
Rama Ekadashi Katha in Hindi: रमा एकादशी कार्तिक महीने की पहली एकादशी है जो चातुर्मास और दामोदर मास में आती है। यह दिन भगवान कृष्ण और राधा रानी के प्रति भक्ति को समर्पित है और इसका बहुत ही महत्व माना जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार रमा एकादशी का व्रत करने से न केवल धर्म आर्थिक काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है बल्कि भक्त को भगवान श्री कृष्ण की शुद्ध भक्ति का अनुभव भी होता है। यह मृत शरीर और मां की शुद्धता के साथ-साथ भगवान के प्रति प्रेम को बढ़ाने का एक उत्तम अवसर है आज इसलिए के माध्यम से हम रमा एकादशी के महत्व उसकी कथा और पूजा विधि के बारे में जानेंगे।
रमा एकादशी का महत्व| Rama Ekadashi ka Mahatva
रमा एकादशी का व्रत भगवान कृष्ण और राधा रानी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस व्रत को करने से भक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसे भगवान का आशीर्वाद मिलता है। यह घटना केवल भक्ति पिक्चर को पूरी करता है बल्कि आत्मिक शांति और भगवान के प्रति प्रेम भक्ति को भी जगाता है स्कंद पुराण में उल्लेख है कि शुद्ध भक्तों के संग में यह व्रत करने से वक्त को भगवान कृष्ण की परम भक्ति प्राप्त होती है जिसके सामने सांसारिक सुख बहुत ही छोटे महसूस होते हैं।
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रमा एकादशी व्रत की पूजा विधि
रमा एकादशी का व्रत तीन दिनों चलने वाला व्रत है जिसमें दशमी, एकादशी और द्वादशी शामिल है। प्रत्येक दिन के लिए विशेष नियम और विधियां निर्धारित हैं जो इस तरह है-
दशमी के दिन (व्रत से एक दिन पहले)
- रमा एकादशी व्रत की तैयारी दशमी तिथि से शुरू होती है इस दिन रात में अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए। शाम होने से पहले हल्का सात्विक भोजन करना चाहिए।
- इस दिन मन और शरीर को शुद्ध करने के लिए भगवान का ध्यान और हरे कृष्ण महामंत्र का जब शुरू कर सकते हैं।
एकादशी के दिन
एकादशी का दिन व्रत का मुख्य दिन होता है जिसमें पूर्ण श्रद्धा से व्रत के नियमों का पालन करना होता है-
- इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें। सूर्योदय के बाद सोना आयु और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है।
- स्नान आदि करके स्वयं को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वच्छ करें। गंगाजल छिड़क कर घर को पवित्र करें।
- गंगाजल हाथ में लेकर रमा एकादशी व्रत का संकल्प लें और मंत्र का उच्चारण करें या संकल्प भगवान के प्रति आपकी भक्ति और व्रत के प्रति आपकी निष्ठा को दर्शाता है।
- घर में भगवान की मंगला आरती करें। यदि संभव हो तो मंदिर में जाकर दर्शन करें।
- उसके पश्चात तुलसी की पूजा करें तुलसी के सामने घी का दीपक जलाएं और आरती करें कम से कम तीन बार तुलसी की परिक्रमा करें।
- तुलसी के सामने बैठकर हरे कृष्ण महामंत्र का जाप करें आप कम से कम 8, 16, 25 या 32 माला का जाप कर सकते हैं।
- पूरे दिन अन्न का सेवन न करें यदि पूर्ण उपवास संभव न हो तो फल, दूध या सूखे मेवे या एकादशी के लिए बनाया गया अन्न रहित प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं।
- दिन भर हरे कृष्ण महामंत्र का जाप करें। भगवत गीता श्रीमद् भागवत जैसे ग्रंथों का अध्ययन करें और भगवान की कथाएं सुनें। झूठ बोलने निंदा करने जैसी बुरी चीजों से बचें।
- संध्या के समय भगवान और तुलसी के पेड़ के सामने घी का दीपक जलाएं और हरे कृष्ण महामंत्र का कीर्तन करें। यदि सम्भव हो तो रात्रि जागरण करें।
द्वादशी के दिन
- द्वादशी के दिन निर्धारित समय के भीतर व्रत का पारण करें। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और भगवान की मंगला आरती करें।
- पारण से पहले किसी योग्य ब्राह्मण या वैष्णव को दान दें इसके बाद भगवान को अर्पित किए गए अन्न प्रसाद के साथ व्रत पूर्ण करें।
रमा एकादशी की पौराणिक कथा| Rama Ekadashi Katha in Hindi
रमा एकादशी की कथा एक धर्म परायण राजा मुचुकुंद से जुड़ी है। राजा मुचुकुंद भगवान विष्णु के परम भक्त थे और उनकी एक पुत्री चंद्रभागा थी। चंद्रभागा का विवाह शोभन नामक राजकुमार से हुआ जो चन्द्रसेन नामक राजा का पुत्र था। शोभन भी भगवान विष्णु का भक्त था लेकिन उसका स्वास्थ्य बहुत कमजोर था।
एक बार चंद्रभागा रमा एकादशी के मौके पर अपने पति के साथ अपने पिता के राज्य आई। राजा मुचुकुंद के राज्य में एकादशी व्रत का पालन अनिवार्य था। शोभन ने भी व्रत रखने का संकल्प लिया लेकिन उसकी शारीरिक कमजोरी के कारण चंद्रभागा को चिंता हुई। उसने अपने पिता से अनुरोध किया कि शोभन को व्रत से छूट दी जाए, लेकिन राजा ने कहा कि एकादशी का व्रत सभी के लिए अनिवार्य है और इसे तोड़ना पाप है।
शोभन ने दृढ़ संकल्प के साथ व्रत शुरू किया। उसने पूरे दिन उपवास रखा, भगवान विष्णु की पूजा की और हरे कृष्ण महामंत्र का जप किया। परंतु, उसकी कमजोर शारीरिक स्थिति के कारण रात में उसकी मृत्यु हो गई। चंद्रभागा और राजा मुचुकुंद बहुत दुखी हुए, लेकिन भगवान विष्णु ने शोभन की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे अपने धाम में स्थान दिया। शोभन की आत्मा को बैकुंठ धाम में प्रवेश मिला और उसकी भक्ति की ख्याति चारों ओर फैल गई।
इस कथा से यह संदेश मिलता है कि रमा एकादशी का व्रत श्रद्धा और निष्ठा से करने पर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, और भक्त की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। यह कथा भक्तों को प्रेरित करती है कि कमजोर शरीर के बावजूद भक्ति और संकल्प की शक्ति से भगवान की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
FAQ- Rama Ekadashi Katha in Hindi
रमा एकादशी पर क्या दान करें?
रमा एकादशी पर अनाज, वस्त्र और फल इत्यादि का दान करें। किसी जरूरतमंद या ब्राह्मण को ही इन वस्तुओं का दान करें।
रमा एकादशी के दिन क्या करना चाहिए?
रमा एकादशी के दिन व्रत के साथ-साथ हरे कृष्ण महामंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन झूठ बोलना या निंदा करने जैसी चीजों से बचना चाहिए।