
Jyeshtha Mahina 2025: ज्येष्ठ महीना हिंदू पंचांग का तीसरा महीना है। यह महीना भगवान शिव की पूजा और भक्ति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। हिंदू धर्म में शिव के प्रतीक के रूप में शिवलिंग की पूजा की जाती है जो भक्तों को आध्यात्मिक मानसिक और शारीरिक लाभ देती है।
ज्येष्ठ माह में शिवलिंग की पूजा बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इस समय गर्मी अपने प्रचंड रूप में होती हैं इस दौरान शिवलिंग पर जल अभिषेक करने से भक्त का मन तो शांत होता ही है साथ में भगवान शिव की कृपा भी मिलती है। ज्येष्ठ महीने (Jyeshtha Mahina 2025) में शिवलिंग की पूजा के महत्व को दर्शाता यह लेख आप जरूर पढ़ें। इस लेख में हम ज्येष्ठ माह में शिवलिंग पूजा के महत्व, विधि और लाभों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
ज्येष्ठ माह में शिवलिंग पूजा का धार्मिक महत्व
शिव पुराण सहित अन्य धार्मिक ग्रंथो में ज्येष्ठ माह में शिवलिंग की पूजा का महत्व बताया गया है। शिव पुराण कहता है कि इस महीने में भगवान शिव की कृपा खास तौर पर प्राप्त होती है। ज्येष्ठ महीने में गर्मी के कारण प्रकृति तप रही होती है इसलिए शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, घी और जल का अभिषेक करके भगवान शिव की शीतलता और करुणा का आह्वान किया जाता है। यह पूजा भक्तों के जीवन में शांति समृद्धि और सुख लाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ माह में शिवलिंग की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उनके जीवन से दुख-दरिद्रता दूर होती है।
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शिव पुराण में वर्णन है कि शिवलिंग भगवान शिव के ब्रह्म रूप को दर्शाता है यह सृष्टि में सृजन पालन और संघार का प्रतीक है। ज्येष्ठ माह (Jyeshtha Mahina 2025) में शिवलिंग की पूजा करने वाले भक्त के भीतर से सारी बुरी ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मक पनपती है। इस महीने में खास तौर पर सोमवार के दिन और प्रदोष व्रत के दौरान शिवलिंग पूजा बहुत ही जरूरी मानी गई है। इन दोनों शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से कुंडली के चंद्र दोष खत्म हो जाते हैं।

ज्येष्ठ माह में शिवलिंग पूजा की विधि
ज्येष्ठ माह (Jyeshtha Mahina 2025) में शिवलिंग की पूजा का सम्पूर्ण फल पाने के लिए आपको पूरे विधि-विधान से ये पूजा करनी चाहिए। विधि कुछ इस तरह से है-
शुद्धता के साथ तैयारी– शिवलिंग के पूजा से पहले अपने शरीर को शुद्ध करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें उसके बाद पूजा स्थल को साफ करने और शिवलिंग को गंगाजल से शुद्ध करें।
दिशा का ध्यान– पूजा करते समय अपना मुंह दक्षिण दिशा की ओर करके बैठे हैं। शिवलिंग पूजा में उत्तर दिशा की ओर बैठना या जल चढ़ाना वर्जित माना जाता है क्योंकि यह माता पार्वती का स्थान माना गया है।
शिवलिंग अभिषेक- अब शहद, दूध, दही, घी गंगाजल के साथ शिवलिंग का अभिषेक करें। जल को धीरे-धीरे एक धारा के रूप में शिवलिंग पर प्रवाहित करें ताकि यह उत्तर दिशा की ओर बहे।
पूजा सामग्री- अब शिवलिंग पर बेलपत्र धतूरा आंख के फूल चंदन अक्षत और फूलों की माला चढ़ाएं। हल्दी सिंदूर और तुलसी के पत्ते शिव पूजा में वर्जित हैं इसलिए भूलकर भी इन चीजों का उपयोग न करें।
मंत्र जाप– शिवलिंग पूजा के दौरान 108 बार “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। इसके अलावा आप महामृत्युंजय मंत्र “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे…” मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
आरती और प्रसाद- पूजा के आखिर में भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद के रूप में मिश्री फल और मेवे का वितरण करें।

ज्येष्ठ माह में शिवलिंग पूजा के लाभ
ज्येष्ठ माह (Jyeshtha Mahina 2025) में शिवलिंग की पूजा करने से ये लाभ होते हैं-
- शिवलिंग की पूजा करने वाला भक्त आध्यात्मिक उन्नति करता है। साथ में उसका मन शांत होता है और उसे सांसारिक बंधनों से छुटकारा मिलता है।
- ज्येष्ठ माह में शिवलिंग की पूजा करने से घर में समृद्धि और सुख शांति का आगमन होता है।
- वहीं अगर वैवाहिक जीवन में समस्याएं हैं तो उनका भी निदान होता है।
- शिवलिंग की पूजा भक्ति को उसके सभी दुखों से मुक्त करके कष्टों का निवारण करती है।
- शिवलिंग के जलाभिषेक के साथ मंत्र जाप करने से मानसिक तनाव घटता है और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है
निष्कर्ष
ज्येष्ठ माह में शिवलिंग की पूजा को हिंदू धर्म में अत्यंत ही पुण्य कार्य माना गया है यह भक्त को भगवान शिव की कृपा दिलाने के साथ-साथ उनके जीवन में सुख समृद्धि बढ़ती है। इस ज्येष्ठ माह (Jyeshtha Mahina 2025) में आप ही भगवान शिव की कृपा पाने के लिए शिवलिंग पूजा करें और अपने अनुभव हमें कमेंट बॉक्स में बताएं।
FAQ- Jyeshtha Mahina 2025
ज्येष्ठ माह में शिवलिंग की पूजा करने का क्या महत्व है?
ज्येष्ठ माह में प्रचंड गर्मी के कारण प्रकृति तप रही होती है ऐसे में शिवलिंग की पूजा कर भगवान शिव की शीतलता और करुणा का आह्वान किया जाता है।
उत्तर दिशा की ओर मुख करके शिवलिंग की पूजा करना क्यों वर्जित है?
उत्तर दिशा को माता पार्वती का स्थान माना गया है इसलिए शिवलिंग की पूजा करते वक्त इस दिशा में मुंह करके बैठना वर्जित माना गया है।
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