Bhima Shankar Mahadev: यहाँ शिव के पसीने से बनी थी भीमा नदी

नमस्कार दोस्तों 12 ज्योतिर्लिंग की सीरीज में आज चर्चा होगी Bhima Shankar Mahadev की। पुणे से 110 किलोमीटर की दूरी पर सहयाद्रि पर्वत श्रृंखला पर बसा हुए Bhimashankar Jyotirlinga 12 ज्योतिर्लिंगों में छठवां है। इस ज्योतिर्लिंग के भीमाशंकर नाम के पीछे की कथा बहुत रोचक है। 

Bhima Shankar Mahadev
Bhima Shankar Mahadev

अपनी आज के इस आर्टिकल में हम Bhima Shankar Mahadev से जुड़ी उस रोचक कहानी को तो जानेंगे ही और साथ ही जानेंगे इस मंदिर का इतिहास इससे जुड़े रहस्य और इससे जुड़े सभी महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में। अतः इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग| Bhima Shankar Mahadev

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भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इसका कारण है कि इस मंदिर का शिवलिंग काफी बड़ा और मोटा है। इस मंदिर के पास में ही भीमा नदी बहती है जो बाद में कृष्णा नदी से मिल जाती है। यह नदी भीमाशंकर गांव से निकलती है आपको बता दें कि महाराष्ट्र में तीन ज्योतिर्लिंग स्थित हैं और Bhima Shankar Mahadev उन्हीं में से एक हैं। 

 Bhima Shankar Mahadev के बारे में या मान्यता है कि सूरज उगने के बाद इस मंदिर के दर्शन करने से व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते हैं।

भीमाशंकर महादेव मंदिर की मुख्य जानकारी

मंदिर का नाम भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (भीमाशंकर Jyotirlinga)
प्रमुख देवता भगवान शिव 
स्थापना 13वीं शताब्दी में 
मन्दिर का निर्माण छत्रपति शिवाजी 
मन्दिर का पुनर्निर्माण नाना फडवनीस
मन्दिर खुलने का वक़्त सुबह 4:30 बजे

भीमाशंकर मन्दिर का इतिहास| Bhimashankar Temple History 

Bhima Shankar Mahadev मंदिर शैव परंपरा का एक महत्वपूर्ण मंदिर है। इस मंदिर का विवरण शिव पुराण में मिलता है। यह मंदिर मराठा शासक शिवाजी से भी संबंधित है। उन्होंने इस मंदिर के निर्माण में अपना योगदान दिया साथ ही यहां आने वाले भक्तों के लिए कई तरह की सुविधा उपलब्ध करवाई थी।

इस मंदिर के पास कई कुंड हैं जिन्हें ज्ञान कुंड, मोक्ष कुंड, कुशार्णय कुंड, सर्व तीर्थ कुंड कहा जाता है। इनमें से मोक्ष कुंड कौशिक ऋषि से संबंधित है। वहीं कुशार्णय कुंड का निर्माण भीमा नदी से हुआ है।

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भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर की वास्तुकला| Bhimashankar Temple Architecture

कहा जाता है कि यह मंदिर 13वीं शताब्दी से उपस्थित है। Bhima Shankar Mahadev की स्थापना नागर शैली में की गई है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू है, जो मंदिर के गर्भ ग्रह के ठीक बीच में स्थित है। मंदिर का गर्भ ग्रह इंडो आर्यन शैली में बनाया गया है, इसके निर्माण में स्वदेशी पत्थरों का उपयोग किया गया है। मंदिर की चौखट और खम्बों में देवताओं की आकृतियां उकेरी गई हैं। मंदिर के सभा मंडप और शिखर का निर्माण नाना फड़वनीस 18वीं शताब्दी में किया था।

Bhimashankar Temple के पास ही देश भर में प्रसिद्ध कमलजा मंदिर भी स्थित है। इस मंदिर की मुख्य देवी कमलजा माता को पार्वती का अवतार माना गया है।

Bhimashankar Jyotirlinga की कथा| Bhimashankar Jyotirlinga Story in Hindi

इस आर्टिकल की शुरुआत में हमने आपको बताया था कि Bhima Shankar Mahadev के निर्माण से एक बहुत ही रोचक कथा जुड़ी हुई है। चलिए हम जानते हैं क्या है वह कहानी- 

शिव पुराण में वर्णित कथा के अनुसार रावण के भाई कुम्भकर्ण ने कर्कटी नामक राक्षसी से विवाह किया था। जब भगवान राम ने कुंभकरण का वध किया तब कर्कटी गर्भवती थी। कुछ समय बाद उसने पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम भीम रखा गया। जब भीम को अपने पिता की चले द्वारा हत्या किए जाने के बारे में पता लगा तब उसके मन में भगवान राम से प्रतिशोध लेने की इच्छा उत्पन्न हुई।

मगर वह जानता था कि भगवान आराम से युद्ध में जीतना आसान नहीं है। इसलिए उसने ब्रह्मा देव की कठोर तपस्या शुरू की। उसकी तपस्या से भगवान ब्रह्मा प्रसन्न हुए और उसे जीत का वरदान दिया। 

वरदान पाने के बाद भीम ने अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करते हुए आम जनों को परेशान करना शुरू कर दिया। यहां तक कि उसने देवताओं को भी बहुत परेशान किया। इसलिए देवताओं को भगवान शंकर से अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना करनी पड़ी।

तब भगवान शिव ने देवताओं को भीम का वध करने का वचन देते हुए उन्हें अभय प्रदान किया। एक दिन भीम ने कामरूपेश्वर नामक राजा को शिवलिंग की पूजा करते हुए देखा। तब उसने राजा से कहा कि वह शिवलिंग की पूजा करने की बजाय उसकी पूजा करें। जब राजा ने ऐसा करने से मना कर दिया तो भीम ने उन्हें बंदी बना लिया।

तब राजा कामरूपेश्वर में कारागार में ही शिवलिंग की स्थापना कर पूजा करना शुरू की यह देखकर भीम बहुत क्रोधित हुआ। और उसने उसे कारागार में बने शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास किया तभी भगवान शिव उस जगह पर प्रकट हुए और उन्होंने भीम के साथ भयंकर युद्ध किया जिसमें भीम की हार हुई। 

भीम के संहार के बाद सभी देवता उपस्थित हुए और उन्होंने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे इस स्थान पर हमेशा के लिए विराजित हो जाएं। इस प्रकार भीमाशंकर महादेव मंदिर की स्थापना हुई भीम श्री युद्ध के कारण इसका नाम भीमाशंकर पड़ा।

Bhimashankar Jyotirlinga के रहस्य और अद्भुत तथ्य|Bhimashankar Jyotirlinga Interesting Facts

Bhimashankar Jyotirlinga से जुड़े पूछे रहस्य और तथ्य काफी प्रसिद्ध है, जिनके बारे में भक्तों को अवश्य जानना चाहिए। चलिए हम जानते हैं भीमाशंकर महादेव मंदिर से जुड़े प्रमुख रहस्य और इससे जुड़ी रोचक बातें।

भीमाशंकर नाम से प्रसिद्ध हैं दो मंदिर

भीमाशंकर मंदिर की स्थिति को लेकर अक्सर लोगों में गलतफहमी होती है कुछ लोगों का मानना है कि असली भीमाशंकर मंदिर महाराष्ट्र में है वहीं कुछ लोग का मानना है असम के कामरूप में स्थित भीमाशंकर मंदिर असली है । जबकि वास्तव में महाराष्ट्र में स्थित भीमाशंकर मंदिर ही असली ज्योतिर्लिंग है।

भगवान शंकर के पसीने से हुआ है भीमा नदी का निर्माण

पुराणों में मान्यता है कि जब भगवान शंकर और भीम राक्षस के बीच युद्ध हो रहा था तब भगवान शंकर के पसीने की एक बूंद धरती पर गिरी। इस पसीने की बूंद से ही भीमा नदी का निर्माण हुआ है।

यहां पर पाई जाती हैं दुर्लभ जड़ी बूटियां

भीमाशंकर मंदिर जिस पहाड़ी पर स्थित है वह सहयाद्री के नाम से विख्यात है। इसके बारे में कहा जाता है कि यहां पर पाए जाने वाली वनस्पतियां और जड़ी बूटियां अत्यंत दुर्लभ हैं और भी देश में कहीं दूसरी जगह पर नहीं मिलती हैं।

Steps in Bhimashankar Temple

भीमाशंकर मंदिर ऊंचाई पर स्थित है। इसलिए मंदिर तक पहुंचने के बाद मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों से जाना होता है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 230 सीढ़ियां चढ़कर जाना होता है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे?|How to Reach Bhimashankar Temple

इस आर्टिकल की शुरुआत में हम बता चुके हैं कि Bhima Shankar Mahadev पुणे में स्थित है। इसलिए इसे Pune Jyotirlinga Name से भी पुकारा जाता है। Bhima Shankar Mahadev मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको पहले पुणे पहुंचना होगा क्योंकि पुणे शहर देश के सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है और यहां पहुंचने के लिए आप रेल सड़क या हवाई मार्ग के विकल्प उपलब्ध हैं।

Pune से Bhimashankar Jyotirlinga तक की Distance 110 किलोमीटर की है। जिसके लिए आप अपना निजी वाहन या फिर बस या टैक्सी के द्वारा यात्रा करके पहुंच सकते हैं। यदि आप बस से यात्रा करना चाहते हैं तो हम आपको बता दें कि पुणे से सुबह 5:30 से लेकर शाम 4:00 बजे तक की बस सेवा Bhima Shankar Mahadev मंदिर के लिए उपलब्ध है।

Bhimashankar Temple Timings और महत्वपूर्ण जानकारी  

हम आपको बता दें कि Bhima Shankar Mahadev मंदिर सुबह 4:30 से लेकर रात को 9:00 बजे तक खुला रहता है। भक्त लोग सुबह 5:00 बजे से मंदिर के दर्शन करके पुष्प व प्रसाद अर्पित कर सकते हैं। मंदिर दोपहर में 3:00 बजे बंद किया जाता है जो लगभग 45 मिनट बाद खुलता है।

Bhima Shankar Mahadev के दर्शन के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

अगर आप ठीक तरह से Bhima Shankar Mahadev के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको सुबह के समय यहां पहुंचना ज्यादा अच्छा रहेगा क्योंकि इस समय भीड़ कम होती है और आप अच्छी तरह से दर्शन कर सकते हैं। दोपहर के समय मंदिर में भीड़ बहुत अधिक होती है इसलिए पूजा करना थोड़ा मुश्किल होता है।

Bhima Shankar Mahadev Aarti Timing

Bhima Shankar Mahadev मंदिर में सुबह 4:30 बजे पहली आरती होती है। उसके बाद दोपहर 12:00 बजे नैवेद्य पूजा एवं आरती की जाती है और मंदिर में अंतिम आरती शाम को 7:30 बजे की जाती है।

निष्कर्ष| Conclusion: Bhima Shankar Mahadev 

12 दिव्य ज्योतिर्लिंगों में से एक Bhimashankar Temple के दर्शन का अनुभव बहुत ही दिव्य एवं शांति प्रदान करने वाला है। भगवान शिव में आस्था रखने वाले सभी भक्तों के लिए यह पावन तीर्थ हैं।

आने वाले आर्टिकल्स में हम बाकी के ज्योतिर्लिंगों के बारे में चर्चा करेंगे। अतः ऐसे ही महत्वपूर्ण आर्टिकल्स के लिए हमसे जुड़े रहें

Bhimashankar Temple: यहाँ देखें वीडियो 

FAQ 

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कहां पर है?

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पुणे में स्थित है।

पुणे से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की दूरी?

पुणे से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की दूरी 110 किलोमीटर है।

भीमाशंकर में क्या खास है?

भीमाशंकर में भगवान शिव का शिवलिंग काफी बड़ा और मोटा है इसी कारण यहां से लोग मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जानते हैं।

भीमाशंकर महादेव कौन से राज्य में है?

भीमाशंकर महादेव मंदिर महाराष्ट्र में स्थित है यह महाराष्ट्र में स्थित तीन ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

भीमाशंकर की चढ़ाई कितनी है?

भीमाशंकर मंदिर तक पहुंचाने के लिए 230 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग किसे जाना चाहिए?

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग सपरिवार जाना चाहिए। श्रावण मास में इस मंदिर में दर्शन करने का विशेष महत्व है।

भीमाशंकर में वीआईपी दर्शन का कितना खर्चा है?

भीमाशंकर में वीआईपी दर्शन के लिए ₹500 प्रति व्यक्ति खर्च करना पड़ता है।

शिरडी से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कितनी दूरी पर है?

शिरडी से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग 127 किलोमीटर की दूरी पर है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कब जाना चाहिए?

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग में मूल रूप से दर्शन पाने के लिए सुबह 5:00 बजे से पहले वहां पहुंचना चाहिए।

असली भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कौन सा है?

महाराष्ट्र के पुणे में स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग ही असली है।

Anu Pal

मैं अनु पाल, Wisdom Hindi ब्लॉग की फाउंडर हूँ। मैं इंदौर मध्य प्रदेश की रहने वाली हूं। मैं एक ब्लॉगर और Content Writer के साथ-साथ Copy Editor हूं और 5 साल से यह काम कर रही हूं। पढ़ने में मेरी विशेष रूचि है और मैं धर्म, आध्यात्म, Manifestation आदि विषयों पर आर्टिकल्स लिखती हूं।

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