
Karma ka Teesra Siddhant: हम सब अपनी जिंदगी को बहुत बेहतर बनाना चाहते हैं। हम सब बेहतर मौके बेहतर काम और बेहतर रिश्तों की तलाश में रहते हैं। लेकिन यह बेहद ही कम लोग समझ पाते हैं कि इन सब की नींव सिर्फ और सिर्फ एक गुण नम्रता पर निर्भर है। कर्म का तीसरा सिद्धांत इसी नम्रता के नियम के बारे में बात करता है। यह नियम कहता है कि अगर आप दूसरों को दोष देना बंद कर दें और खुद अपने अनुभवों से सीख कर अपने जीवन में आगे बढ़ें तो जीवन अपने आप आसान लगने लगता है।
क्या कहता है नम्रता का नियम(Karma ka Teesra Siddhant)
नम्रता का नियम यह कहता है कि आप अपने अहंकार को पीछे रखें और अपने अंदर सीखने की ललक को हमेशा आगे रखें। इसका यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि खुद को कम आंकें या झुक जाएं।इसका मतलब यह है कि परिस्थितियों को बिना किसी बहाने के स्वीकार करना और उनसे सीख कर आगे बढ़ जाना।
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बहुत से लोग अक्सर सोचते रहते हैं कि मेरे साथ हमेशा गलत होता हैमुझे हमेशा गलत लोग ही मिलते हैंमेरा तो किस्मत कभी साथ ही नहीं देती है। नम्रता का नियम यह कहता है कि दूसरों में दोष ढूंढने के बजाय अपने ऊपर काम करें। आप जब स्वयं पर काम करेंगे तो शक्ति आपको स्वयं चुन लेगी। इसलिए दूसरों पर दोष देने के बजाय खुद को बेहतर करने पर पूरा ध्यान लगाएँ।
नम्रता का नियम अपनाने से जीवन में क्या बदलाव आते हैं
- जब आप नम्रता का नियम अपना लेते हैं तो सबसे पहले तो आपके सीखने की क्षमता बढ़ जाती है।
- जिससे आपकी प्रतिभा निखरने लगती है और आपको ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलने लगते हैं।
- आपके रिश्तों में भी इस नम्रता के नियम का असर दिखाई देने लगता है। आपके अंदर चलने वाले नकारात्मक विचार धीरे-धीरे कम होते जाते हैं और आप सफलता की पगडंडी पकड़कर आगे बढ़ जाते हैं।
- मानसिक रूप से आप बेहद स्थिर हो जाते हैं और आपके जीवन में चल रही ऊहापोह भी धीरे-धीरे संतुलन में आ जाती है।
- याद रखें आपको अपने ऊपर काम किसी को दिखाने के लिए या किसी और के कहे अनुसार बिल्कुल भी नहीं करना है। यह आप स्वयं अपने लिए कर रहे हैं और यह बात किसी से बताने की भी जरूरत नहीं है।
नम्रता का नियम अपनाने पर यूनिवर्स से साथ क्यों देता है
कर्म का यह सिद्धांत बेहद जादुई है। जैसे ही आप इस सिद्धांत का पालन करना शुरू करते हैं,आपको धीरे-धीरे लगने लगता है कि हर चीज अपने आप हो रही है। जैसे पूरा यूनिवर्स आपके फेवर में काम कर रहा है।ऐसा होने के पीछे एक कारण है और वह कारण आप स्वयं हैं।जी हां दोस्तों जैसे ही आप नम्रता के नियम का पालन करना शुरू करते हैं।
वैसे ही आपके रास्ते की सबसे बड़ी रुकावट आपकी नकारात्मक शक्ति हट जाती है और आप यूनिवर्स के भाव में बहने लगते हैं। यूनिवर्स वही चीज आपके सामने लाता है जो आपके लिए सबसे बेस्ट होती है, इसलिए नम्रता के नियम का पालन करते हुए सीखने रहने से हम यूनिवर्स के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते लगते हैं।
नम्रता के नियम को जीवन में कैसे उतारें(Karma ka Teesra Siddhant)
नम्रता के नियम को जीवन में उतारना बहुत कठिन नहीं है, यह एक बेहद सरल प्रक्रिया है। हमें बस अपने मानसिक तल में होने वाली हलचलों पर काम करना होता है। इसे ऐसे समझें कि अगर सामने से कोई नकारात्मक प्रक्रिया आती है, कोई नकारात्मक चीज होती है तो हमें हमारी प्रतिक्रिया को संयमित रखना है।
इसके साथ ही घटनाओं को वैसे ही स्वीकार करना है जैसे वह घटी हैं। सीखने पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान लगाना है ना कि बहाने बनाने पर। नए अनुभवों से सीखने के बाद यूनिवर्स का धन्यवाद करना है जो आपकी आगे बढ़ने में मदद कर रह है।
याद रखें ये पांच बातें (Karma ka Teesra Siddhant)
कर्म के तीसरे सिद्धांत नम्रता के नियम की यह पांच बातें आपको बिलकुल भी नहीं भूलनी हैं।
- पहली बात दोष देने की मानसिकता को पीछे करके सीखने की मानसिकता को आगे लाना है।
- दूसरी बात दूसरे की कमियां गिनने में अपना वक्त खराब करने की बजाय खुद की कमियां दूर करने और खुद के अंदर शांति स्थापित करने पर कार्य करना है।
- तीसरी बात हर चीज में प्रक्रिया देने की कोई जरूरत नहीं है। आप अपने मन को संतुलन में रखें।अपने प्रति आप जितने ईमानदार रहेंगे उतना आपके लिए बेहतर है। आपको किसी दूसरे को यह चीज बताने की भी कोई जरूरत नहीं है।किसी दूसरे की प्रशंसाया अवहेलना को एक समान ही देखना है।
- चौथा नियम खुद के प्रति नम्र व्यवहार रखें और खुद के व्यवहार को हमेशा जोड़ घटाव लाभ हानि के गणित में ना उलझाएं।
- पांचवी बात खुद के अनुभवों से सीखे और यूनिवर्स को धन्यवाद दें।
इन बातों को ध्यान में रखते हुए अगर हम कर्म के तीसरे सिद्धांत नम्रता के नियम का पालन करते हैं तो यूनिवर्स हमारे जीवन को बेहतर बनाने में हमारा साथ जरूर देगा।
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