
Ahoi Ashtami Puja Vidhi: अहोई अष्टमी का व्रत हिंदू धर्म की माता के लिए एक खास पर्व है जो वह अपनी संतान की सुरक्षा सुख समृद्धि और लंबी उम्र की कामना के लिए करती हैं। यह व्रत करवा चौथ के 3 दिन बाद रखा जाता है और इस साल यह व्रत 14 अक्टूबर 2025 मंगलवार के दिन रखा जाएगा।
अहोई माता जो कि माता पार्वती का एक रूप है इस दिन पूजी जाती हैं यह व्रत और इसके उपाय न केवल माता के लिए बल्कि उन सभी के लिए महत्वपूर्ण है अपनी संतान की सुरक्षा चाहते हैं इस लेख में हम अहोई अष्टमी व्रत की पूजा विधि और बच्चों की सुरक्षा के लिए खास उपाय के बारे में जानेंगे।
अहोई अष्टमी व्रत की विधि(Ahoi Ashtami Puja Vidhi)
अहोई अष्टमी व्रत और पूजा श्रद्धा भक्ति का अनुपम उदाहरण है और इस दिन पूजा करने के ये नियम है-
पहले अपने घर में एक साफ और स्वच्छ जगह चुनकर अहोई माता की तस्वीर स्थापित करें। आमतौर पर दीवार पर गेरू से माता की छवि बनाने परंपरा है पूजा स्थल को साफ करके फूलों और रंगोली से सजाएँ।
अहोई माता को फल चढ़ाएं। खासतौर पर जो लोग संतान प्राप्ति करना चाहते हैं उन्हें अहोई माता को अनार चढ़ाने चाहिए। मान्यता है की व्रत खोलने के बाद पति-पत्नी को यह अनार साथ में खाना चाहिए क्योंकि इससे स्वस्थ संतान का सुख प्राप्त होता है। इसके अलावा घी का दीपक जलाएं कुछ क्षेत्रीय परंपराओं में घी के आठ दीपक जलाने की परंपरा भी है। साथ ही अगरबत्ती, धूप या कपूर जलाकर पूजा को और पवित्र बनाएं।
और पढ़ें: अहोई अष्टमी पर तारे देख कर क्यों खोलते हैं व्रत, जानिए इसका महत्व
लोग अहोई माता चांदी का पेंडेंट बनवाते हैं जिसे गले में धारण किया जाता है इस पेंडेंट में हर साल चांदी के दो मोती जोड़े जाते हैं इसे अहोई अष्टमी से लेकर दिवाली तक पहना जाता है और फिर अगले साल के व्रत तक सुरक्षित रखा जाता है हालांकि यह एक वैकल्पिक परंपरा है जिसे आप अपनी श्रद्धा के अनुसार कर सकते हैं।
यह व्रत सुबह से शुरू होता है और रात में तारों को देखकर खोला जाता है कई जगहों पर साथ तारों यह सब ऋषियों के दर्शन करके व्रत को पूरा किया जाता है इस दौरान दूध या जल से तारों को अर्ध दिया जाता है व्रत खोलने के लिए सात्विक भोजन ग्रहण करें इसमें प्याज और लहसुन से परहेज करना चाहिए कुछ लोग निर्जला व्रत रखते हैं जबकि कुछ लोग फलाहार पर रहते हैं।

बच्चों की सुरक्षा के लिए अहोई अष्टमी के विशेष उपाय
अहोई अष्टमी के दिन एक विशेष उपाय किए जा सकते हैं जो आपके बच्चों को किसी भी तरह के संकट से सुरक्षा प्रदान करते हैं और उनके भविष्य को उज्ज्वल बना सकते हैं। इस उपाय को करने के लिए व्रत रखना जरूरी नहीं है केवल आप पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस को करके अपने बच्चों की सुरक्षा कर सकते हैं
कलावा या कच्चा सूत लें: अहोई अष्टमी के दिन सुबह एक कलवा या कच्चा सूत लेकर “ॐ अहोई माता नमः” का जाप करते हुए इस सूत में सात गांठें बांधें। इस धागे को पूरे दिन अपने पूजा स्थल पर अहोई माता की तस्वीर के सामने रखें।

प्रार्थना और संकल्प लें: शाम या रात के समय इस धागे को हाथ में लेकर अपने बच्चों की सुरक्षा उनके अच्छे स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य की मनोकामनाएं के साथ अहोई माता से प्रार्थना करें।
धागे का उपयोग: इस भाभी को बच्चों के तकिए के नीचे रखने और उसे दिवाली तक वहीं रहने दें। यदि आपके एक से अधिक बच्चे हैं तो प्रत्येक बच्चे के लिए अलग अलग धागे तैयार किया जा सकते हैं। यदि बच्चे बड़े हैं और घर से दूर रहते हैं तो उनके नाम से ज्यादा तैयार करके उनकी तस्वीर के सामने रख सकते हैं।
दिवाली के बाद की विधि: दीपावली के बाद इस धागे को पीपल के पेड़ की टहनी पर बांध दें। साथ ही बच्चे की सुख शांति की कामना करें। यदि पीपल का पेड़ उपलब्ध न हो तो किसी अन्य पेड़ की टहनी परिधि से बांधा जा सकता है।
अहोई अष्टमी का महत्व
अहोई अष्टमी का व्रत और इसके उपाय बच्चों के जीवन से सभी संकटों को हटाने और सकारात्मक परिवर्तन लाने में ही मददगार माने जाते हैं। यह व्रत माता-पिता और बच्चों के बीच पवित्र रिश्ते को और मजबूत करता है। इस दिन की पूजा और उपाय पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से अहोई माता अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती है।
FAQ- Ahoi Ashtami Puja Vidhi
अहोई अष्टमी की पूजा के लिए क्या सामग्री चाहिए?
अहोई अष्टमी की पूजा के लिए सामग्री के रूप में अहोई माता की तस्वीर, करवा, दीपक, जल भरा कलश, शुद्ध घी, श्रृंगार का सामान, रोली, अक्षत, कलावा, चौक बनाने के लिए आटा, धूपबत्ती, अर्घ्य देने के लिए दूध, फल फूल इत्यादि सामग्री चाहिए।
1 thought on “बच्चों की सुरक्षा और लंबी उम्र के लिए अहोई अष्टमी व्रत पूजा विधि और विशेष उपाय”