Chaitra Navratri Kalash Sthapana की पूजा विधि, महत्व व मुहूर्त 

Chaitra Navratri Kalash Sthapana
Chaitra Navratri Kalash Sthapana

Chaitra Navratri Kalash Sthapana: दोस्तों चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू हो रहे हैं। हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहार में से एक है जिसमें 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यह त्यौहार शक्ति की आराधना के रूप में मनाया जाता है। 30 मार्च को घट स्थापना की जाएगी जिसके द्वारा इस त्यौहार की शुरुआत होती है। 

नवरात्र में घट स्थापना बहुत ही महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस आर्टिकल में हम घट स्थापना के आध्यात्मिक और पौराणिक महत्व, घटस्थापना की विधि, घट स्थापना सामग्री और मुहूर्त के बारे में चर्चा करेंगे और साथ ही जानेंगे की घट स्थापना के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए इसके अलावा घट स्थापना से जुड़े और भी जरूरी पहलुओं के बारे में जानेंगे इसलिए इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ें।

चैत्र नवरात्रि पर घट स्थापना का महत्व  

चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म में एक प्रमुख त्योहार है जो चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होता है। यह नौ दिनों तक चलने वाला पर्व माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित है और हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है। इस दौरान घट स्थापना एक अहम रस्म होती है, जो नवरात्रि के पहले दिन की जाती है। घट स्थापना का अर्थ है एक पवित्र कलश की स्थापना करना, जो माँ दुर्गा की शक्ति और उपस्थिति का प्रतीक होता है। मान्यता है कि इस कलश में माँ शक्ति का आह्वान किया जाता है, जो नौ दिनों तक भक्तों के घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाती हैं।  

घट स्थापना का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह पूरे नवरात्रि व्रत और पूजा की नींव रखता है। ऐसी मान्यता है कि सही विधि से कलश स्थापित करने से माँ प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी करती हैं। इसके साथ ही, यह रस्म प्रकृति के साथ सामंजस्य का भी प्रतीक है, क्योंकि इसमें मिट्टी, जल, और अंकुरित बीजों का उपयोग होता है। यह जीवन के चक्र और सृजन शक्ति को दर्शाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, घट स्थापना से घर में सुख, शांति, और समृद्धि का वास होता है, और नकारात्मक शक्तियाँ दूर रहती हैं। 

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घट स्थापना का पौराणिक महत्व

चैत्र नवरात्रि और घट स्थापना का पौराणिक आधार माँ दुर्गा की महिषासुर पर विजय से सम्बंधित है। पुराणों के अनुसार, महिषासुर के अत्याचारों से परेशान देवताओं ने माँ दुर्गा की उत्पत्ति की, जिन्होंने नौ दिनों तक युद्ध कर दसवें दिन उसका वध किया। चैत्र नवरात्रि को वसंत नवरात्रि भी कहते हैं, क्योंकि यह त्यौहार वसंत ऋतु में आता है, जो प्रकृति के पुनर्जनन का समय है।

घट स्थापना इस विजय और शक्ति के आह्वान का प्रतीक है। देवी भागवत पुराण में कलश को ब्रह्मांड का सूक्ष्म रूप माना गया है, जिसमें जल जीवन और नारियल समृद्धि का प्रतीक है। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और सभी भक्तों को बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देती है।  

चैत्र नवरात्रि घट स्थापना विधि  

नवरात्रि पर घट स्थापना की रस्म को विधि-विधान से करना जरूरी है ताकि पूजा का पूरा फल प्राप्त हो। यह हम आपको इसकी पूरी विधि बताने जा रहे हैं जो इस प्रकार है-

कलश पूजन सामग्री– घट स्थापना के लिए आपको एक मिट्टी का कलश, मिट्टी का ढक्कन, गंगाजल, साफ पानी, सुपारी, लौंग, इलायची, पान का पत्ता, आम के पत्ते, नारियल, लाल कपड़ा, मिट्टी, जौ के बीज, लकड़ी की चौकी और लाल धागा चाहिए। साथ ही, पूजा के लिए रोली, चंदन, फूल, धूप, दीप, और मिठाई भी रखनी होती है।  

पूजा स्थल को शुद्ध करें– सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करें। गंगाजल छिड़ककर इसे पवित्र करें। लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएँ।  

मिट्टी और जौ की बुवाई– एक चौड़े मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालें और उसमें जौ के बीज बोएँ। इसे पानी से सींचें ताकि नौ दिनों में अंकुरित हो सके। यह रस्म जीवन और समृद्धि का प्रतीक है।  

Chaitra Navratri Kalash Sthapana Vidhi
Chaitra Navratri Kalash Sthapana Vidhi

कलश तैयार करना– मिट्टी के कलश को गंगाजल और साफ पानी से भरें। इसमें सुपारी, लौंग, इलायची, और कुछ सिक्के डालें। कलश के ऊपर आम के पत्ते रखें और ढक्कन से ढक दें। फिर एक नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर लाल धागे से बाँधें और इसे कलश के ऊपर रखें।  

स्थापना और पूजा- इस कलश को जौ के पात्र के पास रखें। इसके बाद माँ दुर्गा का आह्वान करें। कलश पर रोली-चंदन से तिलक करें, फूल चढ़ाएँ, धूप-दीप जलाएँ और कलश स्थापना मंत्र (Kalash Sthapana Mantra) का जाप करें। “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र का जाप विशेष रूप से लाभदायक है।  

अखंड ज्योति– एक दीपक में घी या तेल डालकर अखंड ज्योति जलाएँ  ज्योति का 9 दिनों तक जलते रहना जरूरी है।

इस विधि से स्थापित कलश में माँ की शक्ति का वास माना जाता है और नौ दिनों तक इसकी नियमित पूजा की जाती है।  

घट स्थापना का प्रतीकात्मक अर्थ

घट स्थापना में शामिल किया गया हर तत्व एक गहरा अर्थ रखता है। कलश ब्रह्मांड का प्रतीक है, जल जीवन शक्ति का, और जौ अंकुरण व समृद्धि का। आम के पत्ते शुभता और नारियल पूर्णता दर्शाता है। यह रस्म आराधक को आध्यात्मिक रूप से प्रकृति और शक्ति से जोड़ती है। जौ का अंकुरण नौ दिनों में जीवन चक्र को दर्शाता है, जो सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। यह आराधक को संतुलन और आत्म-शुद्धि का संदेश देता है।  

घट स्थापना से जुड़ी क्षेत्रीय परंपराएँ

भारत में चैत्र नवरात्रि और घट स्थापना की परंपराएँ क्षेत्रों के अनुसार बदलती रहती हैं। उत्तर भारत में कलश स्थापना और जौ बोना आम है। गुजरात में नवरात्रि के साथ गरबा नृत्य जुड़ा है, जहाँ कलश को सजाया जाता है। दक्षिण भारत में कुछ स्थानों पर गोमती चक्र या देवी की मूर्ति स्थापित की जाती है। महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के साथ इसे मनाया जाता है, जहाँ गुड़ी (झंडा) लगाया जाता है। बंगाल में दुर्गा पूजा भले ही शारदीय नवरात्रि में प्रमुख हो, लेकिन चैत्र नवरात्रि में भी छोटे स्तर पर पूजा होती है। ये विविधताएँ भारतीय संस्कृति की समृद्धि को दर्शाती हैं।  

Chaitra Navratri Kalash Sthapana
Chaitra Navratri Kalash Sthapana

घट स्थापना के दिन क्या करें और क्या न करें

घट स्थापना के दिन क्या करें-

  • सुबह जल्दी उठकर नहाएँ और साफ वस्त्र पहनें।  
  • पूजा स्थल को साफ और पवित्र रखें।  
  • शुभ मुहूर्त में ही घट स्थापना करें।  
  • माँ दुर्गा की पूजा के साथ-साथ जौ के पात्र की देखभाल करें और उसे रोज पानी दें।  
  • सात्विक भोजन करें, जैसे फल, दूध या व्रत का खाना।  
  • मंत्र जाप और भक्ति भजन करें ताकि मन शांत और केंद्रित रहे।  
  • घर में शांति और सकारात्मक वातावरण बनाए रखें।  

घट स्थापना के दिन क्या ना करें

  • घट स्थापना के बाद कलश को बार-बार न हिलाएँ या उसका स्थान न बदलें।  
  • मांस, मदिरा, या तामसिक भोजन का सेवन न करें।  
  • क्रोध, झूठ, या नकारात्मक बातें करने से बचें।  
  • बाल, नाखून काटना, या शेविंग जैसी गतिविधियाँ न करें।  
  • घर में अशुद्धि न आने दें, जैसे जूते-चप्पल पूजा स्थल के पास न रखें।  
  • अखंड ज्योति को बुझने न दें; इसकी देखभाल करें।  

इन नियमों का पालन करने से पूजा का फल दोगुना होता है और माँ की कृपा प्राप्त होती है।  

कलश स्थापना का मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि 2025 में प्रतिपदा तिथि के आधार पर घट स्थापना का शुभ मुहूर्त निर्धारित होगा। सामान्य रूप से यह सुबह के समय होता है। आईए जानते हैं चैत्र नवरात्रि 2025 के शुभ मुहूर्त(Chaitra Navratri Muhurat 2025)-

  • ब्रह्म मुहूर्त– सुबह 4:41 से 5:27 तक
  • अभिजीत मुहूर्त– दोपहर 12:01 से 12:50 तक
  • गोधूलि मुहूर्त– शाम 6:37 से 7:00 तक
  • अमृत मुहूर्त– दोपहर 2:28 से 3:52 तक
  • सर्वार्थ सिद्धि योग– शाम 4:35 से 31 मार्च सुबह 6:12 तक
  • प्रातः संध्या योग- सुबह 5:04 से 6:13 तक
  • विजय मुहूर्त- दोपहर 2:30 से 3:19 तक
  • सायन्ह संध्या- शाम 6:38 से 7:47 तक

Chaitra Navratri Kalash Sthapana : यहाँ देखें वीडियो

FAQ- Chaitra Navratri Kalash Sthapana

घर पर घट स्थापना कैसे करें?

घर पर एक मिट्टी के कलश लाकर उसमें गंगाजल भारी उसमें चावल के दाने, एक सुपारी एक सिक्का डालें और आम के पत्ते रखकर उस पर नारियल इस तरह से घट स्थापना करें।

नवरात्रि का पहला दिन कौन सा होता है?

नवरात्रि का पहला दिन घट स्थापना होता है।

कलश पर नारियल का मुख किधर होना चाहिए?

कलश पर नारियल का मुंह हमेशा पूजा करने वाले की तरफ होना चाहिए।

नवरात्रि में कलश के नीचे क्या रखना चाहिए?

नवरात्रि में कलश के नीचे जौ या चावल रखना चाहिए।

चैत्र नवरात्रि में किस मुहूर्त में पूजा नहीं की जाती?

चैत्र नवरात्रि में राहुकाल में पूजा नहीं की जाती।

Anu Pal

मैं अनु पाल, Wisdom Hindi ब्लॉग की फाउंडर हूँ। मैं इंदौर मध्य प्रदेश की रहने वाली हूं। मैं एक ब्लॉगर और Content Writer के साथ-साथ Copy Editor हूं और 5 साल से यह काम कर रही हूं। पढ़ने में मेरी विशेष रूचि है और मैं धर्म, आध्यात्म, Manifestation आदि विषयों पर आर्टिकल्स लिखती हूं।

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