कम भी महत्वपूर्ण है, पहले दूध से बनी चीजे फिर, बेसन से बनी चीजे नमकीन और अंत में फल। चलिए एक सूची के माध्यम से इनके महत्व को समझते हैं:
- 1-8: दूध, दही, घी, शहद, मिश्री, रबड़ी, मलाई, मक्खन
- 9-16: खीर, चावल, दाल, कढ़ी, साग, पूरी, कचौड़ी, पापड़
- 17-24: चटनी, मुरब्बा, अचार, हलवा, लड्डू, जलीबी, मालपुआ, मठरी
- 25-32: पकौड़े, खिचड़ी, शक्करपारा, दाल का हलवा, मोहन भोग, रसगुल्ला, रस मलाई, बालूशाही
- 33-40: घेवर, चीला, दाल बाटी, मालपुड़ा, बैंगन सब्जी, लौकी सब्जी, आलू सब्जी, कुम्हड़ा
- 41-48: परवल, टमाटर चटनी, अदरक, सौंफ, इलायची, सुपारी, पान, केला
- 49-56: सेब, आम, अंगूर, नारियल, काजू, बादाम, किशमिश, पिस्ता
प्रत्येक भोग जीवन के रसों से जुड़ा है। उदाहरण के लिए मीठा व्यंजन खुशी का प्रतीक है जबकि खट्टा चुनौतियों का। कड़वे जीवन की कठिनाइयों को दर्शाते हैं और नमकीन संतुलन बनाते हैं। यह भोग भगवान को समर्पित कर भक्ति खुद को मुक्त महसूस करता है।
अन्नकूट का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
अन्नकूट का महत्व केवल भोजन तक सीमित नहीं बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है क्योंकि गोवर्धन पूजा प्रकृति पूजा है। छप्पन भोग में स्थानीय सामग्री का उपयोग अन्न की कदर सिखाता है। कुछ मंदिरों जैसे इस्कॉन या जगन्नाथ पुरी में यह भोग हजारों भक्तों को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है जो एकता का प्रतीक है। यदि अन्नकूट के दिन आप 56 भोग ना बना सकें तो कम से कम 8 या 16 व्यंजन जरुर चढ़ाएं क्योंकि भावना महत्वपूर्ण है।
कुल मिलाकर अन्नकूट भक्ति कृतज्ञ और जीवन के संतुलन का उत्सव है यह हमें सिखाता है कि भगवान को समर्पित कर हम जीवन के सभी रसों को आनंद से जी सकते हैं। इस त्यौहार पर अपने घर में भोग लगाकर कृष्ण की लीला का स्मरण करें।
FAQ- Annakoot 56 Bhog
56 प्रकार के भोग में क्या-क्या आता है?
अन्नकूट पर 56 प्रकार के भोग बनाने की परंपराएं हैं जिसमें आठ तरह के दूध से बने व्यंजन व्यंजन कड़वे व्यंजन और नमकीन व्यंजन बनाने की परंपरा है।
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