
Breaking Generational Trauma: हर समाज या परिवार में कुछ आदतें, रस्में, विचारधाराएँ पीढ़ी दर पीढ़ी चलती चली जाती हैं। इनमें से कुछ तो हमारे संस्कारों के लिए होती हैं, जो हमें बाहरी दुनिया से निपटना सिखाती हैं, वहीं कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो नकारात्मक प्रभाव लिए होती हैं।
यह विवाद ऐसे होते हैं जो हमें भीतर ही भीतर तोड़ते रहते हैं, इनमें किसी भेद के आधार पर अपमान करना, गुस्सा करना, बदले की भावना पनपना, अपनी भावनाओं को स्वीकार न करना उन्हें छुपाने पर जोर देना जैसी गैर जरूरी और नकारात्मक चीजें मिली होती हैं। यह चीज पीढ़ी दर पीढ़ी चलती चली जाती है।
तब इसी सामाजिक व्यवस्था या परिवार से एक सदस्य उठता है और वह कहता है कि उसे यह स्वीकार नहीं है। वह सदस्य इस ट्रॉमा को आगे ना ले जाने प्रण करता है। ऐसे सदस्य को ट्रॉमा ब्रेकर कहा जाता है। ट्रॉमा ब्रेकर होने का सीधा सा मतलब यह है कि आप अपने बाद आने वाली पीढ़ियों का जीवन वैसा बिल्कुल भी नहीं चाहते हैं जैसा आपने झेला है।
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वे व्यक्ति जो ट्रॉमा ब्रेकर बनते हैं, उन्हें परिवार व समाज की अवहेलना झेलनी पड़ती है। उन्हें बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसलिए अगर आप अपने परिवार या समाज के नकारात्मक ट्रॉमा को तोड़कर आगे बढ़ रहे हैं तो हम आपको कुछ टिप्स बताएंगे जिससे आप इन कठिनाइयों से अच्छे से डील कर पायेंगे।
ट्रॉमा ब्रेकर व्यक्ति का जीवन क्यों कठिन होता है?
वे ट्रॉमा जो हमारे डीएनए में भी शामिल हो चुके होते हैं, अगर उन्हें आप पहचान कर उससे कुछ अलग करने की कोशिश करते हैं, तो आप तुरंत ही परिवार की नजरों में चढ़ जाते हैं क्योंकि वह चीज दूसरों के लिए बेहद नॉर्मल है। जब आप किसी पुरानी व्यवस्था को बदलने की कोशिश करते हैं तो आपको अक्सर सुनने को मिलता है “यहां तो ऐसे ही होता आया है, ये कुछ स्पेशल लग रहे हैं।”
अगर आप तर्क से इन लोगों को समझाने की कोशिश करेंगे तो आपको ये कहा जायेगा कि परिवार से निभाने की कोशिश करो उसे बदलने की नहीं। आप ट्रॉमा ब्रेकर बने हैं तो इसका सीधा सा मतलब है खुद को मुश्किलों में डालकर आने वाली पीढ़ियों के लिए रास्ता आसान करना। यह कोई स्पेशल पॉवर नहीं होती है बल्कि एक जिम्मेदारी होती है, जिसे आपको उन लोगों के लिए करना होता है जो आपकी परंपरा को आगे बढ़ाएंगे।

कठिनाइयां जो हर ट्रॉमा ब्रेकर झेलता है
एक ट्रॉमा ब्रेकर को जीवन में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उनमें से कुछ कठिनाइयां नीचे दी गई हैं –
अकेलापन – अगर आपने ट्रॉमा ब्रेकर बनने की राह चुनी है, तो यह राह आपको अकेले तय करनी पड़ेगी। इस रास्ते में आपका साथ देने कोई नहीं आएगा। इसलिए खुद को अकेलेपन से लड़ने के लिए तैयार रखें।
गिल्ट और आत्मसंदेह- कई बार आपको यह गिल्ट घेरेगा कि आप जो कर रहे हैं, क्या वह सही है? या फिर आपको ऐसे विचार आएंगे कि आप इस ट्रॉमा को सच में ब्रेक कर पाएंगे या नहीं? ऐसी परिस्थितियों में भी आपको अपने आप पर विश्वास बनाए रखना है।
भावनात्मक थकान- यह एक लंबी लड़ाई होती है। ऐसे में कई बार आपको मानसिक और भावनात्मक थकान का भी अनुभव होगा। कई बार आपका मन करेगा कि आप ट्रॉमा को ब्रेक करने की कोशिश करना छोड़ दें। ऐसी परिस्थितियों में आपको खुद को यह याद दिलाना है कि ट्रॉमा को ब्रेक करना क्यों जरूरी है?
बार-बार गलतियां दोहरा कर उस ट्रॉमा का हिस्सा बन जाना- कई बार ऐसा भी होगा कि आप लड़ते लड़ते थक जाएंगे और पुरानी गलतियों को दोहराकर उस ट्रॉमा का हिस्सा भी बनेंगे। यह भी बहुत नॉर्मल है, क्योंकि ट्रॉमा ब्रेक करना एक सतत प्रक्रिया है जो धीरे-धीरे सीखते सीखते आता है।
इस मुश्किल राह को आसान कैसे बनाएं(Breaking Generational Trauma)
नकारत्मक लूप को पहचाने
ट्रॉमा ब्रेकर जिस ट्रॉमा को तोड़ने का जिम्मा उठाते हैं, उसके लूप को समझना भूल जाते हैं। जिस वजह से उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसलिए ट्रॉमा के लूप को जरूर समझे, कई बार आपको ऐसा लगेगा कि चीजें एकदम सही हो गई है, लेकिन चूंकि ट्रॉमा लूप में काम करता है, इसलिए वह बार-बार आपको परेशान करता है। उस ट्रॉमा की जड़ तक जाकर फिर उसे तोड़ने के उपायों को अपनाएं।
ख़ुद को बचाना सीखें
इन नकारात्मक चीजों से लड़ते हुए अक्सर ट्रॉमा ब्रेकर परिवार या समाज में खुद को ही दुश्मन जैसा दिखा देता है। जिस वजह से परिवार के लोग या समाज के लोग आपका पक्ष जाने या समझे बिना आपको परेशान करते हैं। इसीलिए इन बदलावों को अपनाते समय अपने परिवार या समाज को यह जरूर बताएं कि आप गलत चीजों और प्रथाओं से लड़ रहे हैं।

अपना ग्रुप बनाएँ
जिस ट्रॉमा को तोड़ने की आप कोशिश कर रहे हैं उसे लगभग सभी लोगों ने महसूस किया होता है। ऐसे में वे लोग जिनका व्यवहार न्यूट्रल है या वे जिनका व्यवहार आपके प्रति थोड़ा नरम है। ऐसे लोगों को अपने ग्रुप का हिस्सा बनाएं। वह आपका साथ नहीं देंगे, लेकिन वह आपके पक्ष को समझेंगे। यहीं लोग कई बार दूसरे लोगों को वह बात बताएंगे जो आप कहना चाहते हैं, जिससे आपके प्रति लोगों का गुस्सा कम होगा।
बाउंड्री बनाना सीखें
किसी ट्रॉमा को ब्रेक करते हुए या लड़ते हुए इस बात का ध्यान रखें कि आपकी व्यक्तिगत चीजें सामाजिक तौर पर चर्चा का विषय ना बने। अगर आपके सामने कोई इन बॉउंड्रीज को तोड़ता नजर आता है तो उसे बिल्कुल भी ना छोड़ें। उसे साफ चेता देना है कि वे ऐसी गलती दोबारा ना करें। इससे उसे वक्त तो उन लोगों को बुरा लगेगा लेकिन भविष्य में यही चीज आपको बड़ी मुसीबत से बचाएगी।
स्वयं की देखभाल करें
ऐसी परिस्थितियों में अक्सर इंसान अपने मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखता है। ऐसा बिल्कुल ना करें, खुद को सबसे ऊपर रखें, जब आप स्वस्थ रहेंगे तभी आप ट्रॉमा से लड़ने की लड़ाई जारी रख पाएंगे।
अंत में याद रखें ट्रॉमा ब्रेकर होना कोई पुरस्कार नहीं बल्कि जिम्मेदारी है। इसलिए अपनी जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी से निभाएं।