
Kaal Bhairav Jayanti Sadhana: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती के रूप में मनाया जाता है। काल भैरव भगवान महादेव के त्रिनेत्र से प्रकट हुए थ काल भैरव का अर्थ ही है भय को नाश करने वाला। भैरव बाबा का जन्म ही अपने आप में एक महत्वपूर्ण तिथि माना जाता है क्योंकि भैरव बाबा का जन्म नकारात्मकता के नाश के लिए हुआ था और इस तिथि पर यदि कोई साधक कुछ विशेष उपाय कर ले तो वह अपने जीवन से नकारात्मकता को सदा के लिए अलविदा भी कह सकता है।
जी हां इसीलिए काल भैरव अष्टमी के दिन की गई पूजा विशेष रूप से फलदाई मानी जाती है। खासकर रात में की गई साधना, क्योंकि काल भैरव अष्टमी की रात्रि साधना ही सबसे महत्वपूर्ण होती है और आज हम आपको इसी से जुड़ा संपूर्ण विवरण देंगे।
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काल भैरव की साधना का महत्व(Kaal Bhairav Jayanti Sadhana)
काल भैरव को समय का अधिपति कहा जाता है। कहा जाता है कि काल भैरव समय को रोकने की ताकत रखते हैं। वह भय का नाश करते हैं व्यक्ति के कर्मों की गति को देखते हैं और उसे निर्णय लेने की स्पष्टता देते हैं। काल भैरव का सीधा संबंध व्यक्ति की अभिव्यक्ति और उसकी कलात्मक से होता है।
ऐसे में यदि कोई व्यक्ति काल भैरव की साधना करता है तो उसे अपने आप ही भैरव बाबा का मार्गदर्शन प्राप्त होता है जो कि उसे उसके मूल स्वरूप में लाने में मदद करता है। काल भैरव की उपासना न केवल ग्रह दोष दूर करती है बल्कि आंतरिक भय से मुक्त करती है। व्यक्ति की मानसिक अवस्था को ठीक करती है और जीवन में सफलता लाती है।
काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए किस प्रकार करें विशेष साधना(Kaal Bhairav Jayanti Sadhana)
साधना से पहले एक घर की शुद्धि: काल भैरव की साधना रात को की जाती है। रात्रि साधना से पहले घर के वातावरण को शुद्ध करें। इसके लिए कपूर जलाकर संपूर्ण घर में इसकी धूनी करें ताकि घर से नकारात्मक उर्जा निकल जाए। इसके बाद गंगाजल छिड़कें और घर के मुख्य द्वार पर गंगाजल से एक रेखा खींचें ताकि आपकी साधना के दौरान घर में नकारात्मक शक्तियां प्रवेश न करें।
पूजा से पहले तैयार करें सुरक्षा कवच: पूजा पर बैठने से पहले आपको सुरक्षा कवच तैयार करना होगा। जिसके लिए आपके घर के मुख्य द्वार के दाहिनी ओर तीन बताशे और दो लौंग रखने होंगे और चौराहे वाली माता से प्रार्थना करनी होगी कि वह आपके घर की रक्षा करें और घर को बुरी शक्तियों से दूर करें। यह क्रिया भैरव पूजा करने से पहले घर की सुरक्षा के लिए अनिवार्य होती है।
मुख्य पूजा की तैयारी: काल भैरव की मुख्य पूजा के लिए अब तैयारी आरंभ करें। सबसे पहले घर के मंदिर में शिव परिवार या शिवलिंग रखें। अब इसके सामने मिट्टी के दीपक में सरसों के तेल का दिया जलाएं। काल भैरव को सरसों का तेल अत्यंत प्रिय होता है, इसीलिए सरसों के तेल का दीपक अवश्य जलाएं। काल भैरव की साधना हेतु 108 बार काल भैरव के विशेष मंत्र ॐ श्री काल भैरवाय नमः मंत्र का जाप करें। मंत्र जाप करने के बाद काल भैरव को काले तिल और काली उड़द अर्पित करें। आप चाहे काले तिल काली उड़द और गुड़ मिलाकर लड्डू भी तैयार कर सकते हैं।
काल भैरव साधना और हवन: काल भैरव साधना के साथ आप काल भैरव अष्टमी के दिन छोटा सा हवन भी कर सकते हैं। आपको इस दौरान हवन की सामग्री तैयार रखनी होगी। चंदन या आम की लकड़ी, कपूर, गूगल, काले तिल, काली उड़द, गुड़, हवन की समिधा, शुद्ध घी, 51 या 108 लौंग, थोड़ी सी दालचीनी, 7 या 11 इलायची इत्यादि लेना होगा और काल भैरव के मंत्र का जाप करते हुए हवन करना होगा। आप 21, 51 या 108 आहुतियां दे सकते हैं। आहुतियां से उठने वाला धुआँ और दिव्य सुगंध वातावरण की नकारात्मकता को भस्म कर देती है और आपको काल भैरव की कृपा की प्रति उपलब्ध कराती है।
हनुमान चालीसा का पाठ: काल भैरव अष्टमी के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना भी लाभकारी कहा जाता है। इस दिन 51 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। तत्पश्चात हनुमान को दो लड्डू भोग के रूप में चढ़ाएँ। कहा जाता है कि ऐसा करने से मानसिक शुद्धि होती है क्योंकि हनुमान बाबा और काल भैरव दोनों ही महादेव के अवतार हैं और उनकी पूजा करने से आपको महादेव की साक्षात कृपा प्राप्त होती है।
काल भैरव अष्टमी पर किए जाने वाले अन्य उपाय
- काल भैरव अष्टमी के दिन आप यदि चाहे तो तिल और उड़द को किसी पेड़ के नीचे भी रख सकते हैं। यह भोग प्रकृति में विलीन होकर आपको सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
- इस दिन जरूरतमंद लोगों को उड़द, सरसों का तेल, काले तिल और गुड़ दान करने से भी काल भैरव प्रसन्न होते हैं।
- काल भैरव अष्टमी के दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को वस्त्र दान करने से भी लाभ प्राप्त होता है।
- काल भैरव अष्टमी के दिन पूजा में जल जरूर रखें और यह जल रोगी को पिलाएँ और इस जल को घर के सभी कोनों में छिड़कें। इससे दिव्य ऊर्जा प्राप्त होती है और बीमारियां दूर होती है।
- काल भैरव अष्टमी के दिन घर में किए गए हवन की भस्म को यदि रोजाना माथे पर लगाया गया तो यह आपको बुरी नजर से बचाती है।
इस प्रकार काल भैरव अष्टमी केवल एक आम दिवस नहीं परंतु एक धार्मिक अनुष्ठान और एक विशिष्ट साधना का दिन है। जिस दिन ब्रह्मांडीय ऊर्जा अपने चरम पर होती है। इस दिन यदि कोई व्यक्ति श्रद्धा और निष्ठा से रात्रि साधना करता है तो उसे भाई मुक्त जीवन निर्णय लेने में स्पष्टता और आध्यात्मिक शक्ति का आशीर्वाद मिलता है।
FAQ: Kaal Bhairav Jayanti Sadhana
काल भैरव जयंती के दिन क्या करना चाहिए?
काल भैरव जयंती के दिन रात्रि साधना करनी चाहिए जिससे जीवन में नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है साथ ही सिद्धियों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस दिन दान पुण्य भी किया जा सकता है।
काल भैरव को सिद्ध कैसे करें?
काल भैरव को सिद्ध करने के लिए सिद्धि यज्ञ और हवन करें। हवन में 21, 51 या 108 आहुतियां दें। इसके अलावा 108 बार काल भैरव मंत्र का जाप करें।
काल भैरव जी को क्या चढ़ाना चाहिए?
काल भैरव को काले तिल और काली उड़द अर्पित करें। आप चाहे काले तिल काली उड़द और गुड़ मिलाकर लड्डू भी तैयार कर सकते हैं।
भेरुजी को बुलाने का मंत्र क्या है?
काल भैरव जयंती के दिन भेरू जी को बुलाने का मंत्र ॐ श्री काल भैरवाय नमः है। इस मंत्र का 108 बार जाप करना अत्यंत लाभकारी है।
भैरव जी का प्रिय भोग क्या है?
भैरव जी उपभोग के रूप में सात्विक भोजन अर्पित करना चाहिए। उनका प्रिय भोग काले तिल और काली उड़द की दाल है। इसके अलावा उन्हें आप लड्डू गुलगुले और हलवा भी चढ़ा सकते हैं।
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