
Maa Katyayani Ke Upay: चैत्र नवरात्रि देशभर में बड़े ही उत्साह से मनाई जाती है। यह नौ दिनों का त्योहार माँ दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित है, और छठा दिन माँ कात्यायनी का होता है। चार भुजाओं वाली माँ कात्यायनी के एक हाथ में तलवार है, जो बुराई को नष्ट करने की माँ की शक्ति दिखाती है, और दूसरे में कमल है, जो सुंदरता और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।
तीसरा हाथ अभय मुद्रा में है, जो भक्तों को भय से मुक्ति का आश्वासन देता है, और चौथा हाथ वरद मुद्रा में है, जो भक्तों को वरदान देने का संकेत है। माँ कात्यायनी सिंह पर सवार होती हैं, जो उनकी शक्ति और धर्म की रक्षा का प्रतीक है। वे साहस, शक्ति, और वैवाहिक सुख की देवी हैं, जिनकी पूजा से जीवन की बाधाएँ जैसे विवाह में देरी , करियर में रुकावटें , या शत्रुओं का भय,दूर होती हैं।
माँ कात्यानी की कृपा पाने के कुछ उपाय जो पुराणों, लोक परंपराओं, और प्राचीन रीतियों से प्रेरित हैं, को अपनाकर भक्त अपने जीवन को सुख-शांति से भर सकते हैं। आइए पहले माँ के बारे में जानते हैं और फिर उनकी कृपा पाने के लिए करने वाले उपायों के बारे में।
माँ कात्यायनी कौन हैं?
पुराणों के अनुसार, माँ कात्यायनी का जन्म ऋषि कात्यायन की तपस्या से हुआ था। जब महिषासुर ने देवताओं पर अत्याचार किया, तब सभी देवताओं की संयुक्त ऊर्जा से उनका अवतार हुआ। वे ग्रह बृहस्पति की अधिष्ठात्री हैं और मंगल दोष को दूर करने वाली मानी जाती हैं। गोकुल की गोपियों ने मार्गशीर्ष( माघ) मास में उनकी पूजा कर भगवान कृष्ण को पति के रूप में पाया था, इस वजह से वे विवाह सुख की देवी के रूप में प्रसिद्ध हैं। कुछ परंपराओं में उन्हें सूर्य देव की बहन भी माना जाता है, जो छठ पूजा में होने वाली माँ कात्यायनी की पूजा से जुड़ा है।
माँ की कृपा पाने के अनोखे उपाय (Maa Katyayani Ke Upay)
सामान्य पूजा के अलावा, कुछ कम प्रचलित उपाय हैं जो पुराणों, लोक परंपराओं, और प्राचीन रीतियों से लिए गए हैं। इन उपायों को अपनाने से माँ की अपरंपार कृपा बरसती है और कई परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
उपाय 1: कात्यायनी व्रत– यह उपाय भागवत पुराण से प्रेरित है, जहाँ गोपियों ने यह व्रत किया था। मार्गशीर्ष मास के शुरू होते ही यह व्रत शुरू हो जाता है। इस व्रत को करने पर रोज सूर्योदय पर स्नान करें, मिट्टी से माँ की मूर्ति बनाएँ, और चंदन, फूल, धूप, और सुपारी से पूजा करें। दिन में सिर्फ बिना नमक-मसाले की खिचड़ी खाएँ। यह व्रत एक महीने तक करें। यह उपाय अपनाने से विवाह में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं और सफल वैवाहिक जीवन स्थापित होता है।
उपाय 2: लाल चुनरी और शहद का भोग– माँ को लाल रंग प्रिय है। उनकी मूर्ति पर लाल चुनरी चढ़ाएँ और शहद का भोग लगाएँ। पूजा के बाद थोड़े से शहद को प्रसाद रूप में बाँटें और चुनरी को किसी जरूरतमंद को दान कर दें। यह उपाय भक्तों के मंगलिक दोष दूर करता है और भक्त के जीवन में वैवाहिक सुख और शांति लाता है।
उपाय 3: सूर्य को जल अर्पण– माँ कात्यायनी को सूर्य की बहन माना जाता है। सूर्योदय के समय ताँबे के लोटे में लाल फूल डालकर माँ को जल अर्पित करें और मां कात्यायनी मंत्र “ॐ ह्रीं श्रीं कात्यायन्यै नमः” का 108 बार जप करें। यह उपाय करियर में सफलता और आत्मविश्वास बढ़ाता है। यह उपाय गुरुवार को करें तो प्रभाव दोगुना होता है।
उपाय 4: दुर्गा सप्तशती का छठा अध्याय– षष्ठी तिथि पर दुर्गा सप्तशती का छठा अध्याय पढ़ें। इसे सुबह शांत मन से करें और माँ से प्रार्थना करें कि जीवन की बाधाएँ दूर हों। यह उपाय शिक्षा में सफलता, बुद्धि, और मानसिक शक्ति देता है।
उपाय 5: तलवार की प्रतीकात्मक पूजा– माँ कात्यायनी के हाथ में तलवार उनकी शक्ति का प्रतीक है। एक छोटी लकड़ी की तलवार बनाएँ या खरीदें, इसे लाल कपड़े में लपेटकर माँ को अर्पित करें। यह गुप्त उपाय शत्रुओं से रक्षा करने के लिए और साहस बढ़ाने के लिए है। पूजा के बाद इस तलवार को मंदिर में ही रखें।
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उपाय 6: नीम के पत्तों का अर्पण– नीम की पत्तियाँ शुद्धता और रक्षा का प्रतीक हैं। 11 नीम की पत्तियाँ लें, उन्हें शहद में डुबोकर माँ को चढ़ाएँ। यह कम प्रचलित उपाय अच्छे स्वास्थ्य के साथ साथ नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा देता है। नीम की 11 पत्तियों को बाद में तुलसी के पौधे के पास रख दें।
उपाय 7: लाल मिट्टी से मूर्ति बनाना– षष्ठी तिथि पर लाल मिट्टी से माँ कात्यायनी की छोटी मूर्ति बनाएँ। इसे लाल फूलों और शहद से पूजें। यह प्राचीन उपाय परिवार में एकता और शांति लाता है। चैत्र नवरात्रि पूजा के बाद मूर्ति को नदी में विसर्जित करें।
उपाय 8: सात लाल मिर्च का दान– सात लाल मिर्च लें, उन्हें माँ कात्यायनी की प्रतिमा के सामने रखकर मंत्र जप करें, और फिर किसी गरीब को दान करें। यह उपाय मंगल दोष और शत्रु बाधा से मुक्ति देता है। इस उपाय को करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इसे शाम के समय ही करें।
उपाय 9: गुरुवार को पीले फूलों की माला का अर्पण – माँ बृहस्पति की अधिष्ठात्री हैं। गुरुवार को पीले गेंदे के फूलों की माला बनाएँ और माँ कात्यायनी को अर्पित करें। यह उपाय धन-धान्य और करियर में तरक्की लाता है। माला को पूजा के बाद घर में ही रखें।
उपाय 10: माँ और शहद का है बहुत खास रिश्ता– माँ कात्यायनी को शहद अत्यधिक प्रिय है। यह मिठास और ऊर्जा का प्रतीक है। पूजा में शहद से बनी खीर या शुद्ध शहद चढ़ाएँ। शहद चढ़ाते समय माँ कात्यायनी का नाम लें—उनकी शक्ति और कृपा आपके जीवन को नए मार्ग के लिए प्रशस्त करेंगी।

क्यों खास है छठा दिन?
चैत्र नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यायनी (Maa Katyayani) का दिन होता है। माँ कात्यायनी साहस और विजय की देवी हैं। उनका लाल रूप शक्ति का संदेश देता है, और तलवार-कमल का संयोजन बुराई पर जीत और सुंदरता का प्रतीक है। वे विवाह सुख, करियर में सफलता, और शत्रुओं से रक्षा का वरदान देती हैं। उनके ये उपाय न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ाते हैं, बल्कि रोजमर्रा की परेशानियों से भी निजात दिलाते हैं। भक्त अपनी कई समस्याओं का समाधान माँ कात्यायनी की शरण में जाकर पा लेते हैं।
सामान्य पूजा का तरीका
माँ कात्यायनी की पूजा नवरात्रि की षष्ठी तिथि को होती है। भक्त सुबह जल्दी उठते हैं, स्नान करते हैं, और लाल या नारंगी वस्त्र पहनते हैं—ये रंग शक्ति और उत्साह के प्रतीक हैं। माँ कात्यायनी की मूर्ति को गंगाजल से साफ करें, लाल फूलों (गुलाब या गुड़हल) से सजाएँ, और घी का दीप जलाएँ। भोग में शहद, खीर, या गुड़ की मिठाई चढ़ाएँ क्योंकि शहद माँ को बहुत प्रिय है। “ॐ ह्रीं श्रीं कात्यायन्यै नमः” और “या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः” मंत्रों का जप करें। पूजा के बाद आरती गाएँ और प्रसाद बाँटें। यह पारंपरिक विधि माँ को प्रसन्न करने का बेहद सरल तरीका है।
माँ की भक्ति से बदलें भाग्य
नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यायनी की पूजा का सुनहरा अवसर है। कात्यायनी व्रत, लाल चुनरी, और नीम के पत्तों जैसे अनोखे उपायों से आप उनकी कृपा पा सकते हैं। चाहे विवाह सुख चाहिए, करियर में उन्नति, या शत्रुओं से मुक्ति—माँ सब कुछ दे सकती हैं। इस नवरात्रि इन उपायों को आजमाएँ और माँ कात्यायनी की शक्ति को अपने जीवन में उतारें।
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FAQ- Maa Katyayani Ke Upay
वैवाहिक सुख के लिए मां कात्यायनी का व्रत कितने दिनों तक करना चाहिए?
वैवाहिक सुख के लिए मां कात्यायनी का व्रत एक माह तक करना चाहिए।
मां का कात्यायनी को भोग के रूप में क्या चढ़ाया जाता है?
मां कात्यायनी को भोग के रूप में शहद या उससे बनी मिठाइयां चढ़ाई जाती हैं।
मां कात्यायनी की पूजा में कौन से फूल चढ़ाने चाहिए?
मां कात्यायनी की पूजा में गुलाब या गुड़हल के फूल चढ़ाए जाने चाहिए।
मां कात्यायनी की आराधना के लिए दुर्गा सप्तशती का कौन सा अध्याय पढ़ना होता है?
मां कात्यायनी की आराधना के लिए दुर्गा सप्तशती का छठा अध्याय पढ़ना होता है।
मां कात्यायनी को गुरुवार के दिन किस रंग के फूल अर्पित किए जाते हैं?
मां कात्यायनी को गुरुवार के दिन पीले रंग के फूल अर्पित किए जाते हैं।
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