
Karm ka Pahla Niyam: जैसा कि आप सब जानते हैं कि हम कर्म के 12 सिद्धांतों पर बात करने वाले हैं। इन 12 कर्म सिद्धांतों की श्रृंखला में आज हम बात करेंगे कर्म के पहले सिद्धांत यानी कर्म के सबसे महान नियम की। अक्सर हम सुनते हैं कि लोग कहते हैं उन्होंने जीवन भर अच्छे कर्म किए लेकिन उसका उन्हें फल नहीं मिला। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्होंने कर्म के सबसे महान नियम (Karm ka Pahla Niyam) की अनदेखी की।
जबकि कर्म का यह नियम बेहद सीधा और सरल है लेकिन इस नियम को जीवन में अपनाना इतना आसान भी नहीं है। इस नियम के अनुसार आप जैसा करते हैं वैसा ही आपको फल मिलता है। सुनने में यह बेहद साधारण लगता है, लेकिन इस नियम को समझ कर भी लोग इस नियम का पालन नहीं करते हैं। कर्म के सिद्धांत का यह महान नियम बीज और वृक्ष की तरह काम करता है।
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बीज और वृक्ष का कर्म के महान नियम से संबंध(Karm ka Pahla Niyam)
हमारे किए कार्य बीज की तरह होती हैं। हम जैसे बीज बोते हैं वैसे ही फल हमें प्राप्त होते हैं। अक्सर बोला भी जाता है बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से पाएगा। कहने का तात्पर्य यही होता है कि जब आपने अच्छे कर्म किए ही नहीं है तो आपके साथ अच्छा कैसे होगा। बहुत से लोग यह भी कहते पाए जाते हैं कि हम तो अच्छे कर्म कर रहे हैं लेकिन हमें फल ही नहीं प्राप्त हो रहे हैं। उस समय उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि आपके द्वारा किए गए अच्छे कर्म बीज समान हैं, वह बीज पहले छोटे पौधे बनेंगे फिर विकसित होकर वह वृक्ष बनेंगे और तब कहीं जाकर उन वृक्षों पर फल लगेंगे।
फल की चिंता में कर्म न बिगाड़ें
अगर आप फल की चिंता करते हुए अपने कर्म कर रहे हैं तो आप अपने बीजों को सही से अंकुरित होने का मौका ही नहीं दे रहे हैं। याद रखिए भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद् भागवत गीता में क्या कहा था;
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।
अर्थात, तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने पर है, उसके फल पर नहीं। फल की चिंता करके कर्म मत करो और फल के मोह में पड़कर कर्म करने से मुंह मत मोड़ो। इसलिए अपने जीवन में अच्छे कर्म करने पर ध्यान दें उन कर्मों के फल स्वरुप मिलने वाले फल पर ध्यान ना दें।
कैसे होगा कर्म के इस महान नियम का पालन(Karm ka Pahla Niyam)
याद रखें आपके द्वारा किए गए कर्म सिर्फ भौतिक नहीं होते हैं, बल्कि वह वैचारिक भी होते हैं।
- सिर्फ अच्छा कार्य करने से काम नहीं होगा आपको अच्छा सोचना भी है।
- सिर्फ दूसरों का भला करने से काम नहीं होगा दूसरों के भला करने के बारे में सोचना भी है।
- दया करने के साथ साथ दया करुणा अपने हृदय में बसानी भी है।
इस आसान से नियम का पालन करना अत्यंत कठिन है और लोग कई बार इस रास्ते से भटक भी जाते हैं। वह न सिर्फ लोगों के बारे में बुरा सोचते हैं बल्कि अपने मुख से बुरे-बुरे शब्दों का इस्तेमाल करके अपने कर्मों को बिगाड़ लेते हैं।
याद रखें सामने वाले के कर्म आपके हाथ में नहीं है, लेकिन आपके कर्म आपके हाथ में हैं। इसलिए अपने कर्मों पर, वाणी पर, जितना संयम आपका होगा आपके प्रति प्रकृति का आशीर्वाद उतना ही रहेगा। अधीर होकर फल की चिंता में पड़कर अपने कर्म प्रभावित होने ना दें।
- जीवन में एक सौम्य आचरण विकसित करें।
- भगवान के भजन के साथ-साथ लोगों के भले के लिए अच्छे अच्छे कर्म करें।
- आपसे जितना बन सकता हो आप उतना निस्वार्थ भावना से करें।
प्रभु कृपा रही तो एक दिन आपके कर्मों के बीज जब अंकुरित होकर पौधों के साथ वृक्ष बन जाएंगे तो उनमें अवश्य ही फल लगेंगे। तब तक धैर्य रखें और शांत भाव के साथ अपने कर्म करते जाएं।
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