
Kartik Maas Amla Puja: भारतीय संस्कृति में हर वृक्ष, हर पत्ता ईश्वरीय चेतना का जीवन्त का स्वरूप माना जाता है। इन्हीं पवित्र वृक्षों में से एक वृक्ष है आंवला का वृक्ष। इसे देव वृक्ष अमृता के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में आंवला को भगवान विष्णु का प्रिय भी बताया गया है। खासकर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी भी इसी लिए मनाई जाती है। आंवला नवमी के इतर भी आंवला का वृक्ष सदा सर्वदा पूजनीय माना जाता है। आयुर्वेद के परिवेश से भी आंवला अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि आंवला को स्वास्थ्य, दीर्घायु और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
जी हां, शास्त्रों के अनुसार आंवला के वृक्ष की परिक्रमा करना, उस पर जल अर्पण करना, उसके नीचे बैठकर भोजन करने से व्यक्ति को पारिवारिक सुख, धन समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसी वजह से इसे देव वृक्ष पूजन भी कहा जाता है। आंवला के नीचे बैठने भर से ही आंवला के वृक्ष की पूजा सिद्ध हो जाती है और आज के इस लेख में हम आपको इसी से जुड़ी संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं जहां हम बताएंगे आंवला पूजन का पौराणिक महत्व, आंवला के वृक्ष की पूजा की विधि और इससे जुड़े कुछ विशेष उपाय।
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आंवला पूजन का पौराणिक महत्व क्या है?(Kartik Maas Amla Puja)
पुराणों में वर्णन किया गया है कि आंवला के वृक्ष में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास होता है। जैसे हर भगवान का कोई ना कोई वृक्ष प्रिय वृक्ष होता है वैसे ही विष्णु को आंवला का वृक्ष अति प्रिय है। पद्म पुराण में भी वर्णन आता है कि ‘धात्री वृक्ष समरध्याय सर्वप्रथम प्रनशनाम’ अर्थात जो व्यक्ति धात्री वृक्ष यानी आंवला के वृक्ष की पूजा करता है भगवान विष्णु उसके सभी पापों का सर्वनाश कर देते हैं ।
इसके अलावा शास्त्रों में वर्णित है कि क्षीर सागर में योगनिद्रा के दौरान भगवान विष्णु आंवला वृक्ष में निवास करते हैं। इसीलिए इस वृक्ष की पूजा विष्णु पूजा के समान फल देता है। ज्योतिषियों और विद्वानों की माने तो आंवला वृक्ष का सीधा संबंध बृहस्पति गुरू अर्थात गुरु ग्रह से है। आंवला वृक्ष में गुरु ग्रह की सकारात्मक और दिव्य ऊर्जा निवास करती है। यह वृक्ष ज्ञान, धर्म, आरोग्य, समृद्धि और संतान सुख का प्रतीक माना जाता है। बृहस्पति खुद विष्णु के आदिदेवता भी है ऐसे में देववृक्ष आंवला, विष्णु और बृहस्पति का संबंध दिव्या संबंध माना जाता है।
आंवला पूजन की विधि
आंवला वृक्ष का पूजन करने के लिए सूर्योदय से पहले स्नान इत्यादि कर निवृत हो जाएँ। यह वृक्ष कार्तिक मास में अत्यधिक पूजा जाता है क्योंकि कार्तिक मास भगवान विष्णु के योग निद्रा से उठने का माह है। ऐसे में कार्तिक मास में किसी शुभ दिन पर संकल्प लें और कहें कि ‘मैं भगवान विष्णु और धात्री वृक्ष की आराधना करूंगी।’
इसके बाद आंवला वृक्ष को जल, गंगा जल या दूध से स्नान कराएं। फिर हल्दी, चावल और फूलों से वृक्ष को सजाएं। वृक्ष के चारों ओर रोली और हल्दी से स्वस्तिक बनाएं। वृक्ष के चारों ओर दीप जलाएं और सात बार परिक्रमा करें । भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और तुलसी माता का ध्यान करें ।

इस वृक्ष की परिक्रमा के दौरान आप ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः का मंत्र भी जाप कर सकते हैं। इसके बाद संभव हो सके तो आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करें । परिवार सहित भोजन करने पर अत्यधिक फल प्राप्त होता है और इसके बाद किसी जरूरतमंद व्यक्ति को यथासंभव दान दें।
आंवला पूजन और आंवला सेवन के वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण
आंवला केवल धार्मिक वृक्ष ही नहीं बल्कि आरोग्य का प्राकृतिक स्रोत भी है। आंवला में भरपूर मात्रा में विटामिन सी होता है। इसे आयुर्वेद में त्रिदोष नाशक कहा जाता है। त्रिदोष नाशक अर्थात ऐसा पदार्थ जो वात, पित्त, कफ को संतुलित करता है। आंवला का सेवन न केवल शारीरिक रूप से मजबूत बनाता है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी सुधरता है इसीलिए इसे अमृत फल कहा जाता है। और इसी वजह से प्रत्येक वर्ष आंवला नवमी का उत्सव मनाया जाता है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग आंवला पूजन करें, आंवला के वृक्ष लगाए, पर्यावरण की रक्षा करें और स्वास्थ्य लाभ उठाएं।
आंवला वृक्ष की पूजा करने से मिलने वाले लाभ
- आंवला वृक्ष की पूजा करने से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।
- आंवला की पूजा करने से घर में स्थाई समृद्धि आती है।
- वह माताएं जो लंबे समय से संतान की इच्छा रखती है उन्हें इसका पूजन करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- ऐसे लोग जो शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर है वह आंवला वृक्ष की पूजा कर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
- कहा जाता है कि आंवला की पूजा करने से पितृ दोष और ग्रह बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

कुल मिलाकर आंवला पूजन एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि प्रकृति और दैवीय शक्तियों का उच्चतम उत्सव है। यह पर्व हमें सिखाता है कि भगवान मंदिरों में नहीं बल्कि प्रकृति में निवास करते हैं। आंवला नवमी का पर्व आंवला वृक्ष की पूजा उसके संरक्षण के लिए मनाया जाता है। इस पावन दिन पर आंवला वृक्ष लगाना, आंवला की सेवा करना, उसके नीचे बैठकर पूजा करना और उसकी छाया का लाभ लेना चाहिए क्योंकि विष्णु को पाने के लिए धात्री आराधना सर्वश्रेष्ठ मार्ग है।
FAQ- Kartik Maas Amla Puja
कार्तिक महीने में आंवले की पूजा कैसे करें?
कार्तिक मास में आंवले की पूजा करने के लिए सुबह स्नान आदि से निवृत होकर आनवाले के वृक्ष को गंगाजल, दूध से स्नान करवाएँ। हल्दी चावल और वृक्ष को सजाकर रोली और चंदन से स्वास्तिक बनाएँ। वृक्ष के चारों ओर दीप जलाकर सात बार परिक्रमा करें।
आंवला की पूजा कब नहीं करनी चाहिए?
आंवला के वृक्ष की पूजा शुक्रवार और रविवार को नहीं करना चाहिए क्योंकि यह आर्थिक समस्या और दरिद्रता को लाता है।
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