
Gyan Panchami 2025: दीपावली उत्सव के बाद पांचवा दिन ज्ञान पंचमी के नाम से जाना जाता है। यह दिन विशेष रूप से विद्या, ज्ञान बुद्धि और विवेक की आराधना का पर्व है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान गणेश, माता सरस्वती और माता लक्ष्मी की संयुक्त पूजा करने से जातक को गहन ज्ञान की प्राप्ति होती है। इस दिन जैन धर्म में भी विशेष पूजा का महत्व कहा जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान महावीर द्वारा लिखे गए उपदेशों को धर्म ग्रंथ के रूप में लिपिबद्ध किया गया था। इसीलिए जैन धर्म के लोग भी इस दिन ज्ञान की बुद्धि और साधना हेतु उपासना करते हैं।
केवल जैन धर्म ही नहीं बल्कि अन्य धर्म के लोग भी इस दिन माता सरस्वती की विधि विधान से पूजा करते हैं। जैन श्रद्धालु इस दिन आगम ग्रंथ, पाठशालाओं और विद्या साधनों की पूजा करते हैं। कलम, पुस्तक, नोटबुक, स्लेट, पेन इत्यादि को स्वच्छ कर उन्हें पूजन में रखकर विद्या की देवी सरस्वती भगवान गणेश और तीर्थंकरों से आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
ऐसा ही विधान अन्य धर्म के लोग भी करते हैं। वे भी पढ़ाई में इस्तेमाल की जाने वाली विभिन्न सामग्री की पूजा इत्यादि कर माता सरस्वती के चरणों में समर्पित करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन किया गया स्वाध्याय और ज्ञान दान व्यक्ति के जीवन में आत्मा उन्नति शुद्ध बुद्धि और मोक्ष मार्ग की प्रेरणा देता है।
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जैन दृष्टि से ज्ञान पंचमी
ज्ञान पंचमी मुख्यतः जैन धर्म का पर्व है। इसे शुद्धि पंचमी भी कहा जाता है। वर्ष 2025 में ज्ञान पंचमी 26 अक्टूबर 2025 के दिन पड़ रही है। इस दिन जैन अनुयाई अपने आगम ग्रंथ पाठशाला विद्या संस्थाओं और शिक्षकों की पूजा करते हैं। धार्मिक ग्रंथो को स्वच्छ कर उन पर चंदन अक्षत पुष्प अर्पित कर स्वाध्याय की शुरुआत करते हैं। जैन दर्शन के अनुसार यह पर्व ज्ञान आत्मा को समर्पित पर्व है। इस दिन में भगवान महावीर के दिए गए उपदेशों का स्मरण करते हैं और उनसे आवाहन करते हैं कि उन्हें ज्ञान रूपी अंधकार से मुक्त करें और मोक्ष की ओर प्रशस्त करें।
सनातन दृष्टि से ज्ञान पंचमी का महत्व
सनातन धर्म के अनुसार ज्ञान पंचमी माता लक्ष्मी भगवान गणेश और माता सरस्वती को समर्पित दिन है। इस दिन विद्यार्थी और विद्वान अपनी कलम, किताबें, पेन, कॉपी, शास्त्रों की पूजा करते हैं। उन पर अक्षत पुष्प चंदन अर्पित करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन जरूरतमंद विद्यार्थियों को किताबें, कॉपी, पुस्तक के दान करने से माता सरस्वती प्रसन्न होती हैं। इस दिन मौन रहकर भी आत्म शुद्धि की जा सकती है जिससे माता सरस्वती निश्चित ही प्रसन्न होती है।
यह दिन भगवान गणेश के लिए भी विशेष माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश को दूर्वा समर्पित करने का विधान बताया जाता है। साथ ही यदि कोई व्यक्ति 108 बार गणेश मंत्र का जाप करता है तो उन्हें एकाग्रता और तीव्र बुद्धि प्राप्त होती है। ज्ञान पंचमी को लाभ पंचमी भी कहा जाता है इसीलिए इस दिन यदि कोई व्यक्ति श्री सूक्त या लक्ष्मी अष्टक स्तोत्र का प्राप्त पाठ करता है तो उसे शुभ लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि जब माता लक्ष्मी सरस्वती और गणेश के साथ विराजती हैं तो वह चंचल नहीं रहती बल्कि दीर्घकालीन रूप से निवास करती हैं।
ज्ञान पंचमी के दिन तीन देवी शक्तियों की सामूहिक पूजा
ज्ञान पंचमी के दिन माता लक्ष्मी, माता सरस्वती और बुद्धि के देवता गणेश की पूजा निम्नलिखित रूप से करनी चाहिए?-
सबसे पहले तीनों देवी देवताओं को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके पश्चात चंदन फूल धूप दीप से पूजा आरंभ करें। त्रिदेव का आवाहन इस प्रकार करें
- ओम गन गणपतए नमः
- ओम एम सरस्वती नमः
- ओम श्री महालक्ष्मी नमः
तीनों देवी देवताओं के मन्त्रो का 108 बार विधि विधान से जाप करें। तत्पश्चात तीनों देवों की आरती करें। इसके बाद प्रसाद वितरण करें, पूजा के बाद संभव हो सके तो जरूरतमंद व्यक्ति को दान अवश्य करें।
कुल मिलाकर ज्ञान पंचमी केवल किसी धर्म या पंथ का विशेष पर्व नहीं, यह आत्म जागरण और मानसिक शक्ति का देने है। जिस प्रकार जैन समाज के लोग इस दिन आत्मा शांति और आत्म बल के लिए प्रार्थना करते हैं उसी प्रकार सनातन धर्म के लोग भी माता लक्ष्मी सरस्वती और भगवान गणेश से बुद्धि बल और लक्ष्मी देने का आवाहन करते हैं। यह पर्व व्यक्ति को सीखाता है की आत्मा ज्योति प्रज्वलित कर हम भीतर छिपे ज्ञान के दीपक को जला सकते हैं और तीर्थंकरों की तरह हम भी मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।
FAQ- Gyan Panchami 2025
ज्ञान पंचमी क्यों मनाई जाती है?
दीपावली उत्सव के बाद पांचवा दिन ज्ञान पंचमी के नाम से जाना जाता है। यह दिन विशेष रूप से विद्या, ज्ञान बुद्धि और विवेक की आराधना का पर्व है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान गणेश, माता सरस्वती और माता लक्ष्मी की संयुक्त पूजा करने से जातक को गहन ज्ञान की प्राप्ति होती है।
ज्ञान पंचमी की पूजा कैसे करें?
सबसे पहले तीनों देवी देवताओं को पंचामृत से स्नान कराएं। फिर चंदन, फूल, धूप, दीप से पूजा आरंभ करें। फिर त्रिदेव का आह्वान करने के लिए ॐ गन गणपतए नमः, ॐ एम सरस्वती नमः, ॐ श्री महालक्ष्मी नमः मन्त्रो का 108 बार विधि विधान से जाप करें। फिर आरती कर प्रसाद वितरण करें, पूजा के बाद संभव हो सके तो जरूरतमंद व्यक्ति को दान अवश्य करें।
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