
7th Day of Navratri Maa kalratri: शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि की समर्पित होता है। मां दुर्गा का यह स्वरूप अत्यंत उग्र, शक्तिशाली, दुष्ट शक्तियों का नाश करने वाला माना जाता है। कालरात्रि का अर्थ होता है अंधकार का नाश करने वाली। मां की उपासना से जीवन से अंधकार दूर होकर नया उजाला भर जाता है।
मां कालरात्रि का रूप कृष्ण वर्ण, खुले बिखरे हुए बाल, गले में मुंड माला, तीन नेत्र और चार भुजाओं वाला होता है। वो गधे( गर्दभ)पर सवार होती है, उनके एक हाथ में वरमुद्रा और एक हाथ में अभय मुद्रा होती है और एक हाथ में लोहे का हथियार और कांटा होता है। दिखने में भयंकर दिखने वाली मां अत्यंत करुणामयि और अत्यंत शुभ फल देनी वाली होती है।
मां दुर्गा का रूप उग्र और भयानक होने के बावजूद भी अत्यंत शुभ फल देने वाला माना जाता है, इसलिए उन्हे शुभशंकरी भी कहा जाता है। वे दुष्टो और नकारात्मक शक्तियों का विनाश करती है। इनकी आराधना करने से जीवन की सारी बाधाए दूर हो जाती है। 2025 में नवरात्र का सातवां दिन 29 सितंबर को दिन सोमवार को मनाया जाएगा।
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2025 में सप्तमी तिथि पूजा महूर्त
नवरात्रि का सातवां दिन 29 सितंबर 2025 सोमवार को मनाया जाएगा। सप्तमी तिथि का आरंभ 28 सितंबर रात 10:50 से होगा समाप्ति 29 सितंबर को 7:52 पर होगी। पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय प्रातः काल का रहेगा। प्रातः काल 04: 37 मिनट से 05:25 मिनट तक का समय मां कालरात्रि की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ है। इस समय पर कालरात्रि की उपासना करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है
मां कालरात्रि का प्रिय भोग
मां कालरात्रि को गुड़ और जौ से बने व्यंजन अत्यंत प्रिय होते हैं साथ ही शहद काले चने मीठे पकवान अर्पित करने से मां अत्यंत प्रसन्न होती है। मां को विशेष कर गुड और शहद का भोग लगाने से जीवन से नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

सप्तमी तिथि का शुभ रंग
कालरात्रि को नारंगी रंग बहुत ही प्रिय है, देवी कालरात्रि अंधकार को मिटाने वाली देवी है। नारंगी रंग ऊर्जा उत्साह व गर्म जोशी प्रदान करने वाला रंग है। यह हमारे मूलाधार चक्र को एक्टिवेट करता है। साथ ही यह रविवार का रंग होने के कारण सूर्य को मजबूत करता है जिससे हमें थकावट नहीं होती।
सप्तमी की रात्रि साधना का महत्व
नवरात्रि की सप्तमी की रात्रि साधना का विशेष महत्व होता है। इस दिन साधक काले वस्त्र पहनकर काले आसन पर बैठ कर यदि साधना करता है तो उसे विशेष फल की प्राप्ति होती है। साधक को कुशा के आसन पर बैठ कर घी का दीपक जलाकर ॐ कालरात्र्ये नमः का 108 बार जाप करना चाहिए। रात्रि में साधना करने से साधक को साहस मिलता है, भय दूर होता है और शत्रु पर विजय प्राप्त होती है। तंत्र साधना करने वाले साधकों के लिए यह रात्रि अत्यंत सिद्धिदाई होती है।
सातवें दिन माता को प्रसन्न करने के उपाय
- इस दिन साधक को सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनना चाहिए। वस्त्र नारंगी रंग के पहनना चाहिए।
- मां काली को काले चने और सरसों के तेल का दीपक अर्पित करना चाहिए।
- इस दिन साधक को पीपल के या शमी के पेड़ के नीचे दीपक अवश्य ही प्रज्वलित करना चाहिए।
- गरीबों को और जरूरतमंदों को गुड और तिल से बनी मिठाइयों का दान अवश्य करना चाहिए।
- इस प्रकार से दान करने से और पूजा करने से कालरात्रि मां प्रसन्न होती है जिससे भय और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और जीवन में ऊर्जा का प्रसार होता है।

इस प्रकार सप्तमी तिथि पर मां कालरात्रि की पूजा भक्तों को सभी प्रकार के भय जैसे शत्रुओं से मुक्ति, अकाल मृत्यु, भूत प्रेतों मुक्ति मिलती है और साहस व सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
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नवरात्रि के सातवें दिन कौन सा रंग शुभ माना जाता है?
नवरात्रि के सातवें दिन नारंगी रंग बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि यह कालरात्रि का प्रिय रंग है। साथ ही यह रंग सूर्य से जुड़ा हुआ है जो हमें ऊर्जा और उत्साह प्रदान करता है।