
Chhath Puja Gaan: छठ पर्व प्राचीन परंपराओं में से एक है। इस पर्व पर जीवन के अंधकार को मिटा कर प्रकाश की ओर बढ़ने का संकल्प लिया जाता है। इस पर्व के दौरान सूर्य देव और छठी मैया की आराधना की जाती है। पर्व के दौरान जहां एक और सूर्य आराधना के वक्त सूर्य मंत्रों का जाप किया जाता है, वहीं इस पर्व के दौरान छत के गीतों का भी अनूठा महत्व है।
छठ के गीत केवल स्वर और शब्दों का मेल नहीं होते बल्कि भावनाओं का मेल होते हैं। यह गीत प्रत्येक माता की भावनाओं को गहराई प्रदान करते हैं। छठ का व्रत घर की महिलाओं द्वारा किया जाता है जहां महिलाएं पति परिवार और बच्चों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य हेतु कामना करती है और सभी गीतों में इन्हीं का वर्णन होता है। इसीलिए छत के गीत नारी का समर्पण मातृत्व की करुणा और श्रद्धा की गहराई दिखाते हैं।
इन लोकगीतों में छठी मां की महिमा सूर्य देव की शक्ति और व्रत करने वाले व्यक्ति की व्याकुलता सब एक साथ समाहित होती है। जब घाटों पर कई सारी महिलाएं लाल साड़ी में सजकर इन गीतों को गाते हुए अर्ग देती है तो यह प्रकृति की तरफ एक धन्यवाद पर्व बन जाता है और आज हम आपको छठ पर्व के दौरान गए जाने वाले लोकप्रिय और पारंपरिक छठ गीत के बारे में बताएंगे ताकि आप भी बिना किसी व्यवधान के इन गीतों को और से सुर मिलाकर गा पाएँ।
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केलवा जे फरेला घवद से (Chhath Puja Gaan)
छठी मैया के प्रति असीम प्रेम का गीत: यह गीत छठ पूजा की आत्मा कहा जाता है। इस गीत में छठ रखने वाली महिला अपने पति की दीर्घायु की प्रार्थना करती है। परिवार में सुख शांति की प्रार्थना करती है और वैवाहिक जीवन में प्रेम और मधुरता की मांग करती है।
केलवा जे फरेला घवद से, ओ धनिया हम ओह में ना चढ़बू,
छठी मइया के पूजवा करबू, तोहार नाम लेके अर्घ दहमू।
केलवा जे फरेला घवद से, ओ धनिया हम ओह में ना चढ़बू।
चढ़बू ना धनिया हम ओह में, मइया के नाम लेके रहबू।
अर्घ देबू गंगा के धारे, मइया के पूजा करबू प्यारे।
पियवा के नाव चली घाटे, मइया के दर्शन हो आज राते॥
धनिया हम ओह में ना चढ़बू, मइया के चरण में मन धरबू।
छठी मइया सुन लs अरज हमारी, पिया के उमिर बढ़ावs प्यारी।
सासु ससुर के सेवा करबू, मइया के व्रत हम निभाबू॥
केलवा जे फरेला घवद से, ओ धनिया हम ओह में ना चढ़बू॥
उठव हे सूरज देव
यह लोकगीत तब गया जाता है जब व्रत करने वाले व्रती डूबते और उगते सूर्य को अरग देते हैं। यह गीत सूर्य देव से प्रार्थना का स्वरूप है जहां उनसे कहा जाता है कि वह अंधकार को मिटाकर प्रकाश भर नई ऊर्जा का संचार करें। यह गीत सैकड़ो लोगों द्वारा एक स्वर में अर्घ्य देते समय गया जाता है।
उठव हे सूरज देव, अरघ दिहिन बानी,
उठव अँखियन के नींद उड़ाई के।
जल के लोटा भरी अंजोरिया,
फुलवा के तोरा अर्पन कइली।
दूध-दही-गुड़ चढ़ावल मइया,
पान-सुपारी के संग सजाइली॥
उठव हे सूरज देव, जग के पालनहार,
तोहर किरन से जियs भइल उजियार॥
उगs तोहे देखे के बानी,
तोहार दर्शन पावे के आस लगवनी।
लाल जोड़े में सजी व्रतधारी,
मइया छठी के नाम लइली भारी॥
उठव हे सूरज देव, अरघ दिहिन बानी॥
पहेले पहिल छठ मैया (Chhath Puja Song Lyrics in Hindi)
यह गीत उन महिलाओं द्वारा गया जाता है जो पहली बार छठ व्रत रख रही है। इस गीत में पहली बार व्रत रखने वाली महिलाएं छठी मैया से अपनी बात कहती है और उनसे वादा करती है कि यह व्रत समर्पण के साथ निभाएंगे और मैया उनके व्रत को सफल करें।
पाहिले पहिल छठी मइया,
व्रतवा करेली तोहार।
नदिया किनारे घाट बनवली,
सजवली सोहाग सिंगार॥
दूध-दही चढ़ावल मइया,
फल-फूल के थाल सजाइली।
डूबत सुरज के अर्घ दिहली,
उठत सूरज के अर्घ चढ़ाइली॥
अर्घ देबs मइया तोहार नाम ले,
मन में बसा लेलs तोहर रूप हे॥
पिया के लम्बा उमिर मंगई,
संतान सुख के कामना करई॥
पाहिले पहिल छठी मइया,
व्रतवा करेली तोहार॥
छठ मैया की आरती
छठ मैया की आरती व्रत के समापन के दिन गाई जाती है। इस गीत में दुख दरिद्रता दूर कर सुख शांति का संचार करने की याचना की जाती है। लाखों महिलाएं घाट पर जब एक साथ ही आरती गाती हैं तो हर चेहरे पर भक्ति का तेज दिखाई देता है लाखों दिए एक साथ जब झिलमिल आते हैं तो वातावरण दिव्य हो जाता है।
जय जय छठी मइया, मईया जय जय छठी मइया।
उजियारा कर दिहs अँधियार हटइया, जन जन के दुख हर लइया॥
अन्नपूर्णा तुम अंबा भवानी, भक्तन के कष्ट मिटइया।
जलवा देखे अर्घ दिहे, श्रद्धा भाव बढ़इया॥
हर घर में सुख-शांति रहs, दरिद्रता दूर भगइया।
जय जय छठी मइया, मईया जय जय छठी मइया॥
छठी मइया तोहर महिमा अपरम्पार,
जो मांगे सो पावे उपहार॥
मातु तू अनन्य दयालु, भक्तन की रखवइया।
जय जय छठी मइया, मईया जय जय छठी मइया॥
छठी मैया के पूजा करीं(Chhath Puja Lyrics)
यह गीत छठ मैया की पूजा के दौरान गया जाता है। जब जल में खड़े होकर महिलाएं यह गीत गाती है तो ऐसा लगता है कि वह छठ मैया से संवाद कर रही हैं। इस गीत में भी अपनी आराधना मैया की तरफ प्रकट करती है और माता से उनकी पूजा अर्चना करने की अनुमति मानती है।
छठी मइया के पूजा करीं, मन से सच्चा भाव धरि।
अर्घ दिहीं जल में डूबके, भाव से भरल मन धरि॥
दूध-दही चढ़ावल मइया, नदिया किनारे दीप जलाई।
अरज हमारी सुन लs माता, हर मनोकामना पूरी करि॥
छठी मइया के पूजा करीं, मन से सच्चा भाव धरि॥
फल-फूल के थाल सजावल, मन में उमंग भरल।
मइया के नाम जपल निरंतर, हर दुख-दरिद्र टलल॥
छठी मइया के पूजा करीं, मन से सच्चा भाव धरि॥
उग है सूरज देव
यह गीत सूर्य देव को अरग देते समय गाया जाता है। जब सुबह का अर्ग दिया जाता है और सूर्य उगने में अब समय होता है तब महिलाएं एक साथ मिलकर इस गीत को गाती हैं। यह गीत दिखाता है कि किस प्रकार एक साथ याचना करने पर सूर्य देवता अंधकार को मिटाते हैं और जीवन में प्रकाश भर देते हैं।
उग हे सूरज देव, अर्घ दिहिन बानी,
मइया छठी के कृपा हम पइनी।
लाल जोड़ा, पीअर साड़ी, माथे में सिंदूर सजाय।
नदिया किनारे खड़ा होई, अर्घ दिही हाथ उठाय॥
दूध-दही चढ़ावल मइया, गुड़-फल के संग।
सूरज देव से मंगलीं बरकत, रहे सुख-शांति के रंग॥
उग हे सूरज देव, अरघ दिहिन बानी॥
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