
Raksha Bandhan Kyu Manaya Jata Hai: सावन की पूर्णिमा पर मनाया जाने वाला रक्षाबंधन का त्योहार भारत की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो भाई बहन के प्रेम और विश्वास के बंधन को दर्शाता है। रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ है रक्षा का बंधन जिसमें बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधती है जिसके बदले में भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है। यह त्यौहार न केवल आपसी प्रेम को मजबूत करता है बल्कि सामाजिक एकता और विश्वास को भी बढ़ाता है। आज हम जानेंगे कि रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है (Raksha Bandhan Kyu Manaya Jata Hai) इस दिन पूजा कैसे की जाती है और इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं क्या हैं?
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है
रक्षाबंधन का महत्व भारतीय संस्कृति में गहराई से निहित है। यह त्यौहार भाई बहन के रिश्ते की पावनता को दर्शाता है। राखी का धागा कोई मामूली धागा नहीं बल्कि प्रेम विश्वास और जिम्मेदारी का प्रतीक है। बहन राखी बांधकर भाई से अपनी रक्षा का वचन माँगती है वहीं भाई इस बंधन को स्वीकार कर बहन की सुरक्षा और सम्मान का वादा करता है। यह त्यौहार परिवार में एकता और सौहार्द को बढ़ाता है।
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रक्षाबंधन का महत्व केवल भाई बहन तक ही सीमित नहीं है। सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को भी दर्शाता है। पुराने समय में राखी को राजा प्रजा, गुरु शिष्य और मित्रों के बीच भी बांधा जाता था जो आपसी विश्वास और सहयोग का प्रतीक होता था। एक ऐतिहासिक उदाहरण के तौर पर रानी कर्णावती ने हुमायूं को राखी भेज कर मदद मांगी थी जिसे हुमायूं ने स्वीकार किया था।
आज के समय में रक्षाबंधन का स्वरूप बदला है और यह त्यौहार केवल पारंपरिक रीति-रिवाज तक सीमित न रहकर एक ऐसा अवसर बन गया है जब परिवारजन साथ आते हैं और उपहार का आदान प्रदान करके अपने रिश्तों को मजबूत करते हैं। यह त्यौहार नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति, जड़ों से जोड़ने का काम भी करता है।
रक्षाबंधन की पूजा विधि
रक्षाबंधन का पर्व धार्मिक और पारंपरिक रीति रिवाज के अनुसार मनाया जाता है एवं इस दिन की जाने वाली पूजा विभिन्न चरणों में पूरी की जाती है (Raksha Bandhan Puja Vidhi)-
तैयारी– सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर घर को साफ करें और पूजा स्थल को सजाएँ। पूजा की थाली तैयार करें जिसमें राखी, रोली, चंदन, अक्षत, दीपक, मिठाई और फूल शामिल करें। उसके बाद चौकी रखें और उस पर साफ कपड़ा बिछाएँ। चौकी पर भगवान गणेश और अन्य देवी देवताओं की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
पूजा का प्रारंभ– सबसे पहले गणेश जी का पूजन करें दीपक जलाएं और गणेश जी को तिलक लगाकर फूल और मिठाई अर्पित करें। इसके बाद अन्य देवी देवताओं की पूजा करें।

राखी बांधने का तरीका– बहन अपने भाई को पूजा स्थल पर बुलाए। भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठाएँ और उसके माथे पर रोली और चंदन का तिलक लगाएँ। उसके बाद अक्षत छिड़कें और आरती उतारें। अब उसकी कलाई पर राखी बांधे व उसका मुंह मीठा करवाएँ। राखी बांधने के समय बहनें इस मंत्र का उच्चारण कर सकती हैं-
“येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेनत्वामपि बध्नामि रक्षे माचल माचल॥”
इस मंत्र का अर्थ है जिस रक्षा सूत्र से महाबली राजा बलि बंधे थे इस सूत्र से मैं तुम्हें बांधती हूं। हे रक्षक, तुम स्थिर रहो और मेरी रक्षा करो।
उपहार और आशीर्वाद– राखी बांधने के बाद भाई अपनी बहन को उपहार देता है और उसकी रक्षा करने का वचन देता है। बहन भाई के लंबे और सुखी जीवन की कामना करती है। मिठाइयां और विशेष व्यंजन इस पर्व की खुशी को और बढ़ाते हैं।
रक्षाबंधन की पौराणिक कथाएं
रक्षाबंधन से जुड़ी हुई कई पौराणिक कथाएं (Raksha Bandhan Ki Kahani) हैं जो इस पर्व के महत्व को और गहरा बनाती हैं। इनमें से कुछ कथाएं हम आपके साथ साझा कर रहे हैं-
द्रौपदी और श्रीकृष्ण की कथा– महाभारत के अनुसार जब भगवान कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया तो उनकी उंगली में चोट लग गई। उनकी उंगली से खून बहता देख द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी से टुकड़ा फाड़ कर भगवान कृष्ण की उंगली पर बांध दिया। भगवान कृष्ण ने इस प्रेम और विश्वास के बदले द्रौपदी की रक्षा करने का वचन दिया। बाद में जब कौरवों ने द्रौपदी का चीर हरण कर उनका अपमान करने की कोशिश की, तब कृष्ण ने उनकी रक्षा कर अपना वचन निभाया। यह कहानी रक्षाबंधन के प्रेम और समर्पण को दर्शाती है।
राजा बलि और माता लक्ष्मी की कथा– इसके अलावा एक और पौराणिक कथा (Raksha Bandhan Ki Katha) भी रक्षाबंधन के संदर्भ में प्रचलित है जिसके अनुसार जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार में राजा बलि से तीन पद धरती मांगी और उनका सारा राज्य ले लिया था। साथ ही उन्होंने बलि के त्याग से प्रसन्न होकर उनसे वरदान मांगने को कहा तब बाली में उन्हें पाताल लोक में निवास करने का वरदान मांगा। जिसे भगवान ने स्वीकार कर लिया। तब माता लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधी और उनसे भगवान विष्णु को मुक्त करने की प्रार्थना की। राजा बलि ने माता लक्ष्मी की बात का मान रखते हुए भगवान विष्णु को मुक्त कर दिया।

यम और यमुना की कथा– एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार यमराज और उनकी बहन यमुना का रिश्ता भी रक्षाबंधन का आधार माना जाता है। यमुना ने अपने भाई यमराज को राखी बांधी (Raksha Bandhan Kyu Manaya Jata Hai) और उनसे वचन लिया कि वे उनकी रक्षा करेंगे। यमराज ने यमुना को अमरत्व का वरदान दिया और कहा कि जो भी भाई अपनी बहन से राखी बंधवाएगा उसे लंबी आयु और सुख प्राप्त होगा।
निष्कर्ष
इस तरह से हमने इस आर्टिकल के माध्यम से जाना कि रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है (Raksha Bandhan Kyu Manaya Jata Hai) और साथ ही इस दिन की जाने वाली पूजा विधान को समझा और इस त्यौहार के संदर्भ में प्रचलित पौराणिक कहानियों के बारे में भी जाना। आने वाले दिनों में हम इस त्योहार से जुड़े और भी संबंधित विषयों पर आर्टिकल लिखेंगे। इसलिए हमारे ब्लॉग से जुड़े रहें।
FAQ-Raksha Bandhan Kyu Manaya Jata Hai
राखी बांधते समय क्या बोलना चाहिए?
राखी बांधने के समय बहनों को इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए- “येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेनत्वामपि बध्नामि रक्षे माचल माचल॥” जिसका अर्थ है जिस रक्षा सूत्र से महाबली राजा बलि बंधे थे इस सूत्र से मैं तुम्हें बांधती हूं। हे रक्षक, तुम स्थिर रहो और मेरी रक्षा करो।