
Narak Chaturdashi Abhyang Snan: दीपावली का दूसरा दिन नरक चतुर्दशी कहलाता है। इसे काली चौदस और रूप चौदस भी कहते हैं। यह दिन अंधकार के सर्वनाश का दिन है। कहा जाता है कि इस दिन यदि कोई व्यक्ति नकारात्मकता को दूर कर आध्यात्मिकता की राह पकड़ना चाहे तो भगवान उसकी पूरी मदद करते हैं। इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था जिसके बाद धरती पर धर्म की स्थापना हुई थी। इसीलिए इसे नरक से छुटकारा दिलाने वाले चतुर्दशी अर्थात नरक चतुर्दशी कहा जाता है।
नरक चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि ऐसा करने से पापों से मुक्ति मिलती है। इससे न केवल शरीर शुद्ध होता है बल्कि आत्मा भी पवित्र होती है। इस दिन शाम को यमराज, मां काली और हनुमान जी की आराधना की जाती है और यमदीप जलाया जाता है ताकि घर में सुरक्षा भाव पैदा हो।
यह दिन विशेष रूप से काली, रूद्र, हनुमान जैसे बलशाली देवों के पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है क्योंकि यह सभी देव नकारात्मकता को दूर करते हैं। इसीलिए नरक चतुर्दशी के दिन की गई पूजा न केवल भौतिक सुख देती है बल्कि आध्यात्मिक लाभ भी देती है। और इसी की वजह से इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है क्योंकि यह अंधकार को मिटाती है।
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नरक चतुर्दशी का धार्मिक महत्व
नरक चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल उबटन से स्नान करना चाहिए। इसे रूप स्नान भी कहा जाता है। अभ्यंग स्नान अर्थात एक विशेष उबटन का इस्तेमाल करना जिसे स्नान से पहले अपने शरीर पर लगाया जाता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से न केवल शरीर परंतु मन और आत्मा का शुद्धिकरण भी हो जाता है। नरक चतुर्दशी के दिन विशेष उबटन तैयार किया जाता है। यह उबटन सूर्योदय से पहले शरीर पर मलना होता है और बाद में स्नान करना होता है। इस उबटन को निम्नलिखित सामग्री से तैयार किया जाता है:
- बेसन
- हल्दी
- सरसों का तेल
- काले तिल
- चंदन ,कपूर
- गुलाब जल
- गंगाजल
- थोड़ा सा नींबू का रस

उबटन लगाने की विधि
- यह उबटन सूर्योदय से पहले शरीर पर लगाना चाहिए।
- उबटन लगाते हुए दक्षिण दिशा की ओर मुख कर ओम यम देवताय नमः मंत्र का जाप करें।
- उबटन लगाने के बाद कुछ देर प्रतीक्षा करें फिर शुद्ध जल से स्नान करें ।
- स्नान के बाद साफ कपड़े पहने और दीपदान करे।
नरक चतुर्दशी के दिन करें यह विशेष उपाय
- नरक चतुर्दशी के दिन काले तिल और सरसों का तेल युक्त दीप जलाने से पितृ दोष और कालसर्प दोष का प्रभाव घटता है।
- इस दिन नींबू में चार लॉन्ग लगाकर दीपक बनाकर हनुमान जी के सामने जलाने से शत्रु भय हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है।
- यह दिन यम को अत्यधिक प्रिय होता है ऐसे में इस दिन दक्षिण दिशा में यम दीपक जलाने की मान्यता है जो पूर्वजों को मोक्ष दिलाता है।
- इस दिन घर के मुख्य द्वार पर चार कोनों वाला दीपक जलाने से दरिद्रता दूर होती है।
- इस दिन सूर्योदय से पहले विशेष उबटन लगाकर स्नान करने से स्किन रोग दूर होता है त्वचा चमकने लगती है।
- इस दिन मां काली और भगवान हनुमान की आराधना करने से भय नाश होता है।
- यह दिन छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है ऐसे में इस दिन अपने घर को दीपों से सजाएं, रंगोली बनाएं, तोरण लगाए, माता लक्ष्मी की आगमन की तैयारी करें क्योंकि इसके अगले दिन माता लक्ष्मी का प्राकट्य दिवस होता है।

इस प्रकार नरक चतुर्दशी/ रूप चौदस केवल दीप जलाने का पर्व नहीं परंतु आंतरिक मैल से मुक्ति पाने का दिन है। रूप चतुर्दशी के नाम से प्रचलित यह दिन आपके तन को ही नहीं परंतु मन और आत्मा को भी पवित्र करता है। यदि कोई व्यक्ति श्रद्धा पूर्वक इस दिन अभ्यंग स्नान करता है और पूजा, पाठ, अर्चना दान धर्म करता है तो उसे निश्चित ही सभी देवी देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। विशेष कर मां काली, हनुमान और यमराज प्रसन्न होते हैं और दुर्भाग्य दूर करते हैं।
FAQ- Narak Chaturdashi Abhyang Snan
अभ्यंग स्नान कैसे करें?
नरक चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान से पहले बेसन, हल्दी, सरसों का तेल, काले तिल, चंदन, कपूर, गुलाब जल, गंगाजल और थोड़ा सा नींबू का रस मिलाकर विशेष उबटन तैयार किया जाता है। यह उबटन सूर्योदय से पहले शरीर पर मलना होता है और बाद में स्नान करना होता है।
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