
Nirjala Ekadashi Vrat: आने वाले 06 जून को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। निर्जला एकादशी व्रत की महिमा अपार है। शास्त्रों में इसे मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी कहा गया है जो कि वर्ष भर की सभी 23 एकादशियों के बराबर फल देने वाली एकादशी है। इस एकादशी को भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है। इसके इस नाम के पीछे एक रोचक कथा है।
क्या आप भी जानना चाहेंगे निर्जला एकादशी की रोचक कथा तो हमारे इस आर्टिकल को पढ़ना ना भूलें, जिसमें आज हम चर्चा करेंगे Nirjala Ekadashi Vrat के बारे में और हम जानेंगे कि क्या है निर्जला एकादशी व्रत के नियम और इसके फायदे। साथ ही हम जानेंगे निर्जला एकादशी व्रत करने की विधि और इससे जुड़ी अन्य बातें तो इस आर्टिकल को आखिर तक पढ़ना ना भूलें।
निर्जला एकादशी व्रत | Nirjala Ekadashi Vrat
निर्जला एकादशी व्रत को पूरे साल पड़ने वाली सभी एकादशियों में सबसे मुश्किल माना जाता है। यह व्रत हिंदू कैलेंडर के जेष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि को माना जाता है। क्योंकि इस व्रत में जल का त्याग किया जाता है इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। अपने इसी नियम के कारण यह सभी 24 एकादशियों में सबसे कठिन मानी गई है और इसी कारण सबसे पवित्र एकादशी कहलाती है। यही वजह है कि शास्त्रों में इस एकादशी को सबसे अधिक फलदाई और समस्त एकादशियों के फल के समान फल देने वाली एकादशी माना है। इसे पांडव एकादशी, भीम सेनी एकादशी और मोक्ष दायिनी एकादशी भी कहते हैं।
निर्जला एकादशी व्रत करने के नियम | Nirjala Ekadashi Vrat Niyam
जैसा कि हमने आपको बताया कि निर्जला एकादशी व्रत सभी एकादशियों में सबसे कठिन व्रत है। जहां बाकी सभी एकादशियों में केवल भोजन का त्याग किया जाता है वहीं निर्जला एकादशी के व्रत में जल का भी त्याग करना पड़ता है। चूंकि गर्मियों के मौसम में बिना पानी के उपवास करना बहुत ही कठिन माना जाता है, ऐसे में यह व्रत किसी तपस्या से काम नहीं है। निर्जला एकादशी व्रत एकादशी के सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूरज उगने तक किया जाता है। इस प्रकार यह 24 घंटे का व्रत हो जाता है हालांकि कुछ लोग इस व्रत को एकादशी की सुबह से सूर्यास्त तक ही करते हैं।
निर्जला एकादशी से एक दिन पहले भक्त संध्या वंदन करके एक बार भोजन करता है जिसमें वह चावल नहीं खा सकता क्योंकि एकादशी व्रत में चावल का निषेध है। अन्य सभी एकादशियों की तरह इस एकादशी में भी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
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निर्जला एकादशी व्रत पूजा विधि
इस व्रत को करने वाला व्यक्ति भगवान विष्णु की तस्वीर या भगवान शालिग्राम ( भगवान विष्णु का प्रतीक एक पत्थर) को घी, दूध, दही, चीनी और शहद से स्नान करा कर अभिषेक करता है। उसके बाद गंगाजल से स्नान करा के स्वच्छ और सुंदर वस्त्र धारण करवाए जाते हैं। फिर हाथ से बना हुआ मोर पंख का पंखा चढ़ाया जाता है। उसके बाद फूल जल और धूप देकर आरती की जाती है और ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करते हुए ध्यान किया जाता है। शाम के समय हाथ में दूब (एक प्रकार की घास) लेकर पूजा की जाती है। इसके पश्चात रात भर जागरण किया जाता है वह भजन कीर्तन किये जाते हैं।
निर्जला एकादशी 2025 मुहूर्त
अगर हम निर्जला एकादशी 2025 के मुहूर्त की बात करें तो इस बार एकादशी तिथि का प्रारंभ 6 जून प्रातः 2:15 से होगा वही तिथि का अंत 7 जून को प्रातः 4:47 पर होगा। वही वैष्णव एकादशी 7 जून 2025 को मनाई जाएगी। पारण का समय प्रातः 5:23 से 7:17 होगा।

निर्जला एकादशी पर क्या नहीं करना चाहिए?
निर्जला एकादशी पर कुछ खाद्य पदार्थ और कुछ कार्यों को करने की मनाही है। आईए जानते हैं की निर्जला एकादशी व्रत में क्या निषिद्ध है-
- निर्जला एकादशी के दिन चावल दाल मांस मदिरा लहसुन प्याज बैगन इत्यादि चीज नहीं खानी चाहिए।
- निर्जला एकादशी व्रत के दिन रात भर सोना नहीं चाहिए।
- इस दिन गुस्सा नहीं करना चाहिए और किसी तरह का आप शब्द नहीं बोलना चाहिए।
- इस दिन कम बोलना है और मौन रखना अच्छा माना गया है।
- निर्जला एकादशी में ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए।
निर्जला एकादशी व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा | Nirjala Ekadashi Vrat ki Katha
जैसा कि हमने आपको बताया कि निर्जला एकादशी को भीमसेन या पांडव एकादशी भी कहा जाता है। इसका यह नाम पांडव पुत्र भीम से संबंधित है। इस आर्टिकल की शुरुआत में हमने इस नाम से जुड़ी रोचक कहानी का जिक्र किया था। आईए जानते हैं क्या है पांडव पुत्र भीम से जुड़ी निर्जला एकादशी व्रत कथा-
शास्त्रों के अनुसार महर्षि वेदव्यास ने पांडवों को चारों पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) प्रदान करने वाले एकादशी के व्रत का संकल्प करवाया था। तब उन्होंने इस व्रत का विधान समझते हुए पांडवों से कहा कि, “कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की एकादशी को अन्न का त्याग करें और अगले दिन यानी की द्वादशी को स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें उसके बाद ब्राह्मणों को भोजन करवा कर ही व्रत का समापन करें।”
महर्षि की बात सुनकर पांडव पुत्र भीमसेन ने कहा – महर्षि मेरे चारों भाई, माता कुंती और द्रौपदी एकादशी के दिन कभी भी भोजन नहीं करते और यह मुझे भी कहते हैं कि मैं भी उसे दिन भोजन ना करूं। परंतु मैं इनसे कहता हूं कि मुझे भूख सहन नहीं होती। भीम की बात सुनकर महर्षि ने कहा कि भीम यदि तुम स्वर्ग की प्राप्ति करना चाहते हो तो तुम्हें दोनों ही एकादशियों को भोजन नहीं करना चाहिए।

तब भीम ने कहा कि महर्षि मैं सच कहता हूं कि एक बार भोजन करके भी मुझे व्रत नहीं किया जाता तो मैं दोनों समय बिना भोजन किया किस तरह से व्रत कर सकता हूं। मेरे पेट में बृक नामक आग जलती रहती है और मैं जितना भी खा लूँ मेरी भूख शांत नहीं होती। मैं पूरे साल में कोई एक ही व्रत कर सकता हूं। अतः महर्षि मुझे ऐसा कोई व्रत बताइए जिसे करने से स्वर्ग की प्राप्ति हो। मैं उसका पूर्ण रूप से पालन करूंगा।
तब महर्षि व्यास ने कहा कि भीम तुम ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी का व्रत करो। इस दिन अन्य के साथ-साथ जल का भी त्याग करो। केवल कुल्ला करने या आचमन के लिए ही अपने मुँह में जल डालो, इससे अधिक पानी मुंह में ना लो क्योंकि इससे व्रत भंग हो जाएगा। एकादशी के दिन की सूर्योदय से लेकर अगले दिन यानी द्वादशी के सूर्योदय तक निर्जल व्रत करो तभी यह व्रत पूर्ण होगा। द्वादशी के दिन ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करते हुए भगवान विष्णु का पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन व जल के कलश दान करो। इसके बाद भोजन ग्रहण करके व्रत का समापन करो।
महर्षि व्यास से यह विधान सुनकर भीमसेन ने बहुत हिम्मत करके निर्जला एकादशी का व्रत किया। अगले दिन सुबह होते होते हुए बेहोश हो गए तब पांडवों ने उन्हें गंगाजल, चरणामृत और तुलसी के पत्ते देकर उनकी मूर्छा ख़त्म की। तभी से यह एकादशी भी से एकादशी है या पांडव एकादशी कहलाती है।
निर्जला एकादशी व्रत के फायदे | Nirjala Ekadashi Vrat Benefits
निर्जला एकादशी का व्रत करना शास्त्रों में महत्वपूर्ण व फायदेमंद तो बताया ही गया है। साथ ही यह व्रत करने वाले व्यक्ति के आत्म बल और गुणों के विकास में भी सहायक है। चलिए हम जानते हैं निर्जला एकादशी व्रत करने से क्या-क्या फायदे होते हैं-
- निर्जला एकादशी का व्रत करने से अन्य 23 एकादशियों के व्रत का लाभ मिलता है।
- शास्त्रों के अनुसार जीवन भर यह व्रत विधि विधान से करने पर व्रत करने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती हैl
- निर्जला एकादशी वाले दिन व्यक्ति यदि निर्जल रहकर व्रत करता है तो उसे लंबी उम्र प्राप्त होती है। साथ में उसे व्यक्ति की पिछले 100 पीढ़ियों और आने वाली 100 पीढ़ियों का कल्याण होता है।
- एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में संतुलन बना रहता है।
- यह व्रत व्यक्ति में संयम और निष्ठा का विकास करता है।
- निर्जला एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को संपदा व समृद्धि के साथ-साथ संकटों से मुक्ति मिलती है और शत्रुओं पर जीत भी प्राप्त होती है।
निर्जला एकादशी व्रत में क्या दान करें | Nirjala Ekadashi Vrat Daan
शास्त्रों में एकादशी व्रत के दिन दान करने को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। क्योंकि निर्जला एकादशी सभी 23 एकादशी में सबसे महत्वपूर्ण व कठिन मानी गई है तो इस दिन दान का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। कहां जाता है कि इस दिन दान करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं। आईए जानते हैं कि शास्त्रों में Nirjala Ekadashi Vrat के दिन विशेष रूप से क्या दान करने का उल्लेख है –
- निर्जला एकादशी के दिन निर्जल रहकर ब्राह्मण या फिर किसी गरीब जरूरतमंद व्यक्ति को शुद्ध पानी से भरा हुआ घड़ा सफेद वस्त्र से ढक कर चीनी और कुछ दक्षिणा के साथ दान किया जाता है।
- इसके अलावा निर्जला एकादशी पर वस्त्र, अनाज, आसन, जूता, छतरी, पंखा और फल इत्यादि विधान किए जाते हैं।
- यदि आप निर्जला एकादशी पर वस्त्र दान करना चाह रहे हैं तो आपको पीले रंग का वस्त्र दान करना चाहिए क्योंकि यह भगवान विष्णु का प्रिय रंग है।
- इसके अलावा आप मिठाई का भी दान कर सकते हैं।
- निर्जला एकादशी के दिन आप किसी गरीब व्यक्ति को कुछ पैसों का भी दान कर सकते हैं जिससे माता लक्ष्मी आप पर विशेष कृपा करेंगी।
- निर्जला एकादशी के दिन आप गौ का दान भी कर सकते हैं जो कि महादान की श्रेणी में आता है
निष्कर्ष | Conclusion
तो दोस्तों इस आर्टिकल में हमने निर्जला एकादशी व्रत (Nirjala Ekadashi Vrat) के बारे में जाना और हमने समझा कि यह एकादशी क्यों मनाई जाती है साथ ही हमने निर्जला एकादशी व्रत के नियम,निर्जला एकादशी व्रत की कथा और इसकी पूजा विधि के बारे में भी जाना इसके साथ-साथ हमने जाना कि निर्जला एकादशी व्रत के दिन किन चीजों का दान किया जाना चाहिए। इसी तरह की महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हमसे जुड़े रहे।
FAQ–Nirjala Ekadashi Vrat
निर्जला एकादशी के बाद पानी कब पीना चाहिए?
निर्जला एकादशी व्रत में पानी सूर्योदय से पहले पिया जा सकता है और अगले दिन द्वादशी का पूजन करने के बाद पी सकते हैं।
निर्जला एकादशी के अन्य नाम क्या है?
निर्जला एकादशी को भीमसेनी या पांडव एकादशी भी कहा जाता है साथ ही इसे पाप नाशिनी और मोक्षदायिनीएकादशी भी कहते हैं।
निर्जला एकादशी व्रत करने का क्या फल मिलता है?
निर्जला एकादशी व्रत करने से पापों का नाश होता है और सुख व समृद्धि प्राप्त होती है।
निर्जला एकादशी में क्या दान किया जाना चाहिए?
निर्जला एकादशी में पीले रंग का वस्त्र, जल से भरा घड़ा व घी, चावल, आटा, दाल इत्यादि दान किए जाने चाहिए।
निर्जला एकादशी व्रत किस पांडव से
निर्जला एकादशी व्रत पांडव पुत्र भीम से संबंधित है
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