
Bhagwan Shiva Ke Guna: सनातन धर्म में भगवान शिव को सिर्फ एक देवता नहीं माना गया है, बल्कि उन्हें एक देवता से बढ़कर एक योगी माना गया है उनका नाम भी है आदियोगी। जहां एक तरफ तो शिव को संहारक के रूप में जाना जाता है वहीं उन्हें ध्यान मार्ग योगी भी माना जाता है। भगवान शिव ज्यादा से ज्यादा समय ध्यान में ही बिताते हैं। जहां उनके गुस्से के प्रकोप से बड़े-बड़े डरते हैं वहीं उनकी दयालुता के भी बड़े चर्चे हैं और उनकी दयालुता की वजह से उनका नाम भोले भी पड़ गया है।
भगवान शिव विरोधाभास का संपूर्ण उदाहरण पेश करते हैं और उसके जरिए हमें बहुत कुछ समझाना चाहते हैं। उनके इन विरोधाभासी गुणों में जीवन के गहरे सूत्र छुपे हुए हैं जिन्हें अपनाकर मनुष्य का जीवन अध्यात्म और संतुलन से मोक्ष की तरफ जा सकता है। इस लेख में हम भगवान शिव के उन पांच गुणों के बारे में जानेंगे जिन्हें हर व्यक्ति को अपने जीवन में अपनाना ही चाहिए-
और पढ़ें: Lord Shiva Powerful Mantra: इन शक्तिशाली मंत्रों से करें भगवान शिव को प्रसन्न
भगवान शिव के पांच गुण
क्षमा– क्षमा करने की जब बात आती है तो भगवान शिव से ज्यादा उदाहरण किसी देवता के दिखाई नहीं देते। जब जब किसी ने भगवान शिव को क्रोधित करने की कोशिश की तो भगवान शिव ने उनसे बदला लेने की बजाय उनमें बदलाव करने की माया रची, चाहे वह रावण हो, भस्मासुर हो या कामदेव हो।
यह सारे अहंकार में चूर होकर भगवान शिव को क्रोधित करना चाहते थे लेकिन भगवान शिव ने अपनी माया से इन सब के अहंकार को इनके खिलाफ़ उपयोग किया। और जब इन सबको इनके अहंकार का एहसास हुआ तो भगवान शिव ने इन्हें क्षमा करके इन वरदान भी दिए। इससे हमें सीख मिलती है कि हमें छोटी-छोटी बातों में गुस्सा करने की बजाय लोगों को क्षमा करना सीखना चाहिए।
वैराग्य (डिटैचमेंट)– भगवान शिव को वैराग्य का प्रतीक माना जाता है वह आदि योगी हैं लेकिन फिर भी उन्हें संसार से भेद नहीं। पार्वती उनकी पत्नी हैं, गणेश और कार्तिक उनके बच्चे हैं। उन्होंने गृहस्थ जीवन का पूरा पालन किया फिर भी अब कभी संसार के मौके बंधन में नहीं बंधे। उन्हें संसार की मोह, माया, विलास कभी भी आकर्षित नहीं कर सके।
यह हमें सिखाता है कि हम किसी भी चीज के इतने गुलाम नहीं बने कि वह हमारी स्वतंत्रता छीन ले। अब चाहे वह घर का कोई सदस्य हो, मोबाइल हो या कोई अन्य वस्तु ही क्यों न हो। आपके अंदर ऐसा वैराग्य होना चाहिए कि आप किसी के भी आसक्त न बने।
एकाग्रता – भगवान शिव को अक्सर ध्यान में लीन दिखाया जाता है, जिस वजह से उनका नाम योगेश्वर पड़ गया। भगवान शिव बाहरी दुनिया के ध्यान में लीन नहीं होते हैं, बल्कि आंतरिक दुनिया यानी आत्मा के रहस्य जानने के लिए ध्यान में लीन होते हैं। यह हमें सिखाता है कि हमें इतना एकाग्र होना चाहिए कि हमारे लक्ष्य के सिवा अन्य कोई चीज हमारे ध्यान को भटका ना सकें। बाहरी दुनिया से ज्यादा हमें अपने भीतरी दुनिया के प्रति जागरूक रहना है।
साहस– अगर सास की बात की जाए तो भगवान शिव से ज्यादा साहसी कौन होगा वह जो मानवता के भले के लिए विष पीने से भी नहीं घबराया। वह जिसने त्रिपुरासुर जैसे राक्षस का ना सिर्फ सामना किया बल्कि उसका वध भी किया।
भगवान शिव अन्याय के विरुद्ध खड़े रहे फिर सामने चाहे कोई देव हो या दानव हो या राक्षस, वह हमेशा सत्य के साथ खड़े रहे। इसीलिए यह तो कहा गया सत्य ही शिव है। इस गुण (Bhagwan Shiva Ke Guna) से हमें यह सीख मिलती है कि हमारे अंदर इतना साहस होना चाहिए कि हम सत्य के साथ खड़े रहें। फिर सामने चाहे कोई भी हो।
सरलता – भगवान शिव का स्वभाव बेहद सरल है, वे देवों के देव हैं, फिर भी पर्वत पर रहते हैं। उनका रहन-सहन एक साधु के जैसा है। उनके द्वार पर सबका स्वागत है- फिर चाहे वह साधु हो या साधारण मानव, नाग हो, देवता हो या दानव, कोई भी उनके धाम से खाली हाथ नहीं जाता।
इस गुण से हमें सीखना चाहिए कि हमें हमेशा सरल स्वभाव बनाकर रखना चाहिए। ब्रांड, स्टेटस, लुक्स यह सब दिखावटी चोला है,जिनसे हमें कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है। इसलिए हम जितना सरल जीवन जिएंगे, लोगों से जितने मधुर संबंध रखेंगे नकारात्मकता को अपने आस पास फटकने नहीं देंगे उतना ही बेहतर जीवन जी पाएंगे।
ऊपर बताए गए गुणों (Bhagwan Shiva Ke Guna) को अपनाने से हमारे जीवन में अभूतपूर्व बदलाव देखने को मिल सकता है। हमेशा याद रखें भगवान शिव की तरह हमें अपनी आंतरिक दुनिया पर काम करना है। रहे याद कि अगर आपके आसपास नकारात्मक व्यवहार वाले व्यक्ति हैं जिनकी वजह से वातावरण नकारात्मकता फैल रही है, तब भी आप अपने भीतर की सकारात्मकता बनाए रखें। यही सकारात्मकता आपकी आंतरिक दुनिया को बाहरी वातावरण से बचा कर रखेगी।
FAQ-Bhagwan Shiva Ke Guna
भगवान शिव के पांच गुण कौन से हैं?
भगवान शिव के पांच प्रमुख गुण क्षमा, सरलता, साहस, एकाग्रता और वैराग्य हैं।