जानिए गोपाष्टमी की 2 दिव्य कथाएँ एवं शुभ पूजा मुहूर्त

Gopashtami Ki Kahani
चित्र: गोपाष्टमी की कहानी

Gopashtami Ki Kahani: गोपाष्टमी की कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाला एक पवित्र हिंदू त्यौहार है जो भगवान श्री कृष्ण के गायों प्रति असीमित प्रेम और बंधन को समर्पित है। कृष्ण भगवान कृष्ण ने गौ-चारण शुरुआत की थी। गाय बहुत पवित्र और सम्मानजनक मानी जाती है। कल में जानिए गोपाष्टमी की दो मनमोहन पौराणिक कथाएं और पूजा के लिए सटीक शुभ मुहूर्त।

पहली कथा: कृष्ण की गौ-चरण की इच्छा(Gopashtami Ki Kahani)

जब भगवान कृष्ण केवल 6 वर्ष के थे तब उन्होंने माता यशोदा और पिता नंद बाबा से वृंदावन के अन्य गोपी ग्वालों की तरह गाय चराने की इच्छा जताई।

नंद बाबा ने पंडित जी को बुलवाया और गौ-चारण का शुभ मुहूर्त निकलवाया। ज्योतिषी ने बताया कि कार्तिक शुक्ल अष्टमी सबसे उत्तम समय है। इसी दिन से कृष्ण ने गौ चारण शुरू किया और यह तिथि को गोपाष्टमी के नाम से विख्यात हुई।

इसी दिन कामधेनु गाय ने श्रीकृष्ण का अभिषेक किया जिसके बाद वे गोविंद अर्थात गायों के रक्षक कहलाए। यह कथा श्रीकृष्ण के प्रति गायों के प्रेम, धर्म, सरलता और भक्ति की प्रतीक है।

पहली कथा: कृष्ण की गौ-चरण की इच्छा

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दूसरी कथा: इंद्र का अहंकार भंग और गोवर्धन पूजा(Gopashtami Ki Kahani)

गोपाष्टमी का संबंध श्री कृष्ण के गोवर्धन पर्वत उठाने के चमत्कार से भी है। अहंकारी इंद्रदेव को सबक सिखाने के लिए श्री कृष्ण ने 7 दिनों तक अपनी कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को धारण कर वृंदावन वासियों और गायों को मूसलाधार वर्षा से बचाया।

यह देख इंद्र आश्चर्य चकित हुए तब ब्रह्मा जी ने उन्हें बताया कि कृष्ण विष्णु के अवतार हैं। तब इंद्र ने पश्चाताप करते हुए अपनी हार स्वीकार की और अहंकार का त्याग किया। इसके बाद श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को धरती पर वापस रखा।  वह तिथि गोपाष्टमी की थी। तब से गोपाष्टमी विनम्रता, प्रकृति रक्षा और भक्ति की विजय का पर्व बन गया।

दूसरी कथा: इंद्र का अहंकार भंग और गोवर्धन पूजा

गोपाष्टमी पूजा के शुभ मुहूर्त

समृद्धि पशुधन कल्याण और आध्यात्मिक उन्नति के लिए गोपाष्टमी के दिन इस शुभ मुहूर्त पर पूजा करें। 

(नोट: स्थान के अनुसार समय भिन्न हो सकता है; स्थानीय पंचांग देखें।)

मुहूर्तसमय
ब्रह्म मुहूर्तसुबह 04:48 से 05:40 बजे
प्रातः संध्यासुबह 05:14 से 06:32 बजे
अभिजीत मुहूर्तदोपहर 11:42 से 12:27 बजे
विजय मुहूर्तदोपहर 01:55 से 02:40 बजे
गोधूलि मुहूर्तशाम 05:37 से 06:03 बजे
सायाह्न संध्याशाम 05:37 से 06:55 बजे
अमृत कालसुबह 07:42 से 09:22 बजे
निशीथ मुहूर्तरात 11:39 से 12:31 बजे (31 अक्टूबर)
रवि योगशाम 06:33 से सुबह 06:32 बजे (31 अक्टूबर) गौ-पूजा, अभिषेक और गोवर्धन पूजन के लिए आदर्श।
चित्र: गोपाष्टमी का मुहुर्त

गोपाष्टमी कैसे मनाएँ?

  • गायों को साफ़ करें और फूल, तिलक और घंटियों से सजाएँ।
  • ताज़ा घास, गुड़ और फल भोग में चढ़ाएँ।
  • गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर पूजन करें।
  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या गोविंद भजन गाएँ।
  • दूध की मिठाइयाँ प्रसाद में बाँटें।

गोपाष्टमी केवल त्यौहार नहीं बल्कि गौ माता और पृथ्वी के प्रति श्री कृष्ण के अमर प्रेम की पहचान है। इस त्यौहार को शुभ मुहूर्त में श्रद्धा से मनाने पर गोविंद कृपा आपके जीवन में जरूर बरसेगी।

जय श्री कृष्ण! गौ माता की जय! 🐄✨

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Anu Pal

मैं अनु पाल, Wisdom Hindi ब्लॉग की फाउंडर हूँ। मैं इंदौर मध्य प्रदेश की रहने वाली हूं। मैं एक ब्लॉगर और Content Writer के साथ-साथ Copy Editor हूं और 5 साल से यह काम कर रही हूं। पढ़ने में मेरी विशेष रूचि है और मैं धर्म, आध्यात्म, Manifestation आदि विषयों पर आर्टिकल्स लिखती हूं।

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