
Kali Chaudas Nishita Kaal Puja: दीपावली के दिन से पहले नरक चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी जिसे काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है, मनाया जाता है। यह दिन नकारात्मकता पर सकारात्मक की विजय का प्रतीक होता है। इस दिन रात में किया गया निशीथ कालीन पूजन अत्यंत फलदायी और रहस्यमयी माना जाता है। निशीथ कालीन पूजन मध्य रात्रि को किया जाता है। कहा जाता है कि इस काल में काली माता अपने जागृत स्वरूप में मौजूद होती है। और जो भक्त श्रध्दा नियम और शुद्ध भाव से उनकी उपासना करता है उसे भय, रोग, दरिद्रता, शत्रु और तांत्रिक बाधाओं से दूर कर देती है।
काली चतुर्दशी के दिन निशीथ कालीन पूजन(Kali Chaudas Nishita Kaal Puja)
निशीथ काल रात का मध्य समय होता है। दिन और रात के 24 घंटे के समय को जब दो भागों में बांटा जाए तो बीच का समय निशीथ काल कहलाता है। निशीथ काल ऐसा संवेदनशील समय होता है जब तंत्र विद्याएं और शक्तिशाली शक्तियां चरम सीमा पर होती हैं। इस दौरान ब्रह्मांड में ऊर्जा की सक्रियता बढ़ जाती है। यह ऊर्जा नकारात्मक और सकारात्मक दोनों प्रकार की होती हैं।
इसमें जो व्यक्ति सकारात्मक विचारों के साथ मां काली का आह्वान करता है उसे निश्चित ही दैवीय तत्वों की प्राप्ति होती है। वर्ष 2025 में 19 अक्टूबर 2025 को काली चौदस मनाया जाने वाला है और इस दिन निशीथ काल 11:40 से 12:30 तक पड़ने वाला है। ऐसे में यह योग काली साधना, महामृत्युंजय जाप और तंत्र मंत्र सिद्धि के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
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निशीथ काल पूजा विधि
- निशीथ काल पूजा के लिए सबसे पहले रात्रि में स्नान इत्यादि करें।
- इसके बाद पूजा स्थल पर गोमूत्र या गंगाजल छिड़क दे और माता काली को लाल आसन पर दक्षिण मुखी स्थापित करें।
- देवी के चारों ओर लाल फूल, दीपक, धूप और काले तिल रखें।
- अब पांच मुखी दीपक जलाएं और देवी के समक्ष बैठकर संकल्प ले।
- तत्पश्चात माता काली को प्रसन्न करने के लिए एक 1008 बार काली के बीज मंत्र ॐ क्रीं कालिकाए नमः का जाप करें।
- मंत्र जाप पूरा होने के बाद माता को नारियल, मीठा पान, इमरत, गुड़, नीले फूल अर्पित करें और अब आरती इत्यादि कर प्रसाद वितरित करें।
काली चौदस पर किए जाने वाले विशेष उपाय
प्रेत बाधा हेतु: काली चतुर्दशी के दिन निशीथ काल में काले तिल और सरसों के दाने लेकर माता काली के सामने घुमा दक्षिण दिशा में फेंकने से भूत प्रेत, नजर दोष, भय, बाधा दूर होती है।
दरिद्रता निवारण हेतु उपाय: निशीथ काल में माता काली को काले चने और गुड़ का भोग लगाएं। इसके बाद 11 चने को अपने पर्स में रखें। ऐसा करने से आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।
शत्रु दमन हेतु: काली चतुर्दशी के दिन निशीथ काल में एक नींबू पर चार दिशाओं में चार लौंग गाड़कर ओम क्रीं कालिकाए नमः मंत्र का 21 बार जाप करें और नींबू को किसी निर्जन स्थान पर फेंक दें।
स्वास्थ्य लाभ हेतु: निशीथ काल में माता काली को काले वस्त्र और लौंग अर्पित करें फिर यह लौंग और वस्त्र किसी गरीब महिला को दान करें। इससे तनाव और शारीरिक देखकर परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
काली पूजा के दौरान भूल कर भी क्या ना करें
- निशीथ काल में काली पूजा के दौरान हंसी मजाक विवाद या शोर ना करें।
- इस दौरान मांसाहार, मदिरा इत्यादि का सेवन न करें अन्यथा नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय हो जाती है।
- पूजा से पहले पूजा स्थल की सफाई पर विशेष ध्यान दें।
- पूजा पर बैठते समय दूसरों के प्रति द्वेष या अपशब्द जैसी भावना ना रखें।
- काली पूजा के साथ हनुमान जी की पूजा भी अवश्य करें वे ही आपको नकारात्मक शक्तियों से बचाते हैं।
- इस दौरान यदि आपको तांत्रिक प्रयोग करना चाहते हैं तो सरसों के तेल का दीपक जलाएं उसपर सात बार नींबू घुमाएं और इसे बाहर रख दें। ऐसा करने से घर में नकारात्मकता जीवन भर प्रवेश नहीं करती।
FAQ- Kali Chaudas Nishita Kaal Puja
काली चौदस की पूजा कैसे करें?
काली चौदस की पूजा निशीथ काल में करने का बहुत ही लाभ होता है। वर्ष 2025 में 19 अक्टूबर 2025 को काली चौदस मनाया जाने वाला है और इस दिन निशीथ काल 11:40 से 12:30 तक पड़ने वाला है। ऐसे में यह योग काली साधना, महामृत्युंजय जाप और तंत्र मंत्र सिद्धि के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
काली चौदस के लिए कौन सा मंत्र है?
माता काली को प्रसन्न करने के लिए एक 1008 बार काली के बीज मंत्र ॐ क्रीं कालिकाए नमः का जाप करें।
काली चौदस पर हमें क्या नहीं करना चाहिए?
काली पूजा के दौरान हंसी मजाक विवाद या शोर ना करें। इस दौरान मांसाहार, मदिरा इत्यादि का सेवन न करें अन्यथा नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय हो जाती है।