
Navratri Ke 9 Bhog: मां दुर्गा के नौ दिव्या रूपों को समर्पित नवरात्रि का त्योहार भारत की संस्कृति में एक पवित्र और उत्साह पूर्ण पर्व है। यह त्यौहार आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ-साथ मनोकामना पूर्ण करने का एक उत्तम अवसर है। इन नौ दिनों में व्रत पूजा और साधना के साथ-साथ माता के नौ रूपों को अलग-अलग भोग अर्पित करने की परंपरा है।
यह भोग केवल एक धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं बल्कि भक्तों के जीवन में सुख समृद्धि और शांति लाने का एक माध्यम माना जाता है इसलिए आज हम नवरात्रि के नौ दिनों के भोग के बारे में चर्चा करते हुए इनके महत्व के को जानेंगे।
नवरात्रि में किस दिन क्या भोग लगाएँ (Navratri Ke 9 Bhog)
नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है नौ रातें। तोहर साल में दो बार चैत्र और शारदीय नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। यह समय मां दुर्गा की साधना भक्ति और आत्म शुद्धि के लिए समर्पित होता है इसमें 9 दिन मां के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों में माता को अलग अलग भोग चढ़ाए जाते हैं, माता को प्रसन्न करके भक्तों को उनका आशीर्वाद प्रदान करते हैं। आइये जाने की नवरात्रि में किस दिन क्या भोग लगाएँ–
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पहला दिन (मां शैलपुत्री) – घी का भोग
नवरात्रि का पहला दिन हिमालय राज की पुत्री शैलपुत्री को समर्पित है। इन्हीं शुद्ध देसी घी का भोग अर्पित किया जाता है, घी शुद्धता, पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक है। आने का है कि मां शैलपुत्री को घी अर्पित करने से भक्त को निरोगी काया प्राप्त होती है। नवरात्रि के पहले दिन घी से बनी थी या हलवे का भोग मां को चढ़ाएँ। साथ ही पूजा के समय शुद्ध घी का दीप भी जलाएं।
दूसरा दिन (मां ब्रह्मचारिणी) – चीनी का भोग
दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है जो तप और साधना की देवी हैं। मां ब्रह्मचारिणी को चीनी, मिश्री या पंचामृत का भोग अर्पित किया जाता है जो मिठास और प्रेम का प्रतीक है। यह भोग परिवार के सदस्यों को लंबी आयु का आशीर्वाद देता है, साथ ही जीवन में मिठास लाता है। भक्त इस दिन मन से तब और आत्म नियंत्रण का आशीर्वाद मांगते हैं।
तीसरा दिन (मां चंद्रघंटा) – खीर का भोग
तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की उपासना की जाती है जिनका स्वरूप शांत और सौम्या है। चंद्रघंटा को दूध और चावल से बनी खीर का भोग लगाया जाता है। फिर शुद्धता और समृद्धि का प्रतीक है जिसे चढ़ाने से भक्तों को मानसिक शांति प्राप्त होती है। खीर को चांदी के बर्तन में चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है।

चौथा दिन (मां कुष्मांडा) – मालपुए का भोग
चौथे दिन सृष्टि की रचयिता मां कुष्मांडा की पूजा होती है। मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाया जाता है। मालपुआ आटे, चीनी और घी से बनने वाली एक पारंपरिक मिठाई है जो माँ को अत्यंत प्रिय है। इस भोग से माँ प्रसन्न होती हैं और भक्तों को बुद्धि और निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करती हैं।
पांचवां दिन (मां स्कंदमाता) – केले का भोग
नवरात्रि के पांचवें दिन भगवान कार्तिकेय की माता मां स्कंद माता का पूजन होता है जो संतान सुख की देवी मानी जाती हैं। इन्हीं भोग के रूप में केला चढ़ाया जाता है। केला सात्विकता दर्शाता है इसे चढ़ाने से मां अपने भक्तों को संतान का सुख और पारिवारिक सौहार्द का आशीर्वाद देती है।
छठा दिन (मां कात्यायनी) – शहद का भोग
छठे दिन सौंदर्य सुख की देवी मां कात्यायनी की पूजा होती है। इन्हीं शहद का भोग अर्पित किया जाता है जो मधुरता और ऊर्जा का प्रतीक है। शहद का भोग लगाने से साधक को सौंदर्य और आकर्षण का वरदान मिलता है। यदि अविवाहित कन्या माता को शहद का भोग चढ़ाई तो उन्हें उत्तम वर की प्राप्ति होती है।

सातवां दिन (मां कालरात्रि) – गुड़ का भोग
सातवें दिन बुराई और अंधकार का अंत करने वाली मां कालरात्रि का पूजन किया जाता है इन्हें भोग के रूप में गुड़ का अर्पण किया जाता है। गुड़ सकारात्मक ऊर्जा और स्वास्थ्य का प्रतीक है जिसका प्रयोग हवन पूजन में भी किया जाता है। सातवें दिन महाकाल रात्रि को गुड़ से बने पकवान, मिठाई, हलवा या केवल गुड़ का भोग चढ़ाया जा सकता है।
आठवां दिन (मां महागौरी) – नारियल का भोग
नवरात्रि का आठवां दिन दुर्गा अष्टमी कहलाता है जिस दिन मां महागौरी की पूजा होती है। मां महागौरी शुद्धता और सौंदर्य की देवी है जिन्हें भोग के रूप में नारियल चढ़ाया जाता है। नारियल समृद्धि का प्रतीक है, जिस स्त्री फल भी कहा जाता है यह भोग जीवन में समृद्धि व सुख लेकर आता है।

नौवां दिन (मां सिद्धिदात्री) – सफेद तिल का भोग
नवमी के दिन सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री को सफेद तिल भोग के रूप में चढ़ाया जाता है। सफेद तिल आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है जिसे भोग के रूप में चढ़ने से भक्तों को ज्ञान, सिद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
FAQ- Navratri Me Kis Din Kya Bhog Lagaye
नवरात्रि में 9 दिन कौन-कौन सा भोग लगाना चाहिए?
नवरात्रि में 9 दिन क्रमशः मां शैलपुत्री को घी से बने पदार्थ का भोग, मां ब्रह्मचारिणी को चीनी से बने पदार्थ का भोग, मां चंद्रघंटा को खीर, मां कुष्मांडा को मालपुआ,वमां स्कंदमाता को केला, मां कात्यायनी को शहद, मां कालरात्रि को गुड़ से बनी चीजे, महागौरी को नारियल और मां सिद्धिदात्री को सफेद तिल का भोग लगाना चाहिए।
नवरात्रि का 9वां दिन का भोग क्या है?
नवरात्रि का 9वां दिन यानी नवमी मां सिद्धिदात्री का दिन है जो सिद्धि प्रदान करती हैं इन्हें योग के रूप में सफेद तिल चढ़ाया जाता है जो आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है।
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