
Skandmata Ke Upay: चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व देशभर में भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह नौ दिनों का त्योहार माँ दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित होता हैं और इसमें पांचवां दिन (Navratri Ka Panchva Din) माँ स्कंदमाता का होता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि माँ का नाम भक्तों के प्रति ममता और संरक्षण की भावना को दर्शाता है।
कहा जाता है मां स्कंदमाता ने भगवान कार्तिकेय को जन्म दिया था जिन्हें स्कंद नाम से भी जाना जाता है इसलिए इनका नाम स्कंदमाता पड़ गया। मां स्कंदमाता को मातृत्व, प्रेम और ज्ञान की देवी कहा जाता है। जिनकी पूजा से संतान सुख, वैवाहिक जीवन में शांति, और आध्यात्मिक प्रगति मिलती है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि वेद पुराणों में बताए कुछ अनोखे उपायों से आप माँ की कृपा को अपने जीवन में अतिशीघ्र पा सकते हैं? आज हम आपको ऐसे ही उपायों (Skandmata Ke Upay) के बारे में बताएंगे, जिन्हें अपनाकर आप माँ स्कंदमाता की कृपा शीघ्र पा सकते हैं और अपने जीवन को सुख-शांति से भर सकते हैं।
आइए सबसे पहले जानते हैं माँ स्कंदमाता के बारे में
माँ स्कंदमाता का स्वरूप बेहद शांत और करुणामयी है। उनका वर्ण श्वेत है, जो शुद्धता और शांति का प्रतीक है। चार भुजाओं वाली माँ स्कंदमाता के दो हाथों में कमल हैं, जो सुंदरता और आध्यात्मिकता के साथ-साथ आध्यात्मिकता के रूपक हैं। साथ ही एक हाथ में वे अपने पुत्र स्कंद अर्थात भगवान कार्तिकेय के बालस्वरूप को गोद में थामे हैं, और चौथा हाथ अभय मुद्रा में है, जो भक्तों को उनके हर भय से मुक्ति का वचन देता है।
माँ स्कंदमाता सिंह पर सवार होती हैं, जो उनकी शक्ति और धर्म की रक्षा का प्रतीक है। पुराणों के अनुसार माँ स्कंदमाता ने अपने पुत्र भगवान कार्तिकेय को तारकासुर जैसे दानव से युद्ध के लिए तैयार किया था।
माँ का यह रूप मातृत्व का प्रतीक है। जैसे एक माँ अपने बच्चे की हर जरूरत का ख्याल रखती है, वैसे ही माँ स्कंदमाता अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। उनकी पूजा विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो संतान की कामना करते हैं, और अपने बच्चों की सुरक्षा व उनके जीवन में ज्ञान का प्रवाह चाहते हैं।
माँ स्कंदमाता की कृपा पाने के अनोखे उपाय
सामान्य पूजा के अलावा, कुछ खास उपाय हैं जो पुराणों, वेदों, और प्रचलित लोक परंपराओं से लिए गए हैं। ये उपाय माँ स्कंदमाता की दिव्य कृपा आपके जीवन में लाने में मदद करते हैं। आइए जानते हैं इन चमत्कारी उपायों को (Skandmata Ke Upay)-
उपाय 1: धनुष-बाण का अर्पण
जैसा कि ज्ञात है कि भगवान कार्तिकेय मां स्कंद माता के पुत्र हैं और युद्ध के देवता हैं। इस कारण धनुष बाण के अर्पण से माँ प्रसन्न होती हैं। संतान सुख और बच्चों की रक्षा के लिए यह उपाय बहुत प्रभावी है। एक छोटा लकड़ी का धनुष-बाण बनाएँ या खरीदें। इसे सुबह माँ की मूर्ति के सामने अर्पित करें और प्रार्थना करें कि आपके बच्चे स्वस्थ और सुरक्षित रहें। इसके बाद 21 बार मंत्र जप करें। यह उपाय संतान की प्रगति के लिए अचूक माना जाता है।
उपाय 2: लाल फूलों और श्रृंगार सामग्री से पूजा
माँ स्कंदमाता को लाल रंग प्रिय है। लाल गुलाब, गुड़हल, या चमेली के फूल लें और उनके साथ श्रृंगार सामग्री जैसे सिंदूर, बिंदी, काजल और मेहंदी अर्पित करें। यह उपाय खासकर महिलाओं के लिए है जो वैवाहिक सुख और संतान की कामना करती हैं। पूजा के बाद ये सामग्री किसी जरूरतमंद को दान करें, जिससे आप माँ की कृपा के पात्र बनें।
उपाय 3: दुर्गा सप्तशती का सातवाँ अध्याय
पंचमी तिथि पर दुर्गा सप्तशती का सातवाँ अध्याय पढ़ना बच्चों की शिक्षा और करियर में सफलता के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है। इसे सुबह शांत मन से पढ़ें और माँ स्कंदमाता से प्रार्थना करें कि आपके बच्चे ज्ञान और बुद्धि में आगे बढ़ें। यह उपाय मार्कण्डेय पुराण से प्रेरित है और बच्चों से जुड़ी कई अन्य बाधाओं को भी दूर करता है।
उपाय 4: पीले कपड़े और केले का भोग
माँ स्कंदमाता की मूर्ति पर पीला कपड़ा चढ़ाएँ और केले का भोग (Skandmata Bhog) लगाएँ। केला माँ स्कंदमाता का प्रिय फल है और केला समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। पूजा के बाद यह कपड़ा मंदिर में दान करें और केले को प्रसाद के रूप में भक्तों में बाँट दें। यह उपाय अपनाकर आप अपने परिवार में धन-धान्य और पारिवारिक सुख लाते हैं।

उपाय 5: सूर्योदय के समय ध्यान से साधें हृदय चक्र को
सूर्योदय के समय सफेद वस्त्र पहनकर हृदय चक्र पर ध्यान करें। आँखें बंद करें और “ॐ ह्रीं स्कंदमातायै नमः” मंत्र (Skandmata Mantra) का 108 बार जप करें। यह उपाय माँ की करुणा से जुड़ाव को गहरा करता है और तनाव से मुक्ति देता है। मानसिक शांति के लिए यह एक अचूक उपाय है।
उपाय 6: केले के पत्ते पर भोग
जैसा कि ज्ञात है कि केला मां का प्रिय भोज है तो इसलिए केले के पत्ते पर भोग लगाने से माँ प्रसन्न होती हैं। यह एक अनोखा उपाय है। केले के पत्ते पर खीर या मिठाई रखकर माँ स्कंदमाता को भोग लगाएं। भोग के बाद प्रसाद घरवालों में बाँटें। माँ स्कंदमाता की कृपा सब पर बरसेगी। यह कम प्रचलित उपाय माँ स्कंदमाता की ममता को आपके घर तक ले आता है।
उपाय 7: शहद और तुलसी का अर्पण
अगर आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्या बनी रहती है तो यह उपाय जरूर करें। एक छोटे बर्तन में शहद लें। उसमें तुलसी के पत्ते डालें और मां को अर्पित कर दें। पूजा के बाद शहद को थोड़ा सा प्रसाद के रूप में ग्रहण कर लें और उसके बाद आप देखेंगे कि मां की कृपा से आपके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। इस उपाय को अपनाकर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर होती हैं और आप दीर्घायु होते हैं।
उपाय 8: पांच दीपकों का प्रकाश
यह उपाय भी कम प्रचलित है लेकिन इसे अपना कर आप माँ की कृपा के पात्र बन सकते हैं। मां की प्रतिमा के सामने पांच दीपक जलाएं यह नवरात्रि के पांचवें दिन का प्रतिनिधित्व करता है अर्थात मां स्कंदमाता का प्रतिनिधित्व करता है। यह उपाय अपनाने से घर में सुख शांति व समृद्धि आती है।
माँ स्कंदमाता और केले का खास रिश्ता
मां स्कंदमाता को केला अत्यधिक प्रिय है यह फल ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। पूजा में केले से बनी खीर, केले की बनी हुई मिठाई या साबुत केले को चढ़ाएँ और चढ़ाते समय मां स्कंदमाता का नाम लें, उनका जाप करें। इस प्रकार मां स्कंद माता की कृपा आपके जीवन व आपके भोजन में बरसेगी।
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क्यों खास है पांचवां दिन?
माँ स्कंदमाता को मातृत्व और ज्ञान की देवी माना जाता है उनका श्वेत रूप शुद्धता का प्रतीक है और उनकी चार भुजाएं जीवन के हर पहलू को संभालने की शक्ति दिखाती हैं। मां स्कंद माता का मातृत्व प्रेम आपकी संतानों की रक्षा और परिवार की खुशहाली पर खूब बरसता है। उनके ये उपाय न केवल जीवन में आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ाते हैं, बल्कि रोजमर्रा की परेशानियों से भी निजात दिलाते हैं।
सामान्य पूजा का तरीका
माँ स्कंदमाता की पूजा का दिन नवरात्रि की पंचमी तिथि को होता है। भक्त सुबह जल्दी उठते हैं, स्नान करते हैं, और सफेद या पीले वस्त्र पहनकर माँ की मूर्ति को गंगाजल से साफ करते हैं। उसके बाद माँ की मूर्ति को पीले फूलों से सजाते हैं, और फिर घी का दीप जलाते हैं।
याद रखें माँ स्कंदमाता को भोग में केले, खीर, या मिठाई चढ़ाएँ, क्योंकि माँ को केला बहुत प्रिय है। “ॐ ह्रीं स्कंदमातायै नमः” और “या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः” मंत्रों (Skandmata Mantra) का जप करें। पूजा के बाद आरती करें और प्रसाद बाँटें। यह पारंपरिक विधि माँ को प्रसन्न करने का आसान तरीका है।
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FAQ- Skandmata Ke Upay
नवरात्रि में पुत्र प्राप्ति के लिए क्या उपाय है?
नवरात्रि में पुत्र प्राप्ति के लिए पांचवें दिन स्कन्द माता की पूजा करनी चाहिए।
क्या स्कंदमाता के दिन हल्के पीले रंग के कपड़े पहन सकते हैं (नवरात्रि के पांचवे दिन कौन सा रंग पहनना चाहिए?)
हाँ नवरात्रि के पांचवें दिन यानी स्कंद माता के दिन सफेद या पीले रंग के वस्त्र पहन सकते हैं।
स्कंद माता को क्या पसंद है?
स्कंदमाता को केला या उससे बने पकवान पसंद है।
मां स्कंद माता का मंत्र क्या है?
मां स्कंद माता का मंत्र “ॐ ह्रीं स्कंदमातायै नमः” है।
स्कंदमाता को कौन सा फूल पसंद है?
स्कंदमाता को पीले फूल प्रिय हैं।
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