
कर्म के 12 सिद्धांतों में आज हम कर्म के चौथे नियम (Fourth Law of Karma) के बारे में जानेंगे। कर्म का चौथा नियम विकास का नियम होता है। विकास का नियम यह कहता है कि हमें अपने बाहरी वातावरण को बदलने के बजाय अपने आंतरिक वातावरण को बदलने पर ध्यान देना चाहिए।
विकास का यह नियम हमें बताता है कि हम जितना बदलाव अपने अंदर विचारों से अपने व्यक्तित्व और कर्मों में जितना बदलाव लाते हैं वही बदलाव हमें बाहरी दुनिया में दिखाई देता है। दुनिया को बदलने की कोशिश करने के बजाय हमें अपने ऊपर खूब काम करना चाहिए।
शिकायत नहीं ख़ुद पर काम करें
अक्सर हमें यह शिकायत रहती है कि लोग बहुत बुरे हैं, दुनिया बहुत ख़राब है, परिस्थितियां हमेशा हमारे खिलाफ होती हैं, लोग हमेशा हमारी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते हैं,जीवन उतना सरल नहीं है जितना सरल होना चाहिए। ऐसे विचार आना स्वाभाविक है, लेकिन विकास का नियम यह कहता है कि ऐसे विचारों को अपने दिमाग में जगह देने की बजाय हमें अपने ऊपर काम करने पर ध्यान देना चाहिए।
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यह दुनिया बहुत विशाल है। हम बाहरी दुनिया पर कुछ भी नियंत्रण में नहीं रख सकते हैं। हम अपने भीतर चीजों को नियंत्रण में रख सकते हैं। इसलिए कर्म के चौथे नियम के अनुसार हमेशा अपने अंदर काम करते रहें।
जब हमारे अंदर की दुनिया बदलना शुरू होती है तो बाहर की दुनिया में परिवर्तन अपने आप दिखाई देने लगते हैं। यह परिवर्तन वैसे नहीं होंगे ,जैसे परिवर्तन हमने सोच रखे हैं क्योंकि जैसा पहले बताया गया बाहरी दुनिया पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है। जो होना है वह होकर रहेगा।
लेकिन हमारा देखने का दृष्टिकोण हमारे लिए बहुत सारी संभावनाओं के दरवाजे खोल देता है। जिस बात पर पहले आपको गुस्सा आता होगा, आप अपने अंदर काम कर लेंगे तो उसके बाद उन्हीं बातों पर आपको हंसी आने लगेगी।
आप पाएंगे कि बाहर तो चीज वैसी है लेकिन आपके अंदर एक नए विचार ने जन्म लिया और उससे आपका दृष्टिकोण बदला। अब वही चीज जो आपको कल परेशान कर रही थी,आज आपके लिए बच्चों का खेल लग रही है। यह होती है आंतरिक विकास की ताकत।
उम्मीद करना व्यर्थ, विकास ही कर्म है(Fourth Law of Karma)
एक बात मन में गांठ बांध लें, बाहरी दुनिया से किसी भी तरह की उम्मीदें करना उसे नियंत्रण में करना बिल्कुल ही व्यर्थ है। विकास का यह नियम कहता है कि हम बाहरी दुनिया से जितनी ज्यादा उम्मीदें का करेंगे, हमारे अंदर की दुनिया उतनी ही ज्यादा प्रभावित होगी,नकारात्मकता उतनी ही ज्यादा हमें घेरेगी।
वहीं जब हम खुद पर काम करेंगे तो बाहरी दुनिया अपने आप हमारे लिए बदल जाएगी। आप आंतरिक विकास के बीज जब अपने अंदर लगाएंगे तो उनसे जो वृक्ष बनेंगे उनके फल आपके लिए बहुत ही मीठे होंगे। कर्म का यह सिद्धांत हमें बताता है कि हमें खुद को पहचानने के लिए अपने अंदर उतरना होता है। बाहरी स्थितियों को नियंत्रण में करने की कोशिश करना, बाहरी व्यक्तियों से ज्यादा से ज्यादा उम्मीदें लगाना, विभिन्न कर्मों के फलों का इंतजार करते रहना, यह सब हमें भौतिकता की ओर ले जाता है।
इन सबसे एक मनुष्य के रूप में हमारा कोई भी विकास नहीं होता है, वहीं जब हम अपने अंदर काम करना शुरू करते हैं। हम जान पाते हैं कि हमारे अंदर एक विशाल का ऊर्जा का भंडार छुपा हुआ है, हम समझ पाते हैं कि हमारी ऊपरी सतह के नीचे आनंद का एक ऐसा विशाल सागर लहरा रहा है इसके बारे में हमें पता ही नहीं था।
विश्वास और कर्म का अनोखा संगम है विकास
हो सकता है जब आप यह पढ़ रहें हो तब आपकी परिस्थितियां आपके अनुकूल न हो, हो सकता है आपको बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा हो और हो सकता है आपके लगे कि इन बातों का कोई मतलब नहीं है, आप सोच सकते हैं कि इससे मेरी बाहरी परिस्थितियां नहीं बदलेंगी,लेकिन एक बार फिर से विचार करिए, आप कितनी भी कोशिश कर लें बाहरी परिस्थितियों को नियंत्रण में नहीं कर सकते हैं।
इस बात को जितनी जल्दी आप आत्मसात कर लेंगे उतनी जल्दी आप बाहरी परिस्थितियों से डील करना सीख जाएंगे। अब जब आप बाहरी परिस्थितियों को नियंत्रण में नहीं कर सकते हैं तो आप नियंत्रण में क्या कर सकते हैं? आप अपने आपको नियंत्रण में कर सकते हैं, अपने अंदर से आने वाले रिएक्शन को, अपने अंदर से आने वाले विभिन्न तरीके के विचारों को, अपने अंदर से उठने वाली उन इच्छाओं को, जो अधूरी ही रहने वाली है और इनको नियंत्रण में आप कैसे करेंगे इनको नियंत्रण में आप तभी कर पाएंगे जब आपने अपने ऊपर खूब सारा काम किया होगा।
इसलिए हो सकता है जब आप काम करना शुरू करें तब एकदम से परिस्थितियां ना बदलें ,लेकिन धीरे-धीरे वह वक्त आएगा जब भले ही परिस्थितियां बदले या ना बदले ,लेकिन आप उनसे डील करना सीख चुके होंगे।
कर्म का सिद्धांत भी यही कहता है कि आपकी ऊर्जा तरंग जब आपके अंदर से उठेगी तो वह पॉजिटिव है या नेगेटिव इसका बहुत बड़ा इंपैक्ट आपके ऊपर पड़ता है, इसलिए अपने आंतरिक विकास के लिए लगातार काम करते रहें।