
Gopashtami Puja Vidhi aur Upay: गोपाष्टमी यह त्योहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा प्राप्त है और उसे सुख समृद्धि और पुण्य का प्रतीक माना जाता है। इसलिए कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी मनाई जाती है। यह दिन गायों की सेवा पूजा और आशीर्वाद पाने लिए मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन श्री कृष्ण भगवान ने पहली बार गायों को चराया था। गोपाष्टमी के दिन गाय और उसके बछड़ों को सजाकर उनकी पूजा की जाती है यह दिन कृष्ण भगवान और गायों के प्रति श्रद्धा और प्रेम को समर्पित होता है।
गोपाष्टमी का महत्व
गोपाष्टमी का इतिहास भगवान कृष्ण से जुड़ा है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुल वासियों और उनके गायों की रक्षा की थी तथा गोपाष्टमी के दिन ही इंद्र ने अपनी हार स्वीकार करी थी। इसलिए इस दिन गायों की पूजा की जाती है, ऐसा करने से सुख समृद्धि और मासिक शांति प्राप्त होती है। गोपाष्टमी का दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक और समाजिक दृष्टि से भी बहुत अधिक महत्व रखता है।
गोपाष्टमी के दिन गायों की गोधूलि बेला में पूजा करने का विधान है। हिंदू शास्त्र के अनुसार संध्या का समय बहुत अधिक पवित्र और शुद्ध होता है। इस समय सूर्यास्त होने वाला होता है और सूर्यास्त के समय का प्रकाश बहुत अधिक शांति प्रदान करने वाला होता है। इसलिए गोधूलि बेला में पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा पुण्य की प्राप्ति होती है। गोधूलि बेला में गायों की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि अच्छा स्वास्थ्य और सौभाग्य लाती है।
गोपाष्टमी पर गाय की पूजा विधि और उपाय(Gopashtami Puja Vidhi aur Upay)
साफ सफाई और सजावट: पूजा करने से पहले घर और गौशाला की अच्छी तरह से साफ सफाई करें। गायों को नहलाएँ, नहलाने के बाद उन्हें लाल पीले कपड़े से सजाए। ऐसा करना शुभता लाता है।
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अभिषेक: गाय के सिर और सींगो पर पंचामृत और हल्दी चंदन से अभिषेक करना चाहिए। पंचामृत से अभिषेक करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से सुख समृद्धि बढ़ती है।
दीपदान: गायों को नहलाने और उनका पंचामृत से अभिषेक करने के पश्चात गायों के सामने दीपक जलाएं वह उनसे सुख समृद्धि और सौभाग्य की कामना करें।
मंत्र पाठ: गोपाष्टमी के दिन गाय के सामने बैठकर मंत्रों का उच्चारण करें व श्री कृष्ण का स्मरण करें और गोवर्धन मंत्र का पाठ करें। ऐसा करने से मानसिक शांति मिलती है और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
भोजन व आहार अर्पित करना: गोपाष्टमी के दिन गाय को हरी घास, गुड़ और अन्य विशिष्ट आहार देने चाहिए। गाय में कृष्ण भगवान का वास होता है इसलिए जब भी गाय को भोजन अर्पित करें तो यह मानकर करें कि भगवान को भोजन अर्पित किया जा रहा है। ऐसा करने से घर परिवार में सुख शांति और धन वैभव की प्राप्ति होती है।
गोबर गोमूत्र का प्रयोग: पूजा स्थल की सफाई करने में गोमूत्र और गोबर का प्रयोग करना चाहिए। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। गोमूत्र वातावरण को पवित्र करता है।
सेवा और दान: गोपाष्टमी के दिन गायों की पूजा करने के बाद ब्राह्मण, गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न,गुड़, वस्त्र दान में जरूर देनी चाहिए। ऐसा करने से मन में शांति उत्पन्न होती है।
गोधूलि बेला में गाय की पूजा करने के लाभ
धन समृद्धि में वृद्धि: गाय में माता लक्ष्मी का भी वास होता है। इसलिए गाय माता की सेवा करने से आर्थिक समृद्धि और वैभव प्राप्त होता है।
स्वास्थ: गाय से हमें दूध मिलता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक उत्तम होता है। दूध से ही घी और दही भी बनते हैं जो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। इस तरह गाय हमारे शरीर की रोगों से रक्षा करती है इसलिए हमें गाय का पूजन अवश्य ही करना चाहिए।
सकारात्मक ऊर्जा: सूर्यास्त के समय गाय की पूजा करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और घर परिवार में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
पारिवारिक सुख: गोपाष्टमी के दिन गायों की पूजा करने से परिवार में सुख समृद्धि बढ़ती है। संध्या के समय गाय की पूजा करने से घर में शांति बनी रहती है जिससे सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
कृषि और खेती में लाभ: किसान गाय के गोबर का प्रयोग और गोमूत्र का प्रयोग अगर अपनी खेती में करते हैं तो उससे अच्छी फसल की पैदावार होती है। जिससे किसानों की भी समृद्धि में वृद्धि होती है।
आध्यात्मिक लाभ: गोपाष्टमी के दिन गायों की पूजा करना आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत अधिक महत्वपूर्ण होता है। गाय की सेवा पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। उन्नति के मार्ग मिलते हैं।
इसके अलावा कुछ ऐसे विशेष उपाय हैं जो गोपाष्टमी के दिन करने से बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है:
- गोपाष्टमी के दिन गायों की पूजा सूर्यास्त के समय में की जाती है जो व्यक्ति सूर्यास्त के समय में पूजा करता है उसे मानसिक शांति मिलती है।
- पूजा करते समय अपने मन को शुद्ध और पवित्र रखना चाहिए। पूजा हमेशा स्वच्छ मन से करनी चाहिए मन में कोई भी द्वेष रखकर पूजा नहीं करनी चाहिए इससे पूजा का फल प्राप्त नहीं होता। और सच्चे मन से की गई पूजा का फल अवश्य ही प्राप्त होता है
- गोपष्टमी के दिन गाय की पूजा करने के पश्चात अपने सामर्थ के अनुसार जरूरतमंद को कुछ न कोई दान में अवश्य देना चाहिए ऐसा करने से समृद्धि के मार्ग खुलते हैं
- हर साल गोपाष्टमी का व्रत जरूर रखना चाहिए। इससे व्यक्ति की आयु लंबी होती है और उसे जीवन में सुख समृद्धि प्राप्त होती है और उसके कामों में जितनी भी कठिनाइयां आती है वह दूर होती है।
गोपाष्टमी के दिन गाय की पूजा करना केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है बल्कि यह सकारात्मक ऊर्जा पुण्य और समृद्धि को पाने का स्रोत भी है। गोपाष्टमी का दिन हमें यह सिखाता है कि हमें प्रकृति की और जीवों की सेवा करनी चाहिए। गाय हमारी माता का ही रूप होता है इसलिए गौ माता की सेवा करने से परिवार और समाज को लाभ प्राप्त होता है। इस प्रकार गोपाष्टमी के दिन हमें गाय की पूजा करके पुण्य प्राप्त करना चाहिए।
FAQ– Gopashtami Puja Vidhi aur Upay
गोपाष्टमी के दिन क्या किया जाता है?
यह दिन गायों की सेवा पूजा और आशीर्वाद पाने लिए मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन श्री कृष्ण भगवान ने पहली बार गायों को चराया था। गोपाष्टमी के दिन गाय और उसके बछड़ों को सजाकर उनकी पूजा की जाती है यह दिन कृष्ण भगवान और गायों के प्रति श्रद्धा और प्रेम को समर्पित होता है।
गोपाष्टमी की पूजा कैसे करते हैं?
गोपाष्टमी की पूजा करने के लिए गौशाला की सफाई करने के बाद गायों को नहलाकर सजाया जाता है। उनके सिंह और माथे पर पंचामृत लगाया जाता है। उसके बाद गायों के सामने दीपक जलाकर गोवर्धन मंत्र का जाप करते हुए भगवान कृष्ण का स्मरण किया जाता है। बाद में गायों को गुड़ और हरा चारा खिलाकर पूजा का समापन किया जाता है। इस दिन यथाशक्ति दान दक्षिणा भी की जाती है
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