ये चमत्कारी Kushmanda Mata Ke Upay अपनाएँ, पाएं माँ कुष्मांडा की असीम कृपा

Kushmanda Mata Ke Upay
Kushmanda Mata Ke Upay

Kushmanda Mata Ke Upay: चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व बड़े ही धूमधाम से देश में मनाया जा रहा है। नवरात्रि के नो दिन हम मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं या नवरात्रि मां की भक्ति में डूबने का समय होता है और नवरात्रि के चौथे (Navratri Ka Chautha Din) दिन मां कुष्मांडा का है। वह देवी माँ जिन्हें भक्त प्रेम से “माँ” कहते हैं और जिनकी मुस्कान ने इस संपूर्ण ब्रह्मांड को जन्म दिया। माँ कूष्मांडा का नाम “कू” (सूक्ष्म), “उष्म” (ऊर्जा), और “अंड” (अंडा) से मिलकर बना है, जो सृष्टि के बीज का प्रतीकरूप है।

कूष्मांडा माँ का प्रिय भोग “कद्दू” है—एक साधारण सब्जी जो उनकी रचनात्मक दैवीय शक्ति का प्रतीक बनती है। आठ भुजाओं वाली माँ कुष्मांडा सिंह पर सवार होती हैं और हृदय चक्र से जुड़ी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ खास उपायों से आप माँ की कृपा तुरंत पा सकते हैं? आइए, आज हम आपको बताते हैं ऐसे चमत्कारी टोटके (Kushmanda Mata Ke Upay) जो पुराणों और वेदों से प्रेरित हैं और आपके जीवन में स्वास्थ्य, धन, और शांति ला सकते हैं।  

सुबह उठते ही करें ये काम, माँ कूष्मांडा होंगी प्रसन्न

नवरात्रि का चौथा दिन माँ कुष्मांडा की कृपा पाने का बेहतरीन अवसर है, इस दिन आप निम्नलिखित उपाय कर के अपने जीवन में सुख और समृद्धि ला सकते हैं(Kushmanda Mata Ke Upay )-

उपाय 1: कच्चे कद्दू का जल में अर्पण

मां कुष्मांडा का प्रिय भोज कद्दू है तो मां की आराधना करने के लिए उन्हें प्रसाद के रूप में कद्दू ही क्यों ना अर्पण किया जाए। नहाने के पश्चात एक साफ कटोरे में पानी भरकर उसमें कद्दू के टुकड़े रखकर मां को अर्पण करें। यह उपाय देवी भागवत पुराण में वर्णित है और शुद्धिकरण का प्रतीक है। मान्यता है कि इससे रोग दूर होते हैं और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है। 

कद्दू और माँ का खास रिश्ता– माँ कूष्मांडा का “कद्दू” से गहरा नाता है। यह सिर्फ भोग नहीं, बल्कि सृष्टि का प्रतीक है। भारतीय संस्कृति में कद्दू को पोषण और उर्वरता से जोड़ा जाता है। पूजा में कद्दू से बने व्यंजन—जैसे कद्दू की खीर या सब्जी चढ़ाएँ। यह माँ को प्रसन्न करता है और घर में सुख लाता है। कद्दू को काटते समय माँ का नाम लें, उनकी ऊर्जा आपके भोजन में समा जाएगी।  

Maa Kushmanda Bhog

उपाय 2: सूर्योदय पर हृदय को दें माँ की शक्ति

सूर्योदय के समय माँ की सौर ऊर्जा सबसे प्रबल होती है। इस समय हरे या पीले वस्त्र पहनकर हृदय चक्र पर ध्यान करें। आँखें बंद कर “ॐ देवी कूष्मांडायै नमः” मंत्र (Kushmanda Devi Mantra) का 108 बार जप करें। यह वेदिक उपाय आध्यात्मिक स्पष्टता और जीवन शक्ति बढ़ाता है। 

उपाय 3: लाल फूल और कुंकुम का जादू

माँ कूष्मांडा की रक्षा शक्ति को जागृत करने के लिए लाल गुड़हल फूल और कुमकुम का अर्पण करें। पूजा के दौरान माँ की मूर्ति के सामने ये चढ़ाएँ और “या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्मांडा रूपेण संस्थिता” मंत्र का जप करें। यह पुराणिक उपाय नकारात्मकता को दूर करता है और घर में सुख-शांति लाता है। 

उपाय 4: रक्त-लाल वस्त्र से पाएं शत्रुओं पर विजय

माँ के अमृत घड़े का प्रतीक रक्त-लाल वस्त्र है। उनकी मूर्ति को इस रंग के कपड़े से ढकें और प्रार्थना करें कि शत्रु आपसे दूर रहें। यह उपाय पुराणों से लिया गया है और मान्यता है कि इससे सुरक्षा का कवच मिलता है। बच्चों को बुरी नजर से बचाने के लिए भी यह कारगर है।  

उपाय 5: केसर और पान का चमत्कार

क्या कोई खास मनोकामना अधूरी है? एक पान का पत्ता लें, उस पर थोड़ा केसर रखें और माँ के सामने रखकर 21 बार मंत्र जप करें। यह प्राचीन रीत माँ की प्रकाशमयी ऊर्जा को आकर्षित करती है। जप के बाद पान को मंदिर में छोड़ दें—इच्छा जल्द पूरी होगी।  

और पढ़ें: ये अनोखे Skandmata Ke Upay देंगे संतान, सुख और समृद्धि

उपाय 6: कमल बीज और शहद का भोग

माँ के कमल प्रतीक से प्रेरित यह उपाय भक्ति बढ़ाने के लिए है। थोड़े शहद में कमल के बीज मिलाएँ और माँ को भोग लगाएँ। इसके बाद इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। यह टोटका मन को शांत करता है और माँ से गहरा जुड़ाव बनाता है।  

उपाय 7: आठ दीपकों का प्रकाश

माँ कूष्मांडा की आठ भुजाएँ उनकी शक्ति का प्रतीक हैं। उनकी मूर्ति के चारों ओर आठ घी के दीपक जलाएँ और समृद्धि की प्रार्थना करें। यह वेदिक प्रथा धन-धान्य बढ़ाती है और घर में सकारात्मकता लाती है। नौकरी में तरक्की के लिए भी यह उपाय अत्यधिक अचूक है।  

उपाय 8: हरित माला से जप

माँ का प्रिय रंग हरा है। हरे रंग की माला से “ॐ देवी कूष्मांडायै नमः” का 108 बार जप करें। यह परंपरागत उपाय शांति और समृद्धि का वरदान देता है। घर में कलह हो तो यह उपाय जरूर आजमाएँ।  

उपाय 9: सूर्य दर्शन के साथ उपवास

माँ कूष्मांडा सूर्य की ऊर्जा से जुड़ी हैं। चौथे दिन उपवास रखें और सूर्योदय के समय उनका नाम जपते हुए सूर्य को देखें। इसके बाद सूर्य को जल अर्पित करें। यह उपाय बहुत कम प्रचलित है,इस उपाय को करने से स्वास्थ्य ठीक रहता है और बीमारियां दूर रहती हैं।

उपाय 10: दुर्गा सप्तशती का पाठ

सृष्टि से जुड़े दुर्गा सप्तशती के अध्यायों का पाठ करें। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, यह अंधेरे को दूर करता है और माँ कूष्मांडा का आशीर्वाद दिलाता है। इसे सुबह या शाम शांत मन से करें—जीवन की सारी बाधाएँ हट जाएंगी।  

ऐसे करें माँ की पूजा

सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और हरे या पीले वस्त्र पहनें। माँ की मूर्ति को फूलों से सजाएँ और कद्दू का भोग लगाएँ। मालपुवा और हलवा भी चढ़ाएँ। मंत्र जप के साथ पूजा करें और अंत में आरती गाएँ। माँ को “माँ कूष्मांडा” कहकर पुकारें—यह संबोधन उनकी ममता को जागृत करता है।  

क्यों खास है चौथा दिन?

माँ कूष्मांडा को ब्रह्मांड की रचयिता कहा जाता है। पुराणों में उन्हें सूर्य के केंद्र में रहने वाली शक्ति माना गया है। उनकी आठ भुजाएँ जीवन के हर पहलू को संभालती हैं। हृदय चक्र से जुड़ी यह माँ प्रेम और शक्ति का स्रोत हैं। उनके ये उपाय न सिर्फ आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ाते हैं, बल्कि रोजमर्रा की समस्याओं से भी निजात दिलाते हैं।    

Kushmanda Mata Ke Upay: यहाँ देखें वीडियो

FAQ- Kushmanda Mata Ke Upay

मां कुष्मांडा का प्रिय भोग क्या है?

मां कुष्मांडा का प्रिय भोग कद्दू से बने व्यंजन जैसे कद्दू की खीर या कद्दू की सब्जी इत्यादि है।

कुष्मांडा किसका प्रतीक है?

कुष्मांडा आदिशक्ति और ज्ञान का प्रतीक मानी जाती हैं।

कुष्मांडा देवी किसकी सवारी करती हैं?

कुष्मांडा देवी शेर की सवारी करती हैं।

कुष्मांडा देवी का मंत्र क्या है?

कुष्मांडा देवी का मंत्र “ॐ देवी कूष्मांडायै नमः” है।

कुष्मांडा देवी का दूसरा नाम क्या है?

कुष्मांडा देवी का दूसरा नाम अष्टभुजा देवी है क्योंकि उनकी आठ भुजाएं हैं।

Anu Pal

मैं अनु पाल, Wisdom Hindi ब्लॉग की फाउंडर हूँ। मैं इंदौर मध्य प्रदेश की रहने वाली हूं। मैं एक ब्लॉगर और Content Writer के साथ-साथ Copy Editor हूं और 5 साल से यह काम कर रही हूं। पढ़ने में मेरी विशेष रूचि है और मैं धर्म, आध्यात्म, Manifestation आदि विषयों पर आर्टिकल्स लिखती हूं।

Share This Article:

1 thought on “ये चमत्कारी Kushmanda Mata Ke Upay अपनाएँ, पाएं माँ कुष्मांडा की असीम कृपा”

Leave a Comment

Exit mobile version