
Chhath Puja 3rd Day: छठ पूजा सूर्य देवता और छठी मैया को समर्पित एक पावन त्यौहार है जो भारत सहित उन सभी देशों में मनाया जाता है जहां भारतीय बसें हैं। चार दिनों के इस उत्सव में सूर्य को अर्घ्य देना सबसे महत्वपूर्ण प्रथा है। अर्घ्य देने के लिए सूप का इस्तेमाल किया जाता है जो बाँस का बना होता है। अर्घ्य देने में इस्तेमाल किए जाने वाले ऐसे सूप को सजाने की कला भी बहुत ही महत्वपूर्ण है।
सूप सजाना एक पारंपरिक प्रक्रिया है जो सफाई सजावट और सामग्री की व्यवस्था से मिलकर बनती है। आज इस लेख में आपको छठ पूजा में अर्घ्य देने के लिए सुख सजाने की विधि बताई जाएगी जो सदियों पुरानी परंपरा पर आधारित है।
सूप की सफाई और तैयारी
सूप सजाने की शुरुआत हमेशा सफाई से होती है बांस से बनी यह टोकरी पूजा के लिए बहुत पवित्र मानी जाती है इसलिए इसे अच्छी तरह से साफ करके तैयार किया जाता है। सबसे पहले सूप को पानी से धोएं और सूखने दें। अगर सूप पुराना है तो इसे हल्के गुनगुने पानी और मुलायम कपड़े से पोंछें ताकि कोई धूल या गंदगी ना बाकी रहे। आप इस पर गंगाजल भी छिड़क सकते हैं ताकि यह पूरी तरह से शुद्ध हो जाए। सूप की सफाई बहुत ही जरूरी है क्योंकि अशुद्ध सुख से पूजा खंडित हो जाती है।

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रंगोली और टीका लगाना
सूप की सजावट का सबसे जरूरी हिस्सा टीका लगाना है। सूप चाहे पीतल का बना हो या बस का दोनों पर सिंदूर और चावल का आटा मिलाकर एक खास तरह का टीका लगाया जाता है। इसके लिए सिंदूर को चावल के आटे में मिलाकर एक गाढ़ा पेस्ट बनाएं। अब सोप के बीच में उंगली या छोटी सी लकड़ी से एक गोला बनाएं। गोले के चारों ओर छोटी-छोटी रेखाएं खींचें। यह गोला सूर्य देवता का प्रतीक है।
यह टीका न केवल सूप को सुंदर बनता ही है साथ ही सूर्य द देवता को आमंत्रित करने का भी प्रतीक है। कुछ लोग सूप को सजाने के लिए रंगोली के रूप में फूलों की पंक्तियां या रंगीन चावल भी इस्तेमाल करते हैं लेकिन सिंदूर चावल का टीका सबसे जरूरी है। टिक पूजा की शुरुआत का संकेत है और सूप को पवित्रता प्रदान करता है।
फल, प्रसाद और अन्य सामग्री रखना
इसके बाद सूप को सजाने के लिए विभिन्न प्रकार के फलों और प्रसाद को उसमें रखा जाता है। उसके लिए शॉप में मौसमी फल और सब्जियां रखी जाती हैं जो प्रकृति की देन का प्रतीक है। इसमें मूली, गन्ना, अमरूद संतरे, सेब, केले, मीठे आलू, चुकंदर और अन्य फल रखें। यह सभी फल ताजे और बिना कटे होने चाहिए। सब्जियों में हरी पत्तों वाली चीज जैसे अदरक की जड़ या हरी मिर्च भी रखी जा सकती है। जटा वाला नारियल विशेष रूप से अनिवार्य है जो सूप के बीच में रखा जाता है।

प्रसाद के रूप में ठेकुआ बहुत लोकप्रिय है जो दो प्रकार का होता है गुड़ से बना गहरा भूरे रंग का और चीनी से बना हुआ हल्का भूरा रंग का। इन्हें सुख के किनारो पर सजा कर रखें। साथ में चावल के लड्डू जो पिंड आकर के होते हैं उन्हें भी शामिल करें। घर बने यह प्रसाद पूजा की मिठास बढ़ाते हैं। सभी सामग्री को सुख में अच्छी तरह से जमाएं। सूट के निचले हिस्से में फल, अगले हिस्से में प्रसाद और बीच में नारियल। इसे सूप सुंदर दिखाई देता है
अंतिम चरण सुंदरता और श्रद्धा का संगम
अब आखरी चरण में फलों को उनके रंगों के अनुसार व्यवस्थित करें लाल संतरे एक तरफ हर अमरुद दूसरी तरफ रखें। गन्ने को सौप के हैंडल से लटकते या फिर किनारे पर टिकाएं। हरे पत्ते और फूलों से सजावट करें। सूप ऐसा लगना चाहिए जैसे सूरज देवता को अर्पित की जाने वाली थाल हो।
निष्कर्ष
छठ पूजा में सूप सजाना एक ऐसी कला है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। यह प्रक्रिया श्रद्धा और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता सिखाती है। अगर आप पहली बार सूप सजा रहे हैं तो परिवार के बड़े सदस्यों का मार्गदर्शन लें। इस त्यौहार पर सूप सजाकर अर्घ्य दें तो सूर्य देवता की कृपा ज़रूर प्राप्त होगी।
FAQ- Chhath Puja 3rd Day
छठ पूजा में सूप का क्या महत्व है?
छठ पूजा में अर्घ्य देने के लिए सूप का इस्तेमाल किया जाता है जो बाँस का बना होता है। अर्घ्य देने में इस्तेमाल किए जाने वाले ऐसे सूप को सजाया जाता है। सूप सजाना एक पारंपरिक प्रक्रिया है जो सफाई सजावट और सामग्री की व्यवस्था से मिलकर बनती है।
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