नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की आराधना से मिलेगी लंबी उम्र

Navratri Ka Chautha Din Maa Kushmanda
Navratri Ka Chautha Din Maa Kushmanda

Navratri Ka Chautha Din Maa Kushmanda: नवरात्र का चौथा दिन मां कुष्मांडा को समर्पित होता है। मां कुष्मांडा को ब्रह्मांड का रचनाकार माना जाता है क्योंकि उन्होंने अपने दिव्य मुस्कान और हंसी से ब्रह्मांड की रचना की थी। मां कुष्मांडा का रूप पूरी सृष्टि को ऊर्जा देता है। मां कुष्मांडा को अष्टभुजा वाली देवी भी कहा जाता है, उनकी आठ भुजाएं हैं। उनके 8 हाथों में चक्र, धनुष, कमंडल, बाण, कमल, अमृत कलश, गदा और जप माला होती है। 

शेर पर सवार मां कुष्मांडा सूर्य लोक में निवास करती हैं। इनके पूजन से साधक को अच्छा स्वास्थ, दीर्घ आयु, ऐश्वर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मां कुष्मांडा की आराधना से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, रोग व्याधियाँ दूर होती हैं। मां कुष्मांडा को आदिशक्ति और आदि स्वरूप भी कहा जाता है। इनकी आराधना करने से लंबी उम्र की प्राप्ति होती है और कष्ट रोग इत्यादि दूर होते हैं। 2025 में नवरात्रि का चौथा दिन 25 सितंबर गुरुवार को मनाया जाएगा।

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चतुर्थ दिवस तिथि पूजा महुर्त 

नवरात्रि की चतुर्थ तिथि का आरंभ 24 सितंबर रात 11: 28 मिनट से होगा और इसका समापन 25 सितंबर रात 11:45 पर होगा। पूजन का शुभ मुहूर्त प्रात काल का माना गया है इसलिए मां कुष्मांडा की पूजा के लिए सुबह 6:11 से 09:08 तक का समय मां की आराधना और पूजा के लिए अत्यंत उत्तम है इस समय में की गई पूजा विशेष फलदाई होती है

4th Day of Navratri Mata Name

चतुर्थी तिथि का शुभ रंग

मां कुष्मांडा को पीला रंग प्रिय होता है। पीला रंग, ख़ुशी, ऊर्जा, उत्साह का और अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है। यदि इस दिन भक्त पील रंग के वस्त्र पहन के पूजा करता है तो उसे मानसिक शांति अध्यात्मिक उत्थान का आशीर्वाद मिलता है।

मां कुष्मांडा का प्रिय भोग(4th Day of Navratri Prasadam)

मां कुष्मांडा को मालपुआ और कद्दू से बने व्यंजन अत्यंत प्रिय होते हैं। भक्तों को इस दिन मां कुष्मांडा को मालपुआ, कद्दू से बने हुए व्यंजन और शुद्ध घी से बने हुए पकवानों का भोग लगाना चाहिए। इससे समृद्धि आती है और साधक को उत्तम आरोग्य का वरदान प्राप्त होता है।

4th Day of Navratri Prasadam

चतुर्थ तिथि की रात्रि साधना का महत्व

मां कुष्मांडा की रात में की गई साधना साधक को आंतरिक ऊर्जा और रोगों से मुक्ति प्रदान करती है। रात्रि में साधक को नारंगी आसन पर बैठकर और नारंगी वस्त्र पहनकर तिल के तेल का दीपक जलाकर “ॐ कुष्मांण्डाय नमः” का 108 बार जाप करना चाहिए। इस प्रकार की साधना से साधक के जीवन से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और नई ऊर्जा का संचार उसके जीवन में होता है।

चतुर्थ तिथि पर माता को प्रसन्न करने के उपाय

  • इस दिन जरूरतमंद को मालपुआ, कद्दू , नारंगी वस्त्र का दान करना विशेष फल देता है। 
  • गरीब और जरूरतमंद लोगों को फल और भोजन का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। 
  • रोग और शोक पीड़ित व्यक्ति अगर मां कुष्मांडा की आराधना करता है तो वह जल्दी ही अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करता है। 
  • इस दिन घर में मिट्टी का दीपक जलाने से घर का वातावरण पवित्र होता है और घर में शांति बनी रहती है।

इस प्रकार मां कुष्मांडा की चौथे दिन पर पूजा अर्चना कर के मां का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।

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चौथे दिन का भोग क्या है?

नवरात्रि का चौथा दिन जो की मां कुष्मांडा को समर्पित है इस दिन माता को मालपुए का भोग लगाया जाता है इसके अलावा उन्हें कद्दू से बनी चीज भी भोग के रूप में अर्पित की जा सकती है। 

माता कुष्मांडा को कौन सा फूल पसंद है?

माता कुष्मांडा को पीले रंग के फूल या चमेली का फूल चढ़ाया जाता है। यह फूल चढ़ाने से भक्त को लंबी उम्र और आरोग्य जीवन मिलता है।

Anu Pal

मैं अनु पाल, Wisdom Hindi ब्लॉग की फाउंडर हूँ। मैं इंदौर मध्य प्रदेश की रहने वाली हूं। मैं एक ब्लॉगर और Content Writer के साथ-साथ Copy Editor हूं और 5 साल से यह काम कर रही हूं। पढ़ने में मेरी विशेष रूचि है और मैं धर्म, आध्यात्म, Manifestation आदि विषयों पर आर्टिकल्स लिखती हूं।

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