सोमनाथ मंदिर का रहस्य: दोस्तों गुजरात के प्रसिद्ध सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में तो आपने सुना ही होगा। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक सोमनाथ मंदिर भक्तों की आस्था का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यह मंदिर बहुत ही ऐतिहासिक है और कई घटनाओं का साक्षी रहा है। ऋग्वेद के अनुसार इस मंदिर की स्थापना चंद्र देव ने की थी जिसकी कथा बहुत रोचक है। साथ ही यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण के जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना का भी साक्षी है।
क्या आप जानना चाहते हैं इस मंदिर की स्थापना की वह रोचक कहानी और श्री कृष्ण से जुड़ी वह महत्वपूर्ण घटना? यदि हां तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ना ना भूले। 12 ज्योतिर्लिंगों की इस श्रृंखला में हम आज सोमनाथ मंदिर गुजरात की चर्चा करेंगे और जानेंगे इसकी स्थापना, इतिहास, वास्तुकला के बारे में। साथ ही जानेंगे सोमनाथ मंदिर का रहस्य और इससे जुड़ी रोचक कहानियों के बारे में। तो अंत तक जुड़े रहे हमारे इस आर्टिकल से।
सोमनाथ मंदिर गुजरात| Somnath Mahadev Temple
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल में के प्रभासपाटण में स्थित है। इस मंदिर को वेदों में वर्णित 12 स्वयंभू ज्योतिर्लिंगों में से पहला ज्योतिर्लिंग होने का गौरव प्राप्त है। पुराणों में कहा गया है कि इस मंदिर की स्थापना चंद्र देव ने की थी। इतिहास में इस मंदिर पर कई बार विदेशी आक्रमण हुए और इसे कई बार तोड़ा गया व बार-बार इसका पुनर्निर्माण किया गया है।
इस मंदिर का अंतिम बार पुनर्निर्माण आजादी के तुरंत बाद भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने करवाया था। 1955 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने इसे देश को समर्पित किया था। आपको बता दें कि ऋग्वेद सहित कई पुराणों और भगवद गीता आदि ग्रन्थों में सोमनाथ मंदिर का उल्लेख मिलता है।
सोमनाथ मंदिर की प्रमुख जानकारी
मंदिर का नाम | सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Somnath Jyotirlinga) |
प्रमुख देवता | भगवान शिव |
स्थापना | चंद्रदेव |
वास्तुकला | चालुक्य शैली |
प्रमुख त्योहार | महा शिवरात्रि |
खुलने का समय | सुबह 6 से रात 9 बजे तक |
आरती का समय | सवेरे 7 बजे, दोपहर 12 बजे और शाम 7 बजे |
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का इतिहास| History of Somnath Temple in Hindi
दोस्तों सोमनाथ मंदिर जितना ऐतिहासिक और खास है उतना ही खास है सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण का इतिहास। इतिहास में कई बार इस मंदिर ने विदेशी आक्रमणों का सामना किया है। लेकिन कोई भी इस मंदिर के अस्तित्व और इससे जुड़ी आस्था को नुकसान नहीं पहुँचा सका। अगर सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण की बात करें तो इस मंदिर पर सबसे पहला आक्रमण 8वीं सदी में सिंध के सूबेदार अल जुनायद ने किया था। फिर 815 ईस्वी में गुर्जर प्रतिहार राजा नागभट्ट ने इसका पुनर्निर्माण किया।
अरब यात्री अल बरूनी के अनुसार सन 1024 में अफगानी हमलावर महमूद गजनवी अपने 5000 सैनिकों के साथ इस मंदिर पर हमला किया। इस हमले में गजनवी ने न सिर्फ मंदिर को तोड़ा और इसकी संपत्ति लूटी बल्कि मंदिर में पूजा कर रहे लगभग 50000 लोगों की हत्या भी की। इस हमले में गजनवी द्वारा मंदिर से लूटी गई संपत्ति लगभग 18 करोड़ रुपए की थी। कुछ समय बाद गुजरात के राजा भीमदेव और मालवा के राजा भोज ने इस मंदिर को फिर से बनवाया।
सोमनाथ मंदिर पर हमले की श्रृंखला यहीं नहीं रुकी। 1297 इस्वी में अलाउद्दीन खिलजी के सेनानायक नुसरत खान ने, 1395 इस्वी में मुज्जफरशाह ने, 1412 ईस्वी में अहमदशाह अब्दाली ने और 1665 ईस्वी में औरंगजेब ने मंदिर पर हमलाकर इसे लूटा। सन 1706 ईस्वी में औरंगजेब द्वारा किया गया हमला इस मंदिर पर आखिरी हमला था। इसके बाद मराठा शासक शिवाजी के शासनकाल में यह मंदिर मराठाओं के अधिकार क्षेत्र में आकर सुरक्षित हो गया।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर वास्तु कला| Somnath Temple Architecture in Hindi
यदि हम सोमनाथ मंदिर की संरचना और वास्तु कला की बात करें तो विदेशी हमले से पहले की इसकी संरचना काफी अनूठी और अद्वितीय थी जिसे आक्रमणकारियों ने नष्ट कर दिया था। मंदिर की वर्तमान संरचना जिसका पुनर्निर्माण भारत के प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा करवाया गया,चालुक्य शैली पर आधारित है। यह मंदिर प्राचीन हिंदू शिल्प कला का अनोखा उदाहरण है।
1024 में महमूद गजनवी द्वारा किए गए हमले में मंदिर के असल शिवलिंग को खंडित कर दिया गया था। इसके बाद स्थापित शिवलिंग को सन 1395 में हुए हमले में खंडित कर दिया गया। सौराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री के आदेश पर 19 अप्रैल 1940 में पुरातत्व विभाग द्वारा उत्खनन किया गया जिसमें प्राप्त ब्रह्मशिला पर शिवलिंग की स्थापना की गई।
सोमनाथ मंदिर तीन हिस्सों में विभाजित है जिन्हें गर्भ ग्रह, सभा मंडप और नृत्य मंडप कहा जाता है। इस मंदिर का शिखर डेढ़ सौ फीट ऊंचा है, इसके शीर्ष पर 10 टन का वजनदार कलश स्थापित किया गया है और इसकी ध्वज की ऊंचाई 27 फिट है।
यह मंदिर कपिला, हिरण और सरस्वती नदी के संगम पर स्थित है। इसके बारे में मान्यता है कि इस जगह स्नान करने से सारे पापों से मुक्ति मिलती है। सोमनाथ मंदिर से 5 किलोमीटर की दूरी पर भालुका तीर्थ स्थित है।
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सोमनाथ मंदिर का रहस्य व मान्यताएं| Somnath Temple Facts and Secrets
ऐतिहासिक सोमनाथ से मंदिर से जुड़ी बहुत सी मान्यताएं व तथ्य आम जनमानस के बीच प्रचलित हैं। साथ ही इस मंदिर कुछ विशेष संरचनाएँ भी हैं जो इसे और भी खास बनाती हैं। आइये अब हम आपको बताते हैं सोमनाथ मंदिर का रहस्य और इससे जुड़ी मान्यताएं –
सोमनाथ मंदिर के बाण स्तंभ का रहस्य
सोमनाथ मंदिर के प्रांगण में एक स्तंभ है जिसे बाण स्तंभ कहा जाता है। इस स्तंभ के शीर्ष पर समुद्र की ओर इशारा करता हुआ एक तीर बनाया गया है इसलिए इसका नाम बाण स्तंभ है। इसका स्थापना काल छठी शताब्दी से पूर्व का है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक दिशा दर्शक स्तंभ है।
इस स्तंभ की दीवार पर ‘आसमुद्रांत दक्षिण ध्रुव पर्यंत, अबाधित ज्योर्तिमार्ग।’ अंकित किया गया है जिसका अर्थ है इस समुद्र के अंत से लेकर दक्षिणी ध्रुव तक बिना बाधा का ज्योति मार्ग है। मतलब कि इस स्थान से लेकर दक्षिणी ध्रुव (अंटार्कटिका) के बीच में सीधी रेखा खींचने पर कोई भी जमीन का हिस्सा नहीं मिलेगा।
हालांकि कुछ विशेषज्ञ इस बात का खंडन भी करते हैं। उनका मानना है कि जब इस स्तंभ को बनाया गया होगा हो सकता है उस समय इस रास्ते में धरती का कोई भी हिस्सा नहीं रहा हो। लेकिन इतने वर्षों बाद कई भौगोलिक परिवर्तन होने के कारण कुछ बदलाव अवश्य हुआ होगा।
लेकिन यह स्तंभ इस बात की पुष्टि करता है कि सैकड़ो वर्षों पहले से ही भारत के लोगों को इन महत्वपूर्ण तथ्यों जैसे कि धरती गोल है और दक्षिण ध्रुव कहां स्थित है, की जानकारियां थी, जो कि बहुत ही आश्चर्य जनक बात है।
यहां श्री कृष्ण ने त्यागा था अपना शरीर
सोमनाथ मंदिर से 5 किलोमीटर की दूरी पर एक भालका नामक तीर्थ है। इसके बारे में कहा जाता है कि इस जगह भगवान श्री कृष्ण ने अपने शरीर का त्याग किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार गांधारी के अभिशाप से यादव वंश में आपसी कलह बढ़ने लगी और वह एक दूसरे को संहार करने लगे। इस बात से उदास होकर श्री कृष्ण इस स्थल पर एक पीपल के पेड़ के नीचे अपने बाएं पैर को अपने दाएं पैर पर रखकर योग मुद्रा में ध्यान करने लगे।
उसी समय एक शिकारी जिसका नाम जरा था, ने भगवान कृष्ण के पैरों को हिरण का मुंह समझ कर उन पर तीर चला दिया जो भगवान कृष्ण के बाएं पैर के तलवे में लगा। शिकारी ने पास आकर देखा तो पाया कि वह शिकार कोई हिरन नहीं बल्कि भगवान कृष्ण हैं। यह देखकर उसे शिकारी को बहुत ही पछतावा हुआ और वह भगवान कृष्ण से माफी मांगने लगा। तब भगवान कृष्ण ने उसे दिलासा देते हुए कहा कि यह जो कुछ भी हुआ है मेरी ही मर्जी से हुआ है इसलिए तुम दुखी मत हो।
ऐसा कहकर उन्होंने उसे शिकारी को माफ कर दिया और अपने शरीर को त्याग कर अपने बैकुंठ धाम चले गए। भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु शरीर का अंतिम संस्कार, कपिल सरस्वती और हिरन नदी के त्रिवेणी संगम पर हुआ जिस जगह शिकारी ने श्री कृष्ण को बाण मारा वह जगह भालका तीर्थ के नाम से जानी जाती है।
इसके अलावा सोमनाथ मंदिर में हर शाम 7:30 बजे से 8:30 बजे तक एक साउंड एंड लाइट शो का संचालन किया जाता है जिसमें इस मंदिर के इतिहास को चित्रों के माध्यम से दर्शाया जाता है।
सोमनाथ मंदिर की कहानी | Somnath Temple Story in Hindi
इस आर्टिकल की शुरुआत में हमने आपको बताया था कि सोमनाथ मंदिर की स्थापना चंद्रदेव ने की है। इस मंदिर की स्थापना के पीछे एक रोचक कहानी है जो कि इस प्रकार है –
पुराणों के अनुसार दक्ष प्रजापति की 27 पुत्रियाँ थीं जिनका विवाह उन्होंने चन्द्र देव के साथ किया था। परन्तु चंद्र देव अपनी सभी पत्नियों में से रोहिणी को सर्वाधिक प्रेम करते थे। इससे उनकी अन्य पत्नियाँ ईर्ष्या करने लगीं और उन्होंने अपने पिता दक्ष प्रजापति के पास जाकर सहायता माँगी। दक्ष प्रजापति के बहुत समझाने पर भी जब चंद्र देव नहीं माने, तो उन्होंने चंद्र देव को श्राप दिया कि उनका सौंदर्य और वैभव धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा और वे नष्ट हो जाएंगे।
जब चंद्रदेव सहायता के लिए ब्रह्मा जी के पास पहुँचे तो ब्रह्मा जी ने उन्हें भगवान शिव की आराधना करने को कहा। तब चंद्रदेव ने भगवान शिव की तपस्या की और जैसे ही वह नष्ट होने वाले थे उसी समय भगवान शिव प्रकट हुए। उन्होंने चंद्र देव को कहा कि मैं आपको पूरी तरह श्राप मुक्त तो नहीं कर सकता, लेकिन इसे घटा जरुर सकता हूं।
इसके बाद भगवान शिव ने चंद्र देव को 15 दिन बढ़ने और 15 दिन घटने का वरदान दिया। इसके बाद से ही चंद्रमा का 15 दिन बढ़ने और 15 दिन घटने का क्रम जारी है। ऐसी मान्यता है कि तपस्या के समय चंद्र देव का जो अंतिम रूप बचा था उसे ही भगवान शिव ने अपने मस्तक (सिर) पर धारण किया हुआ है।
सोमनाथ मंदिर दर्शन व आरती| Somnath Temple Darshan Timings
सोमनाथ मंदिर दर्शन समय की बात करें तो यह मंदिर सवेरे 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक भक्तों के लिए खुलता है। वहीं यदि हम Somnath Temple Aarti Time की बात करें तो मंदिर में तीन बार आरती होती है जिनका समय क्रमशः सुबह 7:00 बजे फिर दोपहर 12:00 बजे और फिर शाम को 7:00 बजे है
सोमनाथ मंदिर कैसे पहुँचें| How to Reach Somnath Temple Gujrat
यदि आप भी इस ऐतिहासिक और हिंदू धार्मिक आस्था के केंद्र सोमनाथ मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप किस तरह सोमनाथ मंदिर तक की यात्रा कर सकते हैं। सोमनाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए हवाई यात्रा रेल यात्रा या सड़क मार्ग तीनों माध्यम उपलब्ध हैं जिनके बारे में हम विस्तार से चर्चा करते हैं। –
सड़क मार्ग द्वारा सोमनाथ मंदिर की यात्रा
यदि आप सोमनाथ मंदिर के दर्शन के लिए सड़क मार्ग की यात्रा का विकल्प चुनते हैं तो आप कोई भी टूरिस्ट पैकेज बुक कर के सोमनाथ मंदिर तक पहुंच सकते हैं। सोमनाथ मंदिर काफी प्रसिद्ध है इसलिए देश भर में इस मंदिर के दर्शन के लिए विशेष पैकेज चलाए जाते हैं। इसके अलावा आप निजी वाहन से भी सोमनाथ मंदिर की यात्रा कर सकते हैं।
रेल मार्ग द्वारा सोमनाथ मंदिर की यात्रा
यदि आप रेल द्वारा सोमनाथ मंदिर की यात्रा का विकल्प चुनते हैं तो आपको अपने शहर से ट्रेन द्वारा वेरावल पहुंचना होगा। हम आपको बता दें के वेरावल रेलवे स्टेशन से सोमनाथ मंदिर की दूरी केवल डेढ़ किलोमीटर है जिसे आप पैदल या टैक्सी के माध्यम से पूरा कर सकते हैं।
हवाई मार्ग द्वारा सोमनाथ मंदिर की यात्रा
यदि आपने सोमनाथ मंदिर की यात्रा करने के लिए हवाई यात्रा का विकल्प चुना है तो हम आपको बता दें कि सोमनाथ मंदिर के सबसे पास का एयरपोर्ट है दीव एयरपोर्ट जो सोमनाथ मंदिर से 85 किलोमीटर की दूरी पर है। इस एयरपोर्ट पर देश के सभी प्रमुख शहरों की फ्लाइट्स आती जाती हैं। यहाँ पहुँचकर आप बस या टैक्सी से सोमनाथ मंदिर पहुँच सकते हैं।
निष्कर्ष| Conclusion
दोस्तों इस आर्टिकल में हमने सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में चर्चा की और सोमनाथ मंदिर का रहस्य, सोमनाथ मंदिर की कहानी, सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण और सोमनाथ मंदिर दर्शन और आरती के समय के बारे में जाना।
हम आशा करते हैं कि आपको सोमनाथ मंदिर गुजरात के बारे में सभी जानकारियां इस आर्टिकल के माध्यम से प्राप्त हुई होगी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हमको जुड़े रहें।
सोमनाथ मंदिर का रहस्य-FAQ
सोमनाथ मंदिर किस लिए प्रसिद्ध है
सोमनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग में पहला है
सोमनाथ मंदिर पर कितनी बार हमले हुए
सोमनाथ मंदिर पर 17 बार आक्रमण हुए
सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कब किया गया
सन 1955
पुराणों के अनुसार सोमनाथ मंदिर किसने स्थापित किया
पुराणों के अनुसार सोमनाथ मंदिर की स्थापना चंद्र देव ने की थी।
सोमनाथ मंदिर की स्थापत्य शैली क्या है
सोमनाथ मंदिर चालुक्य शैली में स्थापित किया गया है