
Kartik Maas Peepal Puja: हमारे सनातन धर्म में वृक्षों की पूजा का बहुत अधिक महत्व होता है क्योंकि यह माना जाता है कि प्रत्येक वृक्ष में देवता का वास होता है। परंतु सभी वृक्षो में से पीपल के वृक्ष का अपना एक अलग ही महत्व होता है क्योंकि इसमें ब्रह्मा विष्णु महेश इन त्रिदेवों का वास होता है। माना जाता है की पीपल की जड़ में भगवान विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में भगवान हरि और फलों में सभी देवी देवताओं का वास होता है।
पीपल के वृक्ष को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। जो भी व्यक्ति पीपल के वृक्ष की सेवा करता है यह वृक्ष उसके सभी पापों को नष्ट कर देता है। कार्तिक मास में सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा अपनी पूरी उज्ज्वलता में होता है तब पीपल के वृक्ष की पूजा करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। कार्तिक मास में पीपल की पूजा अत्यंत फलदाई होती है इस प्रकार की पूजा न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी जीवन में सुख समृद्धि लाती है और गृह दोषों से मुक्ति दिलाती है।
कार्तिक मास का आध्यात्मिक स्वरूप
हिंदू पंचांग में कार्तिक मास को धर्म साधना और तपस्या का महीना माना जाता है। कार्तिक महीना भगवान विष्णु का प्रिय महीना माना जाता है, इसी महीने में देवउठनी एकादशी तुलसी विवाह कार्तिक पूर्णिमा और दीपावली जैसे त्योहार मनाए जाते हैं। कार्तिक माह में किया गया दान स्नान या किसी भी प्रकार का पूजन अखंड पुण्य प्रदान करता है।
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कार्तिक मास में सूर्य की ऊर्जा शांत और चंद्र की ऊर्जा प्रबल होती है इसलिए इस मास में पीपल के वृक्ष की पूजा करना अत्यंत शुभ फलदाई माना जाता है। पीपल के वृक्ष में सूर्य की प्राण शक्ति और चंद्र शीतलता समाई हुई होती है। इसलिए पीपल के वृक्ष की पूजा करना कार्तिक मास में अधिक फल देने वाला होता है।
पीपल के वृक्ष का धार्मिक और पौराणिक महत्व
पीपल को देववृक्ष भी कहा जाता है। श्री कृष्ण ने श्रीमद् भागवत गीता में यह स्वयं कहा है कि “अश्वत्थ:सर्ववृक्षाणां” अर्थात मैं वृक्षों में पीपल हूं। इसलिए स्पष्ट होता है कि स्वयं श्री कृष्ण ने पीपल को अपना प्रतिरूप माना है। मान्यता है कि जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था तब उन्होंने पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या की थी। भगवान बुद्ध को भी ज्ञान पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर ही प्राप्त हुआ था। इसलिए पीपल का वृक्ष केवल धार्मिक प्रतीक नहीं है बल्कि ज्ञान मोक्ष और जीवन की ऊर्जा का भी प्रतीक होता है।

ज्योतिषीय दृष्टि से पीपल की पूजा का महत्व(Kartik Maas Peepal Puja)
ज्योतिष शास्त्र में पीपल का संबंध शनि और बृहस्पति से माना जाता है। पीपल के वृक्ष की पूजा करने से शनि ग्रह से जुड़े दोष और बृहस्पति ग्रह से जुड़े दोष शांत होते हैं। माना जाता है कि कार्तिक मास में शनि देव अपनी शक्ति के परम चरण पर होते हैं। ऐसे में पीपल के वृक्ष की पूजा करने से शनि दोष पितृ दोष और राहु और केतु से जुड़े दोष शांत होते हैं।
शनिदोष निवारण: शनिदोष से मुक्ति पाने के लिए शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे सरसो के तेल का दिया जलाना चाहिए। इस से शनि देव प्रसन्न होते है और व्यक्ति को सभी कर्म दोषों से मुक्ति प्राप्त होती है।
पितृदोष से मुक्ति: पितृदोष से मुक्ति प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को रोज सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनके पीपल के वृक्ष को जल चढ़ाना चाहिए और उसकी 7 बार परिक्रमा करनी चाहिए। ऐसा करने से पितरों को तृप्ति मिलती है और पितृदोष समाप्त होता है।
ग्रहों की शांति: कार्तिक मास की हर रविवार को और शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे बैठ कर ध्यान लगाने से विद्या और मनोबल बढ़ता है और ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा शांत होती है।जिस से ग्रह दोषो से मुक्ति मिलती है।
कुंडली में शुभफल: जिन भी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर होता है या शुभफल देने वाला नही होता है उन लोगो को गुरुवार के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे शाम के समय घी का दीपक जलाना चाहिए और ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से उन्हें जीवन में ज्ञान,वैभव और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
कार्तिक मास में पीपल पूजन की विधि(Kartik Maas Peepal Puja Vidhi)
कार्तिक मास में किसी भी सोमवार शनिवार और अमावस और एकादशी के दिन पीपल के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन पीपल के वृक्ष की गई पूजा का बहुत अधिक फल प्राप्त होता है।
पूजा की सरल विधि इस प्रकार है:
- प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करे।
- पीपल के वृक्ष के पास जल दूध पुष्प अक्षत और दीपक लेकर जाए।
- ॐ अश्वत्थाय नमः मंत्र का जाप करते हुए पीपल को जल अर्पित करे।
- सात बार पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करे।
- तिल या सरसो के तेल का दीपक जलाएं।
- परिक्रमा करते समय ॐ नमः भगवते वासुदेवाय का जाप करे।
- उसके पश्चात् पीपल के पेड़ के पास बैठ कर मौन होकर ध्यान करे।
पीपल के पेड़ को रविवार और एकादशी के दिन काटना वर्जित माना जाता है। पीपल में देवताओं का वास होता है इसलिए पीपल के पेड़ को काटकर उसका अनादर नही करना चाहिए।

पीपल का वृक्ष और पर्यावरण ऊर्जा
हमारा विज्ञान यह मानता है कि पीपल का वृक्ष 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है इसलिए पीपल के वृक्ष के समीप बैठकर ध्यान साधना और मंत्र जाप करने से प्राणशक्ति और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है। पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर साधना करने से मस्तिष्क की चंद्र नाड़ी सक्रिय होती है। जिससे व्यक्ति की अंतर ज्ञान शक्ति और ज्ञान शक्ति बढ़ती है। इसीलिए हमारे ऋषि मुनि भी पीपल के वृक्ष के नीचे बैठके ध्यान लगाते थे यह वृक्ष धार्मिक ही नहीं बल्कि ऊर्जा संतुलन का भी स्रोत है।
कार्तिक मास में पीपल के वृक्ष की पूजा करने से मिलने वाले लाभ(Kartik Maas Peepal Puja Benefits)
- कार्तिक मास में पीपल के वृक्ष की पूजा करने से हमें हमारे पुराने पाप कर्म से मुक्ति मिलती है।
- जिस भी व्यक्ति को संतान प्राप्ति नहीं होती है यदि वह श्रद्धा से पीपल का पूजन करें तो उन्हें अवश्य ही संतान की प्राप्ति होती है।
- पीपल के वृक्ष की पूजा करने से विष्णु भगवान और शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है जिसे धन संपत्ति में वृद्धि होती है और आर्थिक समृद्धि बढ़ती है।
- पीपल की वृक्ष की पूजा करने से उसकी परिक्रमा करने से और पीपल पर सरसों का दीपक जलाने से व्यक्ति को दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
- पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान करने से चिंता भय और तनाव दूर होते हैं और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- मान्यता है कि जो भी व्यक्ति कार्तिक पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करता है इस व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति अवश्य ही होती है।

कार्तिक मास का प्रत्येक दिन साधना और ईश्वर के प्रति समर्पण का प्रतीक माना जाता है। इस पवित्र समय में पीपल के वृक्ष की पूजा न केवल धार्मिक कर्तव्य है बल्कि यह आत्मिक बुद्धि का माध्यम भी है। यदि कोई व्यक्ति श्रद्धा से पीपल देवता की पूजा करता है तो वह ब्रह्मा विष्णु महेश त्रिदेवों की एक साथ आराधना करता है।
FAQ- Kartik Maas Peepal Puja
पीपल के पेड़ को किसदिन नहीं छूना चाहिए?
प्राचीन मान्यता के अनुसार पीपल के पेड़ को रविवार के दिन नहीं छूना चाहिए। इस पीपल के पेड़ में जल चढ़ाना भी वर्जित है।
पीपल के पेड़ में किसदिन जल चढ़ाना चाहिए?
पीपल के पेड़ में शनिवार को जल चढ़ाना चाहिए इससे शनि दोष का निवारण होता है साथ ही इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दिया जलाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं।