अहोई अष्टमी पर तारे देख कर क्यों खोलते हैं व्रत, जानिए इसका महत्व

Ahoi Ashtami Vrat Katha
Ahoi Ashtami Vrat Katha

Ahoi Ashtami Vrat Katha: हिंदू धर्म में हर पर्व किसी ने किसी न किसी रिश्ते और परंपरा को ध्यान में रखकर बनाया गया है। अहोई अष्टमी भी एक ऐसा पर्व है। यह पर्व मां की ममता और त्याग का प्रतीक है। हर वर्ष यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से माताएं अपने बच्चों के लिए मनाती हैं। कहा जाता है कि इस दिन माताएं अपने संतान की दीर्घायु और स्वास्थ्य के लिए ईश्वर से जो कुछ मांगती हैं ईश्वर उन्हें वह सब कुछ जरूर देते हैं। इस पर्व की माता अहोई माता है जिसे स्याहू माता भी कहा जाता है उनकी पूजा की जाती है।

अहोई अष्टमी के दिन महिलाएं दिनभर बच्चों के नाम पर व्रत रखती है और शाम को तारे देखने के बाद उपवास खोलती हैं। जी यहां इस व्रत की सबसे खास बात यह है कि यह व्रत चंद्रमा देखकर नहीं बल्कि तारे देख कर खोला जाता है। यह पर्व संदेश देता है की मां की प्रार्थना सच्ची और संतान के हित में होती है। अहोई अष्टमी न केवल धार्मिक महत्व रखती है बल्कि इसका आध्यात्मिक महत्व भी होता है क्योंकि व्रत खोलते समय माताएं सप्त ऋषि तारामंडल के दर्शन करती हैं जो कि हमेशा आसमान में मौजूद होते हैं और आज के इस लेख में हम आपको इसी की विशेषता बताने वाले हैं।

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अहोई अष्टमी क्या है और यह क्यों मनाई जाती है(Ahoi Ashtami Vrat Katha)

अहोई अष्टमी की कथा एक माता से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि एक गांव में एक साहूकार रहता था उसका परिवार अत्यंत सुखी था। उसके 7 बेटे थे और बहूएं थीं। दीपावली से कुछ दिन पहले उस साहूकार की बहुएं घर में लिपाई के लिए मिट्टी लेने जंगल की ओर गई। वहां मिट्टी इकट्ठा करने के लिए खुदाई शुरू की गई। जब छोटी बहू ने खुदाई की तो गलती से मिट्टी के नीचे स्याहू नामक जीव को खुरपी लग गई और बच्चे की मृत्यु हो गई। 

बच्चे को मृत देखकर स्याहू माता अत्यंत क्रोधित हो गईं और उन्होंने साहूकार की छोटी बहू को श्राप दे दिया कि तूने मेरे बच्चे को मारा है इसलिए तेरी गोद भी कभी हरी नहीं होगी और तेरे घर के सभी पुत्र मर जाएंगे। और यह श्राप सच भी हो गया। साहूकार के 7 पुत्र एक-एक कर काल के ग्रास बन गए और घर की स्त्रियां विलाप करती रह गई।

हालांकि छोटी बहू इस पाप की मुक्ति का रास्ता तलाशती रही और एक दिन उसे सपने में दिव्य वाणी सुनाई दी जिसमें स्याहू माता अर्थात अहोई माता आकर उसे कहती हैं कि यदि तू सच्चे मन से मेरी आराधना करेगी और कार्तिक माह की अष्टमी के दिन मेरे नाम से व्रत रखेंगी और पाप का प्रायश्चित करेगी तो तुम्हारे घर के सभी पुत्र वापस मिल जाएंगे। 

Ahoi Ashtami Vrat ki Katha
Ahoi Ashtami Vrat ki Katha

साहूकार की छोटी बहू ने ऐसा ही किया उसने दीवार पर स्याहू का रूप और उसके बच्चे बनाएं और व्रत कर उनकी पूजा की और सायं काल तारे देखकर व्रत खोला। ऐसा करते ही एक-एक कर सारे पुत्र जीवित हो गए और परिवार में कभी संतान की कमी नहीं हुई।

अहोई अष्टमी और तारे देखकर व्रत खोलने का रहस्य

अहोई अष्टमी मातृत्व और करुणा का पावन पर्व है। इस दिन माँएं पूरा दिन निराहार रहकर अहोई माता की पूजा करती हैं और शाम को तारे देखकर व्रत खोलते हैं। यह परंपरा एक धार्मिक ही नहीं बल्कि गहरी आस्था का प्रतीक है। मां के लिए उसका बच्चा उसकी आंखों का तारा होता है। कहा जाता है कि जब तारे प्रकट होते हैं तब अहोई देवी का आशीर्वाद भी धरती पर उतरता है और हर माता जो अहोई माता का व्रत कर रही है उसकी संतान को दीर्घायु होने का वरदान देता है। 

तारा देखने से मां की तपस्या पूरी होती है और उसे उसकी तपस्या का फल मिलता है। इसके अलावा शास्त्रों में एक और बात वर्णित है। चूँकि चंद्र उदय काफी देर से होता है ऐसे में अहोई माता की पूजा सायं काल मे की जाती है। इसी की वजह से चंद्रोदय तक इंतजार ना करते हुए माताएं सप्त ऋषि तारामंडल का दर्शन कर अपना व्रत पूरा कर सकती हैं।

Ahoi Ashtami ka Vrat Kis Din Hai
Ahoi Ashtami ka Vrat Kis Din Hai

अहोई अष्टमी के दिन किए जाने वाले विशेष उपाय 

वे सभी माताए जो अपने बच्चों के लिए व्रत रख रही है वह अहोई अष्टमी के दिन विशेष उपाय भी कर सकती हैं। जो इस प्रकार हैं

  • गौ माता की सेवा करना: गौ माता और बछड़े की सेवा करने से गौ माता प्रसन्न होकर संतान के स्वास्थ्य का वरदान देती है।
  • पवित्र जल स्रोत से स्नान: इस दिन पर संभव हो सके तो किसी पवित्र नदी या तालाब से स्नान करें 
  • दान करें: अहोई अष्टमी के दिन माता है संभव हो सके गरीबों को दान दें खास कर ऐसी माताएं जो निर्धन है और जिनके बच्चे सुविधाओं से वंचित हैं उन्हें मदद करें।

कुल मिलकर यह एक मार्मिक और आध्यात्मिक पर्व है जो मां अपनी संतान के लिए रखती है। 2025 में यह व्रत 13 अक्टूबर 2025 को रखा जाएगा ऐसे में वे सभी महिलाएं जो यह व्रत करना चाहती हैं उन्हें पूजा विधि कथा और उपाय ध्यान पूर्वक करना अनिवार्य है ताकि उन्हें व्रत का संपूर्ण फल मिल सके।

FAQ- Ahoi Ashtami Vrat Katha

अहोई अष्टमी को क्या खाना चाहिए?

अहोई अष्टमी का व्रत निर्जला रखा जाता है और सूर्य सूर्यास्त के पश्चात इसका पारण करके आप दूध या दूध से बने हैं पदार्थ ऐसी दही, छाछ, मिठाई सूखे मेवे, फल इत्यादि का सेवन कर सकते हैं।

Anu Pal

मैं अनु पाल, Wisdom Hindi ब्लॉग की फाउंडर हूँ। मैं इंदौर मध्य प्रदेश की रहने वाली हूं। मैं एक ब्लॉगर और Content Writer के साथ-साथ Copy Editor हूं और 5 साल से यह काम कर रही हूं। पढ़ने में मेरी विशेष रूचि है और मैं धर्म, आध्यात्म, Manifestation आदि विषयों पर आर्टिकल्स लिखती हूं।

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