
Pratham Shailputri: नवरात्रि, माँ दुर्गा के नौ रूपों की 9 दिनों तक पूजा का त्योहार है जो हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसके पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है, जो माँ दुर्गा का पहला अवतार हैं। वे हिमालय की पुत्री हैं और पार्वती के रूप में भी जानी जाती हैं। आज के इस आर्टिकल में हम शैलपुत्री माता के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, और उनके महत्व, पूजा के लाभ, सामग्री, विधि, कथा, और उनसे जुड़े अन्य पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
नवरात्रि का पहला दिन कौनसी माता को समर्पित है
नवरात्रि का पहला दिन, जो प्रतिपदा तिथि पर पड़ता है, माता शैलपुत्री (Prathamam Shailputri) को समर्पित है। शैलपुत्री माँ दुर्गा के नौ रूपों नवदुर्गा में पहली हैं और नवरात्रि की शुरुआत उनके साथ होती है। उनका नाम हिमालय की पुत्री होने के कारण पड़ा। यह दो शब्दों “शैल” (पहाड़) और “पुत्री” (बेटी) से बना है, जिसका अर्थ है पर्वत की बेटी।
माता शैलपुत्री के दिन का महत्व(Pratham Shailputri)
शैलपुत्री माता का रूप स्थिरता और शक्ति का प्रतीक है। वे चंद्रमा पर शासन करती हैं, और उनकी पूजा करने से भक्त को भावनात्मक संतुलन और मानसिक शक्ति मिलती है। पहला दिन नवरात्रि की नींव रखता है, और इसी दिन घटस्थापना की जाती है, जो पूरे त्योहार की शुरुआत का प्रतीक है। यह दिन भक्तों को आध्यात्मिक यात्रा शुरू करने और अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने का अवसर देता है।
शैलपुत्री के आध्यात्मिक व मेनिफेस्टेशन से जुड़े पहलू
शैलपुत्री माता चंद्रमा पर शासन करती है इसलिए उनका चंद्रमा से गहरा संबंध है। चंद्रमा हिंदू ज्योतिष में मन और भावनाओं का प्रतिनिधि कहलाता है इसलिए माता शैलपुत्री की पूजा से मानसिक अस्थिरता और भावनात्मक असंतुलन जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए ज़रूरी है जिनकी जन्म कुंडली में चंद्रमा कमजोर है।
आध्यात्मिक रूप से, माता शैलपुत्री की पूजा भक्तों को आंतरिक शांति और आत्म-जागरूकता प्रदान करती है, जो ध्यान और एकाग्रता को बढ़ाती है। यह भक्तों को अपने आध्यात्मिक लक्ष्यों की ओर बढ़ने में मदद करती है, जैसे उच्च चेतना की अवस्था प्राप्त करना। वहीं अगर मेनिफेस्टेशन की बात करें तो उनकी पूजा नई शुरुआत और स्थिरता लाने में मदद करती है, जैसे करियर में प्रगति, परिवार में प्रेम या आर्थिक स्थिरता। माता शैलपुत्री की कृपा से भक्त अपने मनोकामनाओं को साकार कर सकते हैं, ख़ासकर अपने जीवन के क्षेत्रों में जहां स्थिरता और संतुलन की आवश्यकता है।
माता शैलपुत्री की पूजा के लाभ
माता शैलपुत्री की पूजा करने वाले साधक को कई लाभ होते हैं जिनमें आध्यात्मिक लाभ व सांसारिक लाभ दोनों शामिल हैं। आइये हम इनके बारे में जानते हैं-
- समृद्धि और सौभाग्य– माता शैलपुत्री धन और सौभाग्य प्रदान करने वाली देवी हैं, जिनकी पूजा से भक्तों के जीवन में समृद्धि का आगमन होता है।
- आध्यात्मिक जागृति– माता शैलपुत्री की पूजा करने वाले भक्तों को उनकी कृपा से भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति मिलती है।
- चंद्रमा के बुरे प्रभाव से मुक्ति– माता शैलपुत्री की पूजा से चंद्रमा के बुरे प्रभाव, जैसे मानसिक अस्थिरता या भावनात्मक समस्याएं, ख़त्म होती है।
- करियर और व्यवसाय में स्थिरता– माता शैलपुत्री की पूजा करने से करियर और व्यवसाय में स्थिरता और सफलता मिलती है।
- स्वास्थ्य और कल्याण– माता शैलपुत्री की उपासना से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

फल प्राप्ति हेतु क्या करें
- सही मुहूर्त में घटस्थापना करें, जैसे सुबह 6:00 से 8:00 बजे के बीच (स्थानीय पंचांग के अनुसार)।
- उनकी पसंद की सामग्री, जैसे जस्मीन फूल और सफेद मिठाइयाँ, अर्पित करें।
- बीज मंत्र “ॐ श्यं श्रीं शूम् शैलपुत्र्यै नमः” का 108 बार जाप करें।
- व्रत रखें और सात्विक भोजन, जैसे फल और दूध, लें।
- पूजा स्थल को साफ और पवित्र रखें।
- उनकी कथा सुनें और भक्ति भजन गाएं।
शैलपुत्री की पूजा के दौरान क्या न करें
माता शैलपुत्री की पूजा के दौरान किस चीजों का ध्यान रखना जरूरी है क्योंकि ये अशुद्धता ला सकती हैं और माता की कृपा को प्रभावित कर सकते हैं-
गलत समय पर पूजा न करें– सही मुहूर्त में पूजा करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि गलत समय पर की गई पूजा बेअसर हो सकती है या अशुभ परिणाम दे सकती है।
गलत सामग्री का उपयोग न करें– मांस, मदिरा, या तामसिक भोजन जैसे मांसाहारी खाद्य पदार्थ अर्पित करना सख्त वर्जित है, क्योंकि ये अशुद्ध माने जाते हैं और माता को अप्रसन्न कर सकते हैं।
झूठ बोलने या नकारात्मक बातें करने से बचें– पूजा के दौरान नकारात्मक विचारों से बचना चाहिए, क्योंकि यह पूजा के पवित्र वातावरण को खराब कर सकता है और माता की कृपा को प्रभावित कर सकता है।

बाल या नाखून काटने से बचें– नवरात्रि के दौरान बाल या नाखून काटना अशुभ माना जाता है, क्योंकि यह शारीरिक शुद्धता को प्रभावित करता है और पूजा के नियमों का उल्लंघन है।
अखंड ज्योति बुझने न दें– अखंड ज्योति, जो माता की उपस्थिति का प्रतीक है, बुझने नहीं देनी चाहिए, क्योंकि इसका बुझना माता की कृपा में कमी का संकेत माना जाता है।
पूजा के दौरान अशुद्धता न आने दें– पूजा स्थल को साफ और पवित्र रखना जरूरी है, क्योंकि किसी भी प्रकार की अशुद्धता, जैसे जूते-चप्पल का पूजा क्षेत्र में आना, पूजा के प्रभाव को कम कर सकता है।
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माता शैलपुत्री पूजा विधि
शैलपुत्री माता की पूजा की शुरुआत घट स्थापना से होती है। घटस्थापना के लिए एक कलश में गंगाजल, सिक्के, सुपारी, अक्षत, पांच आम के पत्ते डालें और नारियल से ढक दें। अब लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और माता की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
फूल, फल, मिठाइयाँ अर्पित करें और दीपक और धूप जलाएं। इसके बाद बीज मंत्र “ॐ श्यं श्रीं शूम् शैलपुत्र्यै नमः” और अन्य स्तुति मंत्रों का जाप करें। अंत में आरती करें और भोग अर्पित करें।
माता शैलपुत्री की पूजा सामग्री
शैलपुत्री माता की पूजा में निम्नलिखित सामग्रियों को शामिल किया जाता है-
- लाल कपड़ा
- केसर
- मनोकामना पूरक गुटिका
- लाल, सफेद, पीले फूल
- प्रसाद या भोग (सफेद मिठाई)
- माता शैलपुत्री की तस्वीर या मूर्ति
- लकड़ी की चौकी
- पांच दीपक, देसी घी से भरे
- धूप या अगरबत्ती
- गंगाजल
- नारियल
- मौली
- रोली
- चंदन
- पान
- सुपारी
- ताजे फल
- फूलों की माला
- बेलपत्र की माला
- साफ चावल
माता शैलपुत्री को प्रसन्न करने वाले मंत्र(Pratham Shailputri Mantra)
- बीज मंत्र– ॐ श्यं श्रीं शूम् शैलपुत्र्यै नमः
- प्रार्थना मंत्र- वन्दे वांच्छित लाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
- स्तुति मंत्र– या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
माता शैलपुत्री से जुड़ीं अन्य प्रमुख जानकारियां
- शैलपुत्री माता का प्रिय रंग लाल है, जो उज्ज्वलता और खुशी का प्रतीक है।
- उनका वाहन बैल है, जो शक्ति और स्थिरता का प्रतीक है।
- उनका दिन नवरात्रि का पहला दिन, प्रतिपदा, है।
- शैलपुत्री माता की कोई विशिष्ट प्रिय राशि का उल्लेख नहीं है। हालांकि कर्क राशि के लोगों को उनकी पूजा विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है, क्योंकि चंद्रमा कर्क राशि का स्वामी है।
- शैलपुत्री माता का प्रिय भोग देसी घी से बनी हुई सफेद मिठाइयां हैं वहीं फूल में चमेली का फूल प्रिय है।
- इनका बीज मंत्र “ॐ श्यं श्रीं शूम् शैलपुत्र्यै नमः” है
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FAQ- Pratham Shailputri
शास्त्रों के अनुसार माता शैलपुत्री का अवतार हैं?
शास्त्रों के अनुसार माता शैलपुत्री भगवान शिव की प्रथम पत्नी माता सती का अवतार हैं इसलिए इन्हें पार्वती का रूप भी माना जाता है।
माता शैलपुत्री का बीज मंत्र क्या है?
माता शैलपुत्री का बीज मंत्र ॐ श्यं श्रीं शूम् शैलपुत्र्यै नमः है।
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