
Chhath Puja ka Rahasya: सृष्टि की आरंभिक अवस्था में केवल ऊर्जा और तत्व मौजूद थे। जब भगवान ने पंचतत्व की रचना की तबी यह संसार बना। पंचतत्व अर्थात पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश इन पांचो के होने पर भी जीवन संचार नहीं हुआ तब प्रकृति ने छठे तत्व का रूप लिया वह थी सृजन शक्ति। प्रकृति के छठवें तत्व को ही स्कंद माता, शक्ति देवी और माता छठी के नाम से जाना जाता है।
यही वह समय था जब संसार में पहली बार प्राण का प्रवेश हुआ, निर्जीव मिट्टी में अंकुर फूटे, जल में लहरें उठी, वायु में गति आई और पृथ्वी में जीवन आया, सूर्य को चेतना प्राप्त हुई। इस प्रकार माता छठी को प्रकृति के छठे तत्व प्राण या चेतना की देवी माना जाता है।
माता छठी को सूर्य देव की बहन भी कहा जाता है। यह संबंध प्रतीकात्मक संबंध है। सूर्य ऊर्जा का स्रोत है और छठी माता इस ऊर्जा को दिशा देती है। सूर्य प्रकाश देते हैं छठी माता उसे जीवन में रूपांतरित करती है। इसीलिए माता छठी को समर्पित छठ पर्व मनाया जाता है। छठ पर्व प्राण और चेतना का उत्सव है। यह पर्व सृजन शक्ति को समर्पित होता है इसीलिए छठी पर्व के दिन सूर्य की आराधना की जाती है। प्रकृति को नमस्कार किया जाता है। बच्चों के लिए माताएं व्रत रखती है और परिवार की खुशी और सौहार्द के लिए प्रार्थना की जाती है।

छठी मैया का सृष्टि में कार्य
शास्त्रों और पुराणों के अनुसार माता छठी तीन मुखी स्वरूप है।
- सृजनकर्ता : जो संतान की देवी है और जीवन को आरंभ शक्ति देती है।
- पालनकर्ता: वे हर नवजात की रक्षा करती हैं, इसीलिए बच्चों के जन्म के छठवें दिन पर छठिहार मनाया जाता है।
- संरक्षिका: माता छठी परिवार समाज और धरती को पोषण देती हैं।
ब्रह्मवैवर्त पुराण में स्पष्ट विवरण दिया गया है कि मानव ने जब माता प्रकृति से रक्षा हेतु प्रार्थना की तब छठी देवी को ब्रह्मा ने प्रकट किया और उन्हें हर शिशु की रक्षा करने और उन्हें जीवन का मार्ग प्रशस्त करने का वरदान दिया। इसीलिए संतान सुख, आरोग्य, समृद्धि और मानसिक शांति की अधिष्ठात्री देवी छठी देवी को माना जाता है।
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क्या छठी मैया शिवजी के परिवार से जुड़ी है?(Chhath Puja ka Rahasya)
छठी मैया का संबंध शिवजी से अप्रत्यक्ष जरूर है परंतु अत्यंत गहरा है। पुराणों में वर्णन आता है कि जब पार्वती ने शिवजी से संतान प्राप्ति की इच्छा जताई तब सृष्टि की संतुलन शक्ति के रूप में शक्ति देवी का अवतरण हुआ इसीलिए छठी मैया को शिव पार्वती की सृजनशक्ति का अंश भी माना जाता है और उन्हें जीवन की रक्षिणी भी कहा जाता है।
वही अन्य संदर्भों को देखा जाए तो छठी मैया कार्तिकेय भगवान की पत्नी कही जाती हैं। छठी मैया स्वर्ग के देव इंद्र की पुत्री है और इनका ब्याह शिव-पार्वती के पुत्र कार्तिकेय से किया गया है जो शक्ति की सृजक के रूप में जानी जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार षष्ठी देवी को कार्तिकेय स्वामी की रक्षक भी बताया जाता है।

छठ पूजा: प्रकृति और चेतना का महायोग
छठ पूजा केवल सूर्य उपासना नहीं परंतु यह प्रकृति और चेतना का योग है। इस पूजा के दौरान व्यक्ति को पांच तत्वों को शुद्ध करना होता है।
- नहाए खाए : शरीर को शुद्ध करना
- खरना : मन को शुद्ध करना
- संध्या अर्घ्य: भावों की शुद्धि
- उषा अर्घ: आत्मा की शुद्धि
और अंत में जब व्रती सूर्य और छठी मैया को जल अर्पित करता है तब वह प्रकृति के 6 तत्वों को नमस्कार करता है। भीतर के पांच तत्वों को संतुलित करना सीखता है जिसके बाद छठां तत्व प्रकट होता है और यही छठी मैया का साक्षात्कार है।
वैज्ञानिक दृष्टि से छठी मैया की पूजा
छठ पूजा के पीछे वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी छिपा हुआ है। छठ पूजा में इस्तेमाल किए जाने वाला हर तत्व प्रकृति और विज्ञान से जुड़ा है। इस पूजा में सूर्यास्त और सूर्योदय के समय अर्घ्य दिया जाता है जो कि शरीर के लिए लाभकारी होता है। सूर्य ऊर्जा का केंद्र है ऐसे में सूर्य उपासना से मनुष्य के शरीर में कई लाभकारी परिवर्तन होते हैं। इस पूजा के दौरान व्रत, उपवास, स्वच्छता इत्यादि का ध्यान रखा जाता है जिससे शरीर के विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं।
यह ऊर्जा न केवल शारीरिक बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी साधक को तृप्त करती है। इस पूजा के दौरान फल, गन्ना, ठेकुआ आदि प्राकृतिक आहार का सेवन किया जाता है और इन्हीं का प्रसाद चढ़ाया जाता है। यह बताता है कि जो प्रकृति से मिला है उसे प्रकृति को समर्पित करना होगा और इसी के संतुलन से जीवन चलेगा यही इस पर्व के पीछे का भाव है।

छठी मैया मात्र देवी ही नहीं बल्कि वे जीवन का छठवां स्वर हैं। क्योंकि पांच तत्वों की प्राप्ति के बाद छठां तत्व उत्पन्न होता है जो चेतना और जीवन का संचार करता है। छठी मैया ही स्कंदमाता हैं जो सृजन की अधिष्ठात्री देवी हैं। इनके स्पंदन से ही जीवन स्फुटित होता है और चेतना का संचार होता है। छठी मैया साक्षात श्री महामाया का स्वरूप है और इन्हीं को समर्पित है यह छठ पर्व।
FAQ- Chhath Puja ka Rahasya
छठी मैया और सूर्य देव के बीच क्या संबंध है?
माता छठी को सूर्य देव की बहन भी कहा जाता है। यह संबंध प्रतीकात्मक संबंध है। सूर्य ऊर्जा का स्रोत है और छठी माता इस ऊर्जा को दिशा देती है। सूर्य प्रकाश देते हैं छठी माता उसे जीवन में रूपांतरित करती है। इसीलिए माता छठी को समर्पित छठ पर्व मनाया जाता है।
छठ मैया शिवजी से किस तरह संबंधित है?
छठी मैया कार्तिकेय भगवान की पत्नी कही जाती हैं। छठी मैया स्वर्ग के देव इंद्र की पुत्री है और इनका ब्याह शिव-पार्वती के पुत्र कार्तिकेय से किया गया है जो शक्ति की सृजक के रूप में जानी जाती हैं।