
Pitru Paksha Puja Vidhi at Home: जैसा कि हम सब जानते हैं कि हमारे हिंदू धर्म में पितरों का एक बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है। पितृ हमारे कुल की परंपरा, संस्कारों का आधार होते हैं, उनके आशीर्वाद से ही हमारे जीवन में शांति तथा संपन्नता आती है। पितरों का श्राद्ध तथा तर्पण करने से हमें सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
पितृपक्ष के अंतिम दिन पड़ने वाली अमावस्या को पितृकी अमावस्या या सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है। यह पितृपक्ष का अंतिम दिन होता है। इस दिन का बहुत अधिक महत्व होता है क्योंकि इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध तथा तर्पण किया जाता है जिनकी मृत्यु की तिथि हमें पता नहीं होती है। हम यदि किसी पितृ का श्राद्ध और तर्पण श्राद्ध पक्ष के 15 दिनों में नहीं कर पाए हों तो हम पितृ पक्ष की अमावस्या को उनका श्राद्ध और तर्पण करके पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
सर्वपितृ अमावस्या का दिन अपने पितरों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने का और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर होता है। घर पर ही साधारण तरीके से पूजा पाठ करके अपने पितरों को तृप्त कर सकते हैं। सर्वपितृ अमावस्या के दिन किया गया तर्पण श्राद्ध और दान पुण्य हमारे पितरों को शांति प्रदान करता है जिसे हमारे घर परिवार में सुख समृद्धि आती है। आइए जानते हैं कि हम किस प्रकार सर्वपितृ अमावस्या के दिन पूजा करके अपने पितरों का श्राद्ध हो तर्पण कर सकते हैं।

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सर्वपितृ अमावस्या का महत्व
आश्विन मास की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है। यह दिन पितृपक्ष का अंतिम दिन होता है इस दिन पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करना सरल होता है। इस दिन मिला हुआ पितरों का आशीर्वाद बहुत अधिक फलदाई होता है जिन लोगों को पितृपक्ष की तिथियां ज्ञात नहीं होती है या पितृपक्ष में किसी कारणवश वह अपने पितरों का श्राद्ध व तर्पण नहीं कर पाते हैं तो वह सर्वपितृ अमावस्या के दिन अपने पितरों का श्राद्ध व तर्पण करके अपने पितरों को तृप्त कर सकते हैं।
इस दिन सभी पितरों का स्मरण करके यदि हम ब्राह्मण को भोजन कराते हैं या कन्या को भोजन कराते हैं या दान दक्षिणा करते हैं तो हमारे परिवार में शांति, अच्छा स्वास्थ्य और धन-धान्य में बरकत बनी रहती है। सर्व पितृ अमावस्या को महालय अमावस्या या पितृ मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है। इसी दिन से देवताओं की साधना का प्रारंभ होता है।
सर्वपितृ अमावस्या पर घर पर पूजा कैसे करें
पूजा से पहले की तैयारी – सर्व पितृ अमावस्या के दिन पूजा करते समय हमें शुद्धता और सात्विकता का अवश्य ही ध्यान रखना चाहिए। पूजा करने से पहले घर की सफाई करके उसे शुद्ध कर लेना चाहिए। स्नान करके साफ सुथरे वस्त्र पहनना चाहिए। पूजा करने के लिए तांबे और पीतल के लोटे का ही उपयोग करना चाहिए। अर्पण करने के लिए जल में काले तिल, अक्षत फूल तथा कुश मिला लेना चाहिए। पिंडदान करने के लिए चावल, तिल, दूध से बने गोल पिंड तैयार कर लेने चाहिए। अमावस्या के दिन पूजा करने के लिए दक्षिण दिशा में ही बैठ कर पूजा करना शुभ होता है।
सर्वपितृ अमावस्या की पूजा विधि (Pitru Paksha Puja Vidhi at Home)
संकल्प– सबसे पहले सुबह स्नान आदि करके पवित्र हो जाएँ। उसके पश्चात जिस जगह आपको पूजा करनी है वह जगह भी साफ कर लें और उसे पर गंगाजल छिड़क लें। उसके पश्चात दक्षिण दिशा में अपने पितरों की फोटो रख दें और हाथ में जल या गंगाजल लेकर यह संकल्प करें कि आप अपने पितरों का श्राद्ध और तर्पण कर रहे हैं। संकल्प करते समय अपने पितरों के गोत्र और उनके नाम को अवश्य ही स्मरण करें।
श्राद्ध और तर्पण– स्नान आदि करके साफ सुथरे कपड़े पहन के दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएँ। हाथ में पुष्प जौ, कुश, काले तिल लेकर पितरों का नाम स्मरण करके उनके निमित्त तर्पण करें। प्रत्येक बार तर्पण करते समय ओम पितृ देवाय नमः या पितृभ्य: नमः इत्यादि मंत्र का जाप करें और अपने पूर्वजों से अपनी की गई गलतियों की क्षमा याचना करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
पिंडदान– पकाए हुए चावल तिल और घी मिलाकर उनके छोटे-छोटे पिंड तैयार करें और दक्षिण दिशा की और मुख करके बैठकर उन्हें पितरों की तस्वीर के सामने अर्पित करें और पितरों से उन्हें स्वीकार करने की प्रार्थना करें। प्रत्येक पिंड को अर्पित करते समय मन में ऐसा प्रतीत करें कि हमारे पूर्वज हमारे पिंडदान को स्वीकार कर रहे हैं और हमें आशीर्वाद प्रदान कर रहे हैं।

ब्राह्मण भोज व दान– सर्व पितृ अमावस्या के दिन ब्राह्मणों को अपने घर बुलाकर भोजन करवाना अत्यंत फलदाई होता है। इसलिए इस दिन ब्राह्मणों को भोजन अवश्य करवाना चाहिए तथा उन्हें अपने सामर्थ्य के अनुसार अनाज फल वस्त्र इत्यादि का दान अवश्य देना चाहिए। इस दिन गरीब और जरूरतमंदों को भी भोजन करवाना चाहिए और उनकी मदद करनी चाहिए और उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार दान दक्षिणा देनी चाहिए। इससे हमारे पितरों का आशीर्वाद हम पर बना रहता है और हमारे परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है।
पूजा के समय ध्यान रखने हेतु बातें– अमावस्या के दिन पूजा पवित्र तन और पवित्र मन से करनी चाहिए। इस दिन सात्विक भोजन बनाना चाहिए। लहसुन, प्याज, मास, मंदिरा इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए। तर्पण पिंडादन और श्राद्ध दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठ के ही करने चाहिए श्राद्ध कर्म में लापरवाही और दिखावा नहीं करना चाहिए। शुद्धता और सात्विकता ही सबसे बड़े साधन होते हैं।
दीपदान: सर्व पितृ अमावस्या के दिन शाम के समय पितरों के निमित्त दीपदान अवश्य करना चाहिए। गेहूं के आटे का चार मुख वाला दीपक बनाकर अपने सभी पितरों को स्मरण करके उस दिए को दक्षिण दिशा में शाम के समय जला देना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पितरों को विदा करने के लिए अमावस्या की शाम को चार मुख वाला दिया जलाकर अपने पितरों से अपनी भूल चुकी माफी मांगनी चाहिए। ऐसा करने से पितृ जाते-जाते हमें खुश होकर अपना आशीर्वाद देकर जाते है।
सर्वपितृ अमावस्या के मंत्र- सर्वपितृ अमावस्या के दिन की गई पूजा में इन मंत्रों का जाप करना अत्यंत फलदाई होता है–
- पितृ गायत्री मंत्र
- ॐ श्री पितृभ्य नमः
- ॐ श्री सर्वपितृ देवताभ्य: नमो नमः
- ॐ श्री शिवाय नमस्तुभ्यम

लाभ और फल– पितृपक्ष में 15 दिन पितरों का श्राद्ध करने से और अमावस्या के दिन सभी पितरों का श्राद्ध तर्पण और पिंडदान करने से हमारे पितृ खुश होते हैं और हमें आशीर्वाद देते हैं, जिससे हमारे परिवार के सारे कष्ट दूर होते हैं और हमारे घर परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है। हमारे पूर्वज खुश होते हैं तो हमारे घर से दरिद्रता का नाश होता है और हमारी संतानों को अच्छा स्वास्थ, आध्यात्मिक शक्ति मनोबल मिलता है।
सर्व पितृ अमावस्या हिंदू धर्म में की जाने वाली केवल एक परंपरा नहीं है बल्कि यह हमारे पितरों के प्रति हमारी कृतज्ञता और पितरों के प्रति हमारा दायित्व व्यक्त करने का दिन है। इस दिन श्रद्धापूर्वक पितरों का श्राद्ध पिंडदान और उनके निमित्त तर्पण करके अपने पितरों को तृप्त करके हमें उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए यह हमारी अपने पितरों के प्रति जिम्मेदारी होती है कि हम अपने पितरों को संतुष्ट करें। यदि सच्ची भावना से कर्म किया जाए तो उसका फल अवश्य ही प्राप्त होता है। अतः अमावस्या के दिन श्रद्धा भक्ति और पवित्रता से अपने पितरों का स्मरण करना चाहिए और शाम को दीपदान करके उन्हें अवश्य ही विदाई देनी चाहिए।
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FAQ- Pitru Paksha Puja Vidhi at Home
पितरों की पूजा में क्या-क्या सामग्री लगती है?
पितरों की पूजा में चावल, जौ, तिल, गंगाजल, सफेद फूल, कुश, पान-सुपारी, फूल, घी, दही, जनेऊ, रोली हल्दी, गाय का दूध इत्यादि लगता है।