
Pandav Panchami 2025: हिंदू धर्म में अनेक पर्व और त्यौहार हैं जो हमें प्राचीन कथाओं से जोड़ते हैं और जीवन के गहन सत्य से हमें रूबरू कराते हैं। एक है पांडव पंचमी जो महाभारत के नायक को पांडवों की याद में मनाई जाती है। यह त्यौहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भक्त पांडवों की पूजा करते हैं व्रत रखते हैं और उनकी कथाओं का स्मरण करते हैं।
पांडव पंचमी का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यहां हमें धर्मशक्ति भक्ति और कर्म के सिद्धांतों का पाठ पढ़ाती है। महाभारत में पांडवों को सत्य, न्याय और देवताओं के अवतार के रूप में दर्शाया गया है। यह त्यौहार विशेष रूप से उत्तर भारत में लोकप्रिय है जहां इसे लोग पांडवों के जन्म और उनके जीवन से जुड़ी घटनाओं से जोड़ते हैं।
आज का लेख पांडव पंचमी के महत्व और उनके जन्म की रोचक कथा पर आधारित है जो महाभारत की मूल कहानी का हिस्सा है साथ ही भविष्य पुराण के अनुसार कलियुग में उनके पुनर्जन्म की रहस्यमई बातों के बारे में भी हम चर्चा करेंगे।
और पढ़ें: इस भाईदूज अपने भाई को इस तरह से करें तिलक
पांडव पंचमी का महत्व(Pandav Panchami 2025)
पांडव पंचमी का महत्व महाभारत काल से जुड़ा हुआ है जहां पांडवों को देवताओं के पुत्र के रूप में दिखाए गया है यह त्यौहार हमे सिखाता है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयां आए धर्म का पालन करने से विजय प्राप्त होती है। पांडवों की तरह जो वनवास युद्ध और धोखे का सामना करते हुए सत्य के मार्ग पर चले। पांडव पंचमी के दिन लोग पांडवों की मूर्तियों या चित्रों की पूजा करते हैं भजन गाते हैं और दान पुण्य करते हैं।
धार्मिक मान्यता है कि इस तिथि को पूजा करने से संतान सुख मिलता है और परिवार में सुख शांति बनी रहती है। खासकर वे लोग जो संतान प्राप्ति की कामना करते हैं इस व्रत को रखते हैं क्योंकि पांडवों की कथा संतान प्राप्ति के चमत्कार से जुड़ी है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि देवी देवताओं की कृपा से असंभव की संभव हो सकता है।

पांडव पंचमी की कथा
महाभारत की कहानी राजा पांडवों से शुरू होती है जो हस्तिनापुर के राजा थे। एक बार राजा पांडे शिकार के लिए जंगल में गए जहां उन्होंने दूर से हिरण को देखा और तीर से उसका शिकार कर लिया। लेकिन वह किरण कोई साधारण जानवर नहीं था वह वास्तव में एक ऋषि थे जो अपनी पत्नी के साथ संभोग में लीन थे।
मरते समय उसे ऋषि ने राजा पांडु को श्राप दिया इमेज जब भी अपनी पत्नी के साथ संभोग करेंगे उनकी मृत्यु हो जाएगी। हिसाब से दुखी होकर राजा पांडु ने अपना राज्य अपने अंधे भाई धृतराष्ट्र को सौंप दिया और अपनी दो पत्नियों कुंती और माद्री के साथ जंगल में चले गए। वहां उन्होंने सन्यासी का जीवन अपनाया एक बात का गहरा दुख था कि उनकी कोई संतान नहीं है।
तब कुंती ने राजा पांडु को एक रहस्य बताया। अपनी युवावस्था में कुंती ने ऋषि दुर्वासा की सेवा की थी जिससे प्रसन्न होकर ऋषि ने उन्हें एक विशेष मंत्र दिया था। इस मंत्र से कुंती किसी भी देवता का आह्वान करके संतान प्राप्त कर सकती थी। राजा पांडु की अनुमति से कुंती ने इस मंत्र का इस्तेमाल किया सबसे पहले उन्होंने धर्मराज (यम) का आह्वान किया और युधिष्ठिर को जन्म दिया सत्यवादी और धर्मात्मा थे।
फिर पवन देव से भीम का जन्म हुआ जो अपने आप पर शक्ति और भूत के लिए प्रसिद्ध थे। तीसरे इंद्रदेव से अर्जुन का जन्म हुआ जो महान धनुर्धर और योद्धा बने। कुंती ने यह मंत्र माद्री को भी सिखाया। माद्री ने अश्विनी को मारो का आह्वान किया और नकुल तथा सहदेव को जन्म दिया। इस प्रकार पांचो पांडव विभिन्न देवताओं के पुत्र थे लेकिन राजा पांडु के नाम से जाने गए।

वे पांडु के जैविक पुत्र नहीं थे बल्कि देव कृपा से प्राप्त होंगे। इससे पहले कुंती की कुंवारी अवस्था में एक गलती हुई थी उन्होंने उत्सुकता वश सूर्य देव का आह्वान किया और कर्ण को जन्म दिया। कर्ण सूर्यपुत्र थे जो कवच और कुंडल लेकर पैदा हुए थे वह महान दानी के रूप में विख्यात हुए लेकिन सामाजिक कर्म से कुंती ने उन्हें त्याग दिया।
पांडवों के गुणों की बात करें तो युधिष्ठिर न्याय के प्रतीक थे, भीम बल के, अर्जुन कौशल के जबकि नकुल और सहदेव सौंदर्य और बुद्धि के प्रतीक थे। यह कथा हमें सिखाती है कि संतान प्राप्ति के लिए भक्ति और मंत्र की शक्ति कितने महत्वपूर्ण है।
कलयुग में पांडवों का पुनर्जन्म
भविष्य पुराण के अनुसार पांडवों की आत्माएँ अमर हैं और उन्होंने कलियुग में भी जन्म लिया। युधिष्ठिर ने वत्सराज नामक राजा के पुत्र मलखान के रूप में जन्म लिया। भीम ने वीरान नाम से जन्म लिया और वैनरस राज्य के राजा बने। अर्जुन का पुनर्जन्म परीलोक के राजा के यहां ब्रह्मानंद नाम से हुआ।
नकुल ने भानु के यहां जन्म लिया जबकि सहदेव ने देवी सिंह नाम से अवतार लिया। इतना ही नहीं धृतराष्ट्र का जन्म अजमेर में पृथ्वीराज के रूप में हुआ है और द्रौपदी की पुत्री वेला के रूप में जन्मीं। यह कथाएं बताती है कि महाभारत के चरित्र कलयुग में भी हमारे बीच हो सकते हैं और उनके कर्मों का प्रभाव आज भी हमारे बीच महसूस किया जाता है।
FAQ- Pandav Panchami 2025
पांडव पंचमी क्यों मनाई जाती है?
पांडव पंचमी के दिन पांडवों की पूजा की जाती है ऐसी मान्यता है कि इस तिथि को व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है यह व्रत उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो योग्य संतान पाना चाहते हैं।
3 thoughts on “पांडव पंचमी: महत्व, कथा और रहस्यमयी पुनर्जन्म”