Ganga Dussehra – इस दिन गंगा स्नान से होगा 10 पापों का नाश, जानिए इस दिन क्या करें दान

हर साल जेठ महीने की दसवीं तिथि को Ganga Dussehra मनाया जाया है, जिसे गंगा अवतरण दिवस भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं। ज्येष्ठ माह में पड़ने के कारण इसे जेठ दशहरा भी कहते हैं। हिंदू धर्म में यह दिन काफी महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन कई तरह के पूजा अनुष्ठान के साथ-साथ दान पुण्य भी किए जाते हैं।

Ganga Dussehra
Ganga Dussehra

 

अपने आज के इस आर्टिकल में हम गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) के बारे में विस्तार से जानेंगे और जानेंगे कि हिंदू धर्म में इसका क्या महत्व है, यह क्यों मनाया जाता है और इस दिन किस तरह के पूजा अनुष्ठान किए जाते हैं। साथ ही जानेंगे कि Ganga Dussehra के दिन किन वस्तुओं दान किया जाना शुभ फलदायी माना गया है? अतः हमारे इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ना ना भूलें।

गंगा दशहरा 2024 | Ganga Dussehra 2024

जैसा कि हमने आपको बताया कि आने वाले 16 जून को Ganga Dussehra का त्यौहार मनाया जाने वाला है। कुछ विद्वानों के अनुसार इस दिन एक बहुत ही सुखद संयोग बन रहा है जो लगभग 100 वर्षों में आया है, इस लिहाज से यह त्यौहार और भी महत्वपूर्ण हो गया है। इस दिन सवार्थ सिद्धि योग के साथ-साथ हस्त नक्षत्र योग, रवि योग और अमृत योग बन रहे हैं। अतः इस दिन दान व पूजन करने पर विशेष फल प्राप्त होंगे।

ऐसी मान्यता है कि Ganga Dussehra के दिन दिन ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करने से व्यक्ति 10 तरह के पापों से मुक्त हो जाता है और उसे पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। साथ ही इस दिन गंगा में दीपदान करना भी शुभ फलदाई होता है।

गंगा दशहरे का महत्व क्या है?| Importance of Ganga Dussehra

वेदों, पुराणों और कई धार्मिक ग्रंथो में गंगा नदी की महिमा बताई गई है। पुराणों के अनुसार इक्ष्वाकु वंश के राजा भगीरथ के तप से अक्षय तृतीया के दिन गंगा मां धरती पर अवतरित हुईं और ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मां गंगा का हिमालय पर उद्गम हुआ था। इसीलिए इस दिन गंगा दशहरा का त्यौहार मनाया जाता है। क्योंकि मां गंगा सभी पापों को हरने वाली व मोक्षदायिनी कहलाती हैं, इसीलिए इस दिन गंगा स्नान और दीपदान को बहुत विशेष माना जाता है।

भविष्य पुराण के अनुसार जो व्यक्ति इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करके 10 बार गंगा स्तोत्र ‘ॐ नमो भगवति हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे माँ पावय पावय स्वाहा’ को पढ़ता है और गंगा पूजन करता है उसके सभी जन्मों के पाप खत्म हो जाते हैं और उसे इस पूजा का शुभ फल प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार गंगा दशहरे पर गंगा स्नान करने से इन 10 पापों से मुक्ति मिलती है – झूठ बोलना, परस्त्री गमन, शास्त्रनिषिद्ध हिंसा, किसी का बुरा सोचना, किसी की वस्तु हड़पने का विचार, कठोर वचन बोलना, किसी की बुराई करना, अपशब्द कहना, चोरी।

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गंगा दशहरे की कहानी| Story of Ganga Dussehra

एक बार युधिष्ठिर ने ऋषि लोमेश से गंगा अवतरण की कथा जानने की इच्छा जाहिर की। जिस पर ऋषि ने उन्हें गंगा की धरती पर आने की कहानी सुनाई जो इस प्रकार है –

इक्ष्वाकु वंश के राजा सगर की दो रानियां थी जिनके नाम थे वैदर्भी और शैव्या। राजा का कोई पुत्र नहीं था। इसलिए उन्होंने पुत्र प्राप्ति की कामना से कैलाश पर्वत पर जाकर अपनी रानियों सहित भगवान शिव की आराधना की। उनकी तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने राजा सगर को वरदान दिया कि उनकी एक पत्नी के 60000 पुत्र होंगे वहीं दूसरी पत्नी से केवल एक पुत्र होगा जो उनके वंश को चलाएगा।

कुछ समय बाद रानी शैव्या ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम असमंजस रखा गया, वहीं रानी वैदर्भी के गर्भ से एक तुम्बी (Gourd) निकली जिसे तोड़ने पर 60000 पुत्रों का जन्म हुआ। रानी शैव्या से जन्मा असमंजस दुराचारी प्रकृति का था इसलिए राजा सगर ने उसे देश निकाला दे दिया। असमंजस का एक पुत्र हुआ जिसका नाम अंशुमान था।

एक बार राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया। अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा छोड़ा गया जिसकी रक्षा करने की जिम्मेदारी राजा सगर के 60000 पुत्रों को मिली। राजा सगर के अश्वमेध यज्ञ से डर कर देवराज इंद्र ने उसे घोड़े को चुरा लिया और उसे कपिल मुनि के आश्रम में ले जाकर बांध दिया। उसे वक्त कपिल मुनि ध्यान में मगन थे। अतः उन्हें इंद्र की धूर्तता का पता नहीं चला।

राजा सगर के 60000 पुत्रों ने उस घोड़े को ढूंढने के लिए धरती के कोने-कोने की तलाश की परंतु उन्हें वह घोड़ा नहीं मिला। अंत में वे धरती को खोदकर पाताल लोक पहुंचे जहां उन्हें कपिल मुनि के आश्रम में वह घोड़ा बंधा हुआ मिला। उन राजपुत्रों ने सोचा कि कपिल मुनि ने ही वह घोड़ा चुराया है और इसलिए वे कपिल मुनि को अपशब्द कहने लगे। अपने अपमान से क्रोधित होकर कपिल मुनि ने राजा सगर के 60000 पुत्रों को अपनी क्रोध की अग्नि से भस्म कर दिया।

जब राजा सगर को यह दुखद समाचार प्राप्त हुआ तो उन्होंने असमंजस के पुत्र और अपने पोते अंशुमान को बुलाकर उससे कहा कि वह जाकर कपिल मुनि से क्षमा प्रार्थना करें और घोड़े को लेकर आए।

अंशुमान कपिल मुनि के आश्रम पहुंचा और उसने अपनी सेवा व मधुर व्यवहार से कपिल मुनि को मना लिया। तब कपिल मुनि ने अंशुमान से वरदान मांगने को कहा। इस पर अंशुमान ने कपिल मुनि से अपना घोड़ा लौटाने की प्रार्थना की और अपने दादाओं की मुक्ति का उपाय बताने का आग्रह किया। कपिल मुनि ने कहा कि तुम्हारे दादाओ को मोक्ष केवल गंगा नदी के जल से तर्पण करने पर ही प्राप्त हो सकता है।

अंशुमान द्वारा अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा वापस लाने पर यज्ञ पूरा करके राजा सगर अपना सारा राज्य अंशुमान को सौप कर गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए तपस्या करने चले गए। तपस्या करते-करते ही उनका स्वर्गवास हो गया। इसके कुछ वर्षों बाद अंशुमान भी अपने पुत्र दिलीप को सारा राज्य सौंप कर तपस्या करने चले गए और उनका भी वहीं स्वर्गवास हो गया।

इसके बाद राजा दिलीप भी अपने पूर्वजों के रास्ते पर चलते हुए अपना राज्य अपने बेटे भागीरथ को सौंप कर तपस्या करने चले गए लेकिन वह भी गंगा को धरती पर लाने में सफल नहीं हो सके। अंत में राजा भगीरथ की तपस्या से मां गंगा प्रसन्न हुई और उन्होंने उनसे वरदान मांगने को कहा।

Ganga Dussehra ki Kahani
Ganga Dussehra ki Kahani


तब राजा भागीरथ ने मां गंगा से विनती की कि आप मेरे साठ हजार पूर्वजों को मोक्ष प्रदान करने के लिए धरती पर चलें। इस पर मां गंगा ने कहा कि मैं तुम्हारे साथ जरूर आऊंगी मगर मेरे वेग को सहने की शक्ति सिर्फ भगवान शिव में है इसलिए पहले तुम उन्हें प्रसन्न करो। इसके बाद भागीरथ ने भगवान शिव की आराधना की भगवान शिव उनकी आराधना से प्रसन्न हुए और वह गंगा के वेग को अपनी जटाओं में स्थान देने के लिए मान गए।
गंगा मां स्वर्ग से सीधे भगवान शिव की जटाओं में आई और वहां से वह भागीरथ के पीछे-पीछे बहती हुई आई और भागीरथ के सभी पूर्वजों का उद्धार करते हुए सगर में जाकर मिल गई। इस तरह गंगा दशहरे (Ganga Dussehra) के दिन मां गंगा ने धरती पर अवतार लिया।

गंगा दशहरा की पूजा कैसे करें?| Ganga Dussehra Puja, Date and Time

गंगा दशहरा के दिन मां गंगा की पूजा का विशेष महत्व है। गंगा नदी को कभी न सूखने वाली और अनवरत बहने वाली नदी माना गया है। 2,525 किमी लंबी इस नदी की महिमा ऋग्वेद में भी बताई गई है। ऋग्वेद की 10.75 ऋचा में गंगा का उल्लेख मिलता है। धरती पर गंगा के उद्गम से सदियों से सूखा पड़ा बड़ा क्षेत्र उपजाऊ हो गया। तभी से यह त्यौहार मनाया जाता है।

गंगा दशहरा पूजन विधि –

गंगा दशहरे के दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में गंगा नदी में स्नान करें और देवी देवताओं का जल से अभिषेक करें। इसके बाद मां गंगा और भगवान शिव शंभू की पूजा करें और उन्हें चंदन व फूल चढ़ाएं। मंदिर में घी का दिया जला के आरती करें और भोग लगाएं। उसके बाद गंगा चालीसा का पाठ करें और अंत में मां गंगा से अपने समस्त पापों के लिए क्षमा मांगे।

गंगा दशहरा पूजा मुहूर्त 2024

पंचांगों के अनुसार ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की दशम तिथि 16 जून 2024 को सुबह 2:32 से शुरू होकर 17 जून को सुबह 4:45 पर खत्म होगी। गंगा दशहरे के दिन पूजा का मुहूर्त 16 जून को सुबह 7:08 से लेकर सुबह 10:37 तक का है।

गंगा दशहरा में क्या दान करें? | Ganga Dussehra Donation

गंगा दशहरा के विशेष दिन पूजा अर्चना से पापों की मुक्ति तो होती है, साथ ही इस दिन दान करने से पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। गंगा दशहरे के दिन दान करने से ग्रह दोष का निवारण होता है। इस दिन गरीब व निराश्रित लोगों को दान करने से भाग्य बदलता है। आईए जानते हैं कि गंगा दशहरे के दिन क्या-क्या दान करना शुभ होता है।

  • गंगा दशहरा के दिन गरीब लोगों को सफेद कपड़े का दान करने से घर के क्लेश खत्म होते हैं और धन-धान्य बढ़ता है। इसके अलावा साड़ी, कम्बल और अन्य वस्त्र भी दान करना अच्छा माना गया है
  • इस दिन गंगा पूजन करते समय चावल, गेहूं, घी, शक्कर, दाल आदि अनाजों का दान करना बहुत शुभ माना जाता है।
  • गंगा दशहरा के दिन धन का दान करना भी शुभ माना जाता है।
  • इस दिन आप फल और मिठाइयों का भी दान कर सकते हैं।
  • गंगा दशहरे पर गोदान करना बहुत शुभ फलदाई होता है, शास्त्रों में इसे महादान की संज्ञा दी है। उसके अलावा भूमि दान करना भी बहुत अच्छा माना गया है।

गंगा दशहरा पर आप किसी जरूरतमंद को या किसी ऐसे धार्मिक संस्थान को दान करें जो गरीब व निराश्रित लोगों के लिए कार्य करता हो। इस दिन शुद्ध मन से ही और पूरी स्वच्छता के साथ दान किया जाना चाहिए। दान में दी जाने वाली वस्तुएं ख़राब या कम गुणवत्ता वाली नहीं होनी चाहिए।

निष्कर्ष| Conclusion

दोस्तों आज के अपने इस आर्टिकल में हमने गंगा दशहरा पर्व के बारे में जाना। हमने समझा कि गंगा दशहरा पर्व क्यों मनाया जाता है, इसका महत्व क्या है, और इस पर्व से जुड़ी कहानी क्या है। साथ ही हमने जाना कि गंगा दशहरा की पूजा विधि क्या है और इस दिन किन वस्तुओं का दान किया जाना चाहिए।

हम उम्मीद करते हैं कि इस आर्टिकल से आपने बहुत कुछ सीखा होगा ।ऐसे ही महत्वपूर्ण त्योहार और परंपराओं को जानने के लिए हमसे जुड़े रहें।

गंगा दशहरा २०२४: यहाँ देखें वीडियो

Ganga Dussehra- FAQ

गंगा दशहरा को क्या किया जाता है?

गंगा दशहरे के दिन गंगा स्नान करके गंगा पूजन किया जाता है और दान किया जाता है।

जेठ दशहरा क्यों मनाया जाता है?

शास्त्रों के अनुसार इस दिन गंगा नदी धरती पर अवतरित हुई थी इसलिए जेठ दशहरा या गंगा दशहरा मनाया जाता है।

गंगा दशहरे के दिन क्या दान किया आना चाहिए?

गंगा दशहरे के दिन सफेद वस्त्र गेहूं घी चावल रुपए वह फल आदि दान किया जाना अच्छा माना गया है।

गंगा को धरती पर लाने वाले कौन थे?

इक्ष्वाकु वंश के राजा भारत की तपस्या से मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थी।

गंगा दशहरे पर गंगा स्नान से क्या फल मिलता है?

गंगा दशहरे पर गंगा स्नान से 10 तरह के पापों से मुक्ति मिलती है।

Anu Pal

मैं अनु पाल, Wisdom Hindi ब्लॉग की फाउंडर हूँ। मैं इंदौर मध्य प्रदेश की रहने वाली हूं। मैं एक ब्लॉगर और Content Writer के साथ-साथ Copy Editor हूं और 5 साल से यह काम कर रही हूं। पढ़ने में मेरी विशेष रूचि है और मैं धर्म, आध्यात्म, Manifestation आदि विषयों पर आर्टिकल्स लिखती हूं।

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