नमस्कार दोस्तों आज हम जानेंगे 8 Chiranjeevi Name in hindi. दोस्तों कहते हैं कि इस दुनिया में जो आया है उसका मरना तय है। लेकिन हिंदू धर्म में आठ ऐसे व्यक्ति होने की मान्यता है जो अमर हैं। इन्हें 8 चिरंजीवी के नाम से पुकारा जाता है। इनमें से हर एक का नाम आपने कभी ना कभी जरुर सुना होगा। इनमें से कोई किसी वरदान के कारण अमर है तो कोई किसी श्राप के कारण।
कौन है यह 8 चिरंजीवी? क्या है इनके अमर होने की कहानी? इनकी अमर होने की कहानी हमें क्या सिखाती है यह सब हम जानेंगे आज के इस आर्टिकल में।
तो चलिए शुरू करते हैं या आर्टिकल जिसमें हम जानेंगे 8 Chiranjeevi Name in Hindi.
8 चिरंजीवी| 8 Chiranjeevi Name
जैसा कि हमने बताया 8 चिरंजीवी वे लोग हैं जिन्हें हिंदू धर्म के अनुसार अमर होने का वरदान प्राप्त है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि यह लोग आज भी धरती पर कहीं ना कहीं मौजूद हैं और किसी प्रतिज्ञा, वरदान या श्राप के साथ आज भी धरती पर हैं। इतना ही नहीं यह सभी लोग सभी तरह की सिद्धियां प्राप्त किए हुए हैं।
इनमें से सात चिरंजीवियों को पृथ्वी के सात महामानव की संज्ञा दी गई है। वेदों में 8 चिरंजीवी से जुड़ा एक महामंत्र दिया गया है जिसकी पहले दो पंक्तियों में सात चिरंजीवियों के नाम सहित यह तथ्य दर्शाया गया है कि पृथ्वी के सात महामानव हैं वही मंत्र की अंतिम दो पंक्तियों में 8th immortal of India का वर्णन होने के साथ यह कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति आठों चिरंजीवियों को नित्य स्मरण करता है तो उसके सभी रोग खत्म हो जाते हैं और उसे एक लंबी उम्र भी मिलती है
चिरंजीवी कौन होते हैं?
चिरंजीवी का अर्थ है चिरकाल तक जीने वाला यानि चिरंजीवी वे लोग होते हैं जो की मौत से परे होते हैं, अमर होते हैं। और हिंदू धर्म के अनुसार केवल आठ लोग ही हैं जो चिरंजीवी है और आज भी धरती पर जिंदा हैं।
चिरंजीवी कौन-कौन हैं| 8 Chiranjeevi name in Hindi
जैसा कि हमने इस आर्टिकल की शुरुआत में बताया था कि 8 चिरंजीवी में शामिल लोगों के नाम आप सब ने कभी ना कभी जरूर सुने होंगे लेकिन आप इस बात से जरूर अनजान होंगे कि यह सभी आठ चिरंजीवियों में शामिल है। हम आपको बता दें कि इन 8 Chiranjeevi में से कुछ सतयुग से हैं तो कुछ द्वापर युग से। इन सब के अमर होने अपनी-अपनी कहानी है जिनके बारे में हम आगे इस आर्टिकल में जानेंगे। आईए जानते हैं कि 8 चिरंजीवी कौन-कौन हैं –
8 चिरंजीवी के नाम
- अश्वत्थामा (Ashwatthama)
- बलि (Bali)
- हनुमान (Hanuman)
- विभीषण ( Vibhishana)
- कृपाचार्य (Kripacharya)
- परशुराम (Parasuraman)
- व्यास (Vyasa)
- मार्कण्डेय (Markandeya)
8 चिरंजीवी के नाम और उनकी कहानियाँ| 8 Chiranjeevi Name in Hindi and Their Stories
8 Chiranjeevi Name in hindi जानने के बाद लिए हम जानते हैं कि इन आठों लोगों के चिरंजीवी होने की कहानी क्या है। आखिर किस प्रतिज्ञा, वरदान या श्राप ने इन्हें 8 चिरंजीवी में शामिल किया।
अश्वत्थामा (Ashwatthama)
अश्वत्थामा पांडवों और कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य और उनकी पत्नी कृपि का पुत्र है जो उन्हें भगवान शिव के आशीर्वाद से प्राप्त हुआ था। पैदा होते ही इस बालक ने अपने गले से हिनहिनाने की आवाज की, इसलिए द्रोणाचार्य ने उसका नाम अश्वत्थामा रखा।
यह बालक बहुत तेजस्वी था और जन्म से ही इसके माथे पर एक मणि जड़ी हुई थी जो उसे दैत्य, दानव, रोग, किसी भी बाधा और संकट आदि से सुरक्षा देती थी और साथ ही उसे भूख,प्यास और बुढ़ापे से भी बचाती थी। द्रोणाचार्य ने पांडवों और कौरवों के साथ थी अश्वत्थामा को भी अस्त्र-शस्त्र आदि की शिक्षा दी थी इसलिए वह युद्ध कौशल में भी निपुण था।
महाभारत के युद्ध में गुरु द्रोणाचार्य ने अपना धर्म निभाते हुए कौरवों का साथ दिया और अश्वत्थामा ने भी अपने पिता का साथ दिया। इस युद्ध में श्री कृष्ण और पांडवों ने छल का सहारा लेकर द्रोणाचार्य का वध किया और उसके बाद भीम ने दुर्योधन का वध किया जिससे अश्वत्थामा क्रोधित हुआ और उसने द्रोपदी के सभी पुत्रों की हत्या कर दी। द्रोपती के विलाप से क्रोधित होकर अर्जुन ने अश्वत्थामा का पीछा किया तब अश्वत्थामा ने अर्जुन की ओर ब्रह्मास्त्र चलाया।
तब श्री कृष्ण के कहने पर अर्जुन ने भी ब्रह्मास्त्र चलाया। दोनों ब्रह्मास्त्र आपस में टकराने लगे जिससे सृष्टि में हाहाकार मच गया तब महर्षि व्यास और नारद जी के आग्रह पर अर्जुन ने तो अपना ब्रह्मास्त्र वापस ले लिया लेकिन अश्वत्थामा को यह ब्रह्मास्त्र को वापस लेने की विद्या नहीं आती थी। इसलिए उसने अपना प्रतिशोध लेने के लिए ब्रह्मास्त्र को अर्जुन पुत्र अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ की ओर मोड़ दिया।
उसके ऐसा करने से भगवान कृष्ण अत्यंत क्रोधित हुए और उन्होंने अश्वत्थामा के माथे पर लगी हुई मणि निकाल ली और उसे श्राप दिया कि जिस तरह तूने द्रौपदी को जीवन भर का घाव दिया है इस तरह तू भी इस मणि के निकाले जाने से बने घाव के साथ अनंत काल तक इस संसार में भटकता रहेगा।
मृत्यु मांगने पर भी तुझे मृत्यु नहीं मिलेगी। कहा जाता है तभी से लेकर आज तक अश्वत्थामा इस घायल अवस्था में इस संसार में भटक रहा है। हालांकि स्कंद पुराण के अनुसार ऋषि वेद व्यास की सलाह पर अश्वत्थामा ने भगवान शिव की तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे कृष्ण के श्राप से मुक्त कर दिया और अमरता का वरदान दिया।
People Also Liked This: 12 Aditya Ke Naam – जानिए 33 कोटि देवताओं में शामिल अदिति के 12 पुत्रों के बारे में
बलि (Bali)
राजा बलि विष्णु भक्त प्रहलाद के पोते और असुर राज विरोचन के पुत्र थे। वे बहुत ही दानवीर प्रवृत्ति के थे। समुद्र मंथन के बाद समुद्र से प्राप्त हुए रत्न के लिए देवताओं और असुरों में युद्ध छिड़ गया तब गुरु शुक्राचार्य की आज्ञा से राजा बलि ने देवताओं को हराकर स्वर्ग लोक पर अपना अधिकार जमा लिया था। उसके बाद उन्होंने विश्वजीत और शत अश्वमेध यज्ञ करके तीनों लोकों पर अपना राज जमा लिया।
जब वह आखरी अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे तब भगवान विष्णु वामन रूप धरके उनके सामने दान मांगने को उपस्थित हुए। उन्होंने दान में तीन पग धरती मांगी, जैसे ही राजा बलि ने अपना दान का संकल्प लिया वैसे ही भगवान विष्णु अपने विशाल रूप में आ गए और उन्होंने पहले पग में पूरी धरती और दूसरे पग में पूरा आसमान नाप लिया।
जब आखिरी पग रखने को कुछ ना बचा तो राजा बलि ने प्रभु के पैर के सामने अपनी शीश को आगे कर दिया। बाली की दानशीलता से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें अमरता का वरदान दिया। कहा जाता है कि राजा बलि की राजधानी केरल के महाबलीपुरम में थी और हर वर्ष ओणम के त्योहार पर राजा बलि अपने राज्य महाबलीपुरम अवश्य जाते हैं।
हनुमान (Hanuman)
भगवान राम के परम भक्त हनुमान के बारे में तो आप अच्छी तरह से जानते होंगे। जी हां महाबली हनुमान जी 8 चिरंजीवी में से एक माने गए हैं और यह मान्यता है कि हनुमान आज भी धरती पर मौजूद है।
हनुमान वानरों के राजा केसरी के पुत्र हैं उनकी माता का नाम अंजना है। हनुमान भगवान शिव रूद्र अवतारों में से एक हैं और ऐसा माना जाता है कि भगवान राम की सहायता के लिए ही इनका जन्म हुआ था।
भगवान राम के निर्देश पर ही जब यह सीता की खोज में लंका गए और लंका में मां सीता से मिलकर उन्हें भगवान श्री राम का संदेश दिया और उन्हें ढांढस बंधाया तब माता सीता ने इन्हें चिरंजीवी होने का आशीर्वाद दिया था।
विभीषण (Vibhishana)
विभीषण लंका के राजा रावण के सबसे छोटे भाई थे। वे ऋषि विश्रवा और राक्षस कन्या कैकसी के पुत्र थे। अपने दोनों भाइयों के साथ मिलकर उन्होंने ब्रह्मा देव की तपस्या की थी और वरदान में सदा धर्म पर चलने का वर मांगा था। वे भगवान राम के बहुत बड़े भक्त थे और लंका में रहते हुए भी भगवान राम की पूजा करते थे।
भगवान राम से समझौता करने की सलाह देने पर रावण ने उन्हें अपने राज्य से निकाल दिया तब वे भगवान राम की शरण में गए थे और रावण के साथ युद्ध करने में उनके साथ दिया था। लंका विजय के बाद भगवान राम ने लंका का शासन विभीषण के हाथों सौंप दिया था। मान्यता है कि विभीषण चिरंजीवी है और आज भी संसार में उपस्थित है।
कृपाचार्य (Kripacharya)
कृपाचार्य शरद्वान के पुत्र थे। कहा जाता है कि शरद्वान को धनुर्विद्या से लगाव था। वे धनुर्विद्या में इतने निपुण हो गए थे कि देवराज इंद्र को भी उनसे डर लगने लगा। तब उन्होंने उनकी तपस्या को भंग करने के लिए नामपदी नाम की एक अप्सरा को भेजा।
उसे देखकर शरद्वान इतने कामातुर हो गए कि उनका वीर्य स्खलित हो गया, जो एक सरकंडे पर गिरा। उस वीर्य की बूँदों से दो जुड़वा बच्चे पैदा हुए हैं जिन्हें शरद्वान और नामपदी वहीं पर छोड़ कर चले गए। तब राजा शांतनु वहां आए और उन्होंने उन दोनों बच्चों पर कृपा करके उन्हें पाला।
उनका नाम उन्होंने कृपा और कृपा रखा। आगे चलकर कृपाचार्य को पांडवों और कौरवों का गुरु नियुक्त किया गया। कृपाचार्य 8 Chiranjeevi में से एक गिने जाते हैं।
परशुराम (Parshuram)
भगवान परशुराम ऋषि जमदग्नि के पुत्र थे और इंद्र के आशीर्वाद से उनकी पत्नी रेणुका के गर्भ से जन्मे थे। वे भगवान विष्णु के छठवें अवतार थे। उनका वास्तविक नाम राम था परंतु भगवान शिव ने उन्हें विद्युदभि नामक परशु (फरसा) प्रदान किया जिसके बाद भी परशुराम कहलाने लगे।
भगवान विष्णु ने उन्हें युगों-युगों तक अमर रहने का वरदान प्रदान किया। उन्होंने 21 बार क्षत्रिय वंश का विनाश किया था वह भीष्म द्रोणाचार्य और करने के गुरु भी रहे। मान्यता है कि वे आज भी संसार में उपस्थित हैं और और भगवान विष्णु के कल्कि अवतार होने पर उनके गुरु का पदभार संभालेंगे।
व्यास (Vyasa)
महर्षि वेदव्यास ऋषि पाराशर और सत्यवती के पुत्र थे। उनका पूरा नाम कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास था। वे महाभारत सहित कई घटनाओं के साक्षी रहे हैं। उन्होंने महाभारत सहित वेदों और कई धर्म ग्रंथो की रचना की है। वे त्रिकालदर्शी थे उन्होंने जान लिया था कि कलयुग में धर्म कर्म बहुत ही क्षीण हो जाएगा। जिसके कारण मनुष्य नास्तिक, कर्तव्यहीन और अल्प आयु का हो जाएगा।
ऐसे में वेद को पढ़ना और समझना उसके लिए बहुत ही मुश्किल हो जाएगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने वेद को ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद व अथर्ववेद नामक चार भागों में विभक्त कर दिया, ताकि कम बुद्धि वाले और कमजोर स्मरण शक्ति वाले भी वेद को पढ़ सके। वेद अधिक गहरे और कठिन होने के कारण महर्षि व्यास ने पुराणों की रचना की जिसमें वेदों के ज्ञान को बहुत ही रोचक कहानियों में बताया गया है।
मार्कण्डेय (Markandeya)
मार्कण्डेय (Markandeya)
इस मार्कंडेय को आठवां चिरंजीवी माना गया है। यह ऋषि मृकण्डु और मरूदमती के पुत्र थे। इन्होंने महामृत्युंजय मंत्र के साथ-साथ मार्कंडेय पुराण की रचना की। भगवान शिव के वरदान से इन्होंने काल पर विजय प्राप्त की थी।
ऊपर हमने जिन साथ व्यक्तियों का वर्णन किया हुए पृथ्वी के साथ महामानव कहे जाते हैं वहीं यदि इसमें हम ऋषि मार्कंडेय को शामिल करें तो यह 8 चिरंजीवी कहलाते हैं। आठ चिरंजीवी मंत्र की अंतिम दो पंक्तियां ऋषि मार्कंडेय को ही समर्पित हैं। इन्हें 8th immortal of india भी कहा जाता है।
8th Immortal of India: कौन हैं यह अमर व्यक्ति?
जैसा कि हमने आपको बताया कि ऋषि मार्कण्डेय को 8th immortal of India कहा जाता है। इनके अमर होने की कहानी बहुत ही रोचक है जो की भागवत पुराण में दी गई है इसके अनुसार –
ऋषि मृकण्डु और उनकी पत्नी नि:संतान थे। पुत्र पाने की इच्छा से भगवान शिव की तपस्या की। भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें पुत्र पाने के लिए दो विकल्प दिए, पहला एक ज्ञानी पुत्र लेकिन उसकी उम्र कम होगी और दूसरा मूर्ख पुत्र जिसकी उम्र लंबी होगी। ऋषि ने पहला विकल्प चुना और भगवान शिव ने उन्हें एक ज्ञानी पुत्र का वरदान दिया जिसकी मृत्यु 16 साल की आयु में हो जानी निश्चित थी।
इस तरह ऋषि मार्कण्डेय का जन्म हुआ। मार्कण्डेय बचपन से ही भगवान शिव के अनन्य भक्त थे और अपनी मृत्यु के तय दिन तक भगवान शिव की पूजा करते रहे। मृत्यु वाले दिन यमदूतों ने उनके प्राण लेने की पूरी कोशिश की लेकिन हुई उन्हें ले जा ना सके तब हार कर यमराज स्वयं उनके प्राण लेने के लिए आए। जैसे ही यमराज आगे बढ़े भगवान शिव प्रकट हुए।
तब यमराज ने कहा कि आपने ही आयु 16 वर्ष निश्चित की थी। तब भगवान ने कहा कि मेरा एक वर्ष एक युग के बराबर होता है, अतः मेरा यह भक्ति युगों-युगों तक अमर रहेगा। ईश्वरदान के बाद दूसरी मार्कण्डेय अमर हो गए उसके बाद उन्होंने मार्कंडेय पुराण और महामृत्युंजय मंत्र की रचना की।
चिरंजीवी मंत्र (Chiranjeevi Mantra)
आठ चिरंजीवियों के बारे में विस्तार से जानने के बाद हम आपको बता देंगे कि इन 8 चिरंजीवी से जुड़ा एक मंत्र भी है जो कि काफी महत्वपूर्ण है। इसके बारे में कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस मंत्र का जाप करता है उसके सभी रोग खत्म हो जाते हैं और उसे लंबी उम्र प्राप्त होती है। यह मंत्र इस प्रकार है-
अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनूमांश्च विभीषण:।
कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।
इस मंत्र की शुरुआती दो पंक्तियों में साथ चिरंजीवियों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि, “अश्वत्थामा, बाली, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और परशुराम सात चिरंजीवी हैं।” अंतिम दो पंक्तियों में ऋषि मार्कंडेय का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि, “इन सातों महा मानवों के साथ ऋषि मार्कंडेय के नाम का जाप करने से व्यक्ति हर रोग से मुक्त रहता है और लंबी आयु को प्राप्त करता है।”
चिरंजीवी होने का पौराणिक और धार्मिक महत्व
8 चिरंजीवी हिंदू धर्म का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग हैं। इनके जीवन चरित्र इंसान को कर्मठता, भक्ति और तप आदि तो सिखाते ही हैं साथ ही यह भी बताते हैं कि हमें अपनी शक्ति और बुद्धि बल का प्रयोग सद्कार्यों में करना चाहिए जिससे संसार का भला हो और संसार को बेहतर शिक्षा मिले। अन्य सात चिरंजीवियों ने अपने संसार की भलाई के लिए किया वहीं अश्वत्थामा ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया जिससे कई लोगों की हानि हुई।
निष्कर्ष | 8 Chiranjeevi Name in Hindi
इस आर्टिकल में हमने 8 Chiranjeevi Name का सार समझा और जाना कि कैसे यह महान चरित्र हिंदू धर्म की चेतना में रचे बसे तो हैं साथ ही अपने जीवन से आने वाली कई पीढियों को सत्य निष्ठा, शौर्य और तप की शिक्षा देते रहेंगे। इन पौराणिक महान चरित्र के बारे में जानना और समझना आज की पीढ़ी के लिए बहुत ही ज़रूरी है।
8 Chiranjeevi Name in Hindi: यहाँ देखें वीडियो
FAQs (8 Chiranjeevi Name in Hindi)
चिरंजीवी कौन होते हैं?
चिरंजीवी उन व्यक्तियों को कहते हैं जो कभी भी मरते नहीं हैं।
8 चिरंजीवी कौन कौन से हैं?
अश्वत्थामा, हनुमान, बलि, कृपाचार्य, परशुराम, वेदव्यास, विभीषण, मार्कण्डेय आठ चिरंजीवी है।
परशुराम अभी कलयुग में कहां है?
भागवत पुराण के अनुसार परशुराम महेंद्र पर्वत पर संन्यास रत हैं।
चिरंजीवी मंत्र क्या है?
अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनूमांश्च विभीषण:।
कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।
8th immortal of India कौन है?
8th immortal of India ऋषि मार्कण्डेय है?
1 thought on “8 Chiranjeevi Name in Hindi: पृथ्वी पर अमर हैं ये आठ लोग”