
Nariyal Purnima Ka Mahatva: नारियल पूर्णिमा जिसे नरली पूर्णिमा या श्रावणी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है हिंदू धर्म का एक खास त्यौहार है। यह त्यौहार खास तौर पर भारत के पश्चिमी तटीय क्षेत्र खासकर महाराष्ट्र और कोंकण क्षेत्र में उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस साल यह त्यौहार 9 अगस्त को मनाया जाएगा। नारियल पूर्णिमा समुद्र देव और वरुण देव की पूजा और मछुआरों के मछली पकड़ने के नए मौसम की शुरुआत को दर्शाती है। इसी दिन रक्षाबंधन और श्रावणी उपाकर्म जैसे अन्य महत्वपूर्ण हिन्दू त्यौहार भी मनाए जाते हैं। आज हम नारियल पूर्णिमा 2025 की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र और धार्मिक-सांस्कृतिक महत्व (Nariyal Purnima Ka Mahatva) के बारे में बात करेंगे।
नारियल पूर्णिमा का महत्व
नारियल पूर्णिमा मछुआरा समुदाय और समुद्र तट के क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए खासी महत्वपूर्ण है (Nariyal Purnima Ka Mahatva) नारली शब्द मराठी भाषा में नारियल के लिए प्रयोग किया जाता है। नारियल पूर्णिमा के दिन समुद्र को नारियल अर्पित करने की परंपरा है जो वरुण देवता को प्रसन्न करने और मछली पकड़ने के मौसम में उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
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प्राचीन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एक बार समुद्र की उग्रता नहीं मछुआरों को भयंकर तूफान में फंसा दिया है तब उन्होंने वरुण देवता से प्रार्थना की। तब वरुण देवता ने आकर समुद्र को शांत किया। तब से मछुआरे इस दिन समुद्र को नारियल अर्पित करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन समुद्र की पूजा करने से मछुआरों को भरपूर मछलियां प्राप्त होती हैं। साथ ही वह समुद्र की विपदाओं से सुरक्षित रहते हैं।
इसके अलावा नारियल पूर्णिमा का संबंध भगवान शिव से भी है क्योंकि नारियल की तीन आंखें भगवान शंकर का प्रतीक मानी जाती हैं। यह त्यौहार प्रकृति के प्रति आभार और सम्मान प्रदर्शित करने का भी अवसर है। मछुआरे समुद्र में अपनी नाव उतरते हैं क्योंकि मानसून के बाद समुद्र की हवाएं और दिशाएं मछली पकड़ने के लिए अनुकूल हो जाती हैं।
नारियल पूर्णिमा की पूजा विधि
नारियल पूर्णिमा की पूजा बहुत सरल है। यह पूजा घर के अलावा समुद्र तट पर भी की जा सकती है। आइये जाने इस पूजा की विधि (Nariyal Purnima Puja Vidhi)
प्रातःकाल स्नान और सफाई- सुबह जल्दी उठकर खुद को स्वच्छ करें और साफ कपड़े पहने। इस पूजा में मानसिक और शारीरिक शुद्धता का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। अपने घर के पूजा स्थल को भी गंगाजल से शुद्ध करें।
पूजा सामग्री एकत्रित करें- नारियल पूजा के लिए सामग्री के रूप में नारियल, फूल, फल, धूप, दीप, कुमकुम, हल्दी, चंदन, अक्षत, पंचामृत, सूखे मेवे और मिठाई लाएँ साथ में पूजा के लिए जल से भरा हुआ एक कलर और केले का पत्ता लाएँ।
पूजा स्थल की तैयारी- एक लकड़ी की चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर उसे पर भगवान वरुण भगवान शिव और माता लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। अब एक नारियल को पीले कपड़े में लपेटकर केले के पत्तों पर सजाएँ।
ऐसे करें पूजा- पूजा के स्थल पर घी का दीपक और धूप बत्ती जलाकर भगवान वरुण और शिव का ध्यान करते हुए इन मंत्रों का जाप करें (Narali Purnima Mantra)-
- वरुण देव मंत्र- ॐ वं वरुणाय नमः
- शिव मंत्र- ॐ नमः शिवाय
- लक्ष्मी मंत्र- ॐश्रींह्रीं श्रींकमलेकमलालये प्रसीदप्रसीद श्रींह्रीं श्रींमहालक्ष्म्यैनमः
उसके बाद नारियल को कुमकुम हल्दी और चंदन से तिलक करें। फिर उसपर फूल अक्षत और मिठाई अर्पित करें। भगवान वरुण को जल और पंचामृत से अभिषेक करें।
समुद्र तट पर पूजा की विधि- अगर आप समुद्र तट पर पूजा कर रहे हैं तो नारियल को समुद्र की ओर रखकर विधि व्रत पूजा करें। फिर नारियल को समुद्र में अर्पित कर दें और यह प्रार्थना करें कि वरुण देव मछुआरों की रक्षा करें और भरपूर मछलियां प्रदान करें। अंत में धूप और दीप जलाकर दे समुद्र को अर्घ्य दें। पूजा के बाद भगवान वरुण और शिव की आरती करें और प्रसाद को अपने रिश्तेदारों, मित्रों और जरूरतमंदों में बाँटें।
व्रत और भोजन- नारियल पूर्णिमा के दिन फलाहार व्रत रखा जाता है जिसमें नारियल से बने व्यंजन जैसे नारली भात और नारियल की मिठाई भोजन के रूप में ग्रहण की जाती है।
नारियल पूर्णिमा 2025: शुभ मुहूर्त
2025 में नारियल पूर्णिमा 9 अगस्त को मनाई जाएगी और हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि का समय कुछ इस तरह है-
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 08 अगस्त 2025, दोपहर 02:12 बजे
- पूर्णिमा तिथि समापन- 09 अगस्त 2025, दोपहर 01:24 बजे
- शुभ पूजा मुहूर्त- सुबह 07:27 बजे से सुबह 09:07 बजे तक
अलग-अलग क्षेत्रों में समय में थोड़ा अंतर हो सकता है। पूजा के लिए सुबह का समय और चंद्रोदय के बाद का समय खास तौर पर शुभ माना जाता है।
इस प्रकार नारियल पूर्णिमा प्रकृति और मानव के बीच के पारस्परिक संबंध को दर्शाता हुआ एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। आज हमने इस त्यौहार के महत्व के बारे में जाना और साथ ही इसकी पूजा विधि को भी समझा ऐसे ही जरूरी आर्टिकल्स के लिए हमसे जुड़े रहें।
FAQ- Nariyal Purnima Ka Mahatva
नारली पूर्णिमा के महत्वपूर्ण है?
नारली पूर्णिमा मछुआरा समुदाय और समुद्र के तट पर रहने वाले क्षेत्र के लोगों का महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह पूर्णिमा मछली पकड़ने के मौसम का प्रतीक है इसमें मछुआरे लोग समुद्र को नारियल अर्पित करके वरुण देव सेप्रार्थना करते हैं कि उन्हें भरपूर मछलियां प्राप्त हो तथा विपत्तियों से उनकी रक्षा हो।