
Pehla Argh Chhath Puja 2025: छठ पूजा भारतीय संस्कृति का सबसे पवित्र और वैज्ञानिक पर्व माना जाता है। यह पर्व सूर्य भगवान और छठी मैया को समर्पित है। सूर्य जो साक्षात ऊर्जा के प्रतीक हैं। सूर्य ऐसे देव है जिन्हें हम रोजाना देखते हैं महसूस करते हैं और जिनकी ऊर्जा से पृथ्वी का संचालन हो रहा है। छठ में सूर्य देव के उगने पर नहीं बल्कि डूबने पर भी अर्घ्य दिया जाता है और इस दौरान कुछ नियमों का पालन भी किया जाता है। यह नियम परिवार की सुख समृद्धि संतान की आयु और जीवन की उन्नति के लिए बनाए गए हैं।
डूबते सूर्य को अर्थ देना कृतज्ञता का प्रतीक है, कि जिस प्रकार सूर्य ने पूरे दिन हमें प्रकाश जीवन शक्ति दी उसी प्रकार हम भी उसका आभार प्रकट करें और इस दौरान कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य है। हालांकि इस दौरान हम अनजाने में छोटी मोटी गलतियां कर देते हैं जो कि पूजा के प्रभाव को काम करती हैं और आज हम इसी के बारे में आपको बताने वाले हैं ताकि डूबते सूर्य को अर्थ देते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान आप भी रखें और गलतियों से बचें।
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डूबते सूर्य को अर्घ्य देते समय कौन सी गलतियां नहीं करनी चाहिए(Pehla Argh Chhath Puja 2025)
अर्घ्य के समय पानी में पैर हिलाना: डूबते सूर्य को अर्घ्य देते समय भूलकर भी पानी में पर नहीं हिलना चाहिए। अरग देते समय जल में स्थिर खड़े रहना चाहिए ताकि ऊर्जा के प्रवाह में कोई बाधा ना हो। इस समय मन, वाणी और शरीर तीनों ही स्थिर अवस्था में रहना अत्यंत आवश्यक है।
स्टील या प्लास्टिक के बर्तन का प्रयोग ना करें: डूबते सूर्य को हमेशा पीतल तांबे या कांसे के कलश से अर्घ्य दें। स्टील या प्लास्टिक बर्तन नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं और सूर्य की उपासना के प्रभाव को कम कर देते हैं।

गलत प्रकार के वस्त्र पहनना: छठ पूजा सादगी और पवित्रता का प्रतीक है। इस दिन हल्के और पारंपरिक वस्त्र पहनें। चमकीले अत्यधिक आधुनिक कपड़े पहनकर पूजा ना करें। इससे सात्विकता प्रभावित होती है।
जलाशय को स्वच्छ रखें: अर्घ्य देने के बाद कुछ लोग पूजा के फूल, दीपक, माला इत्यादि जल में डाल देते हैं। छठ पूजा पर्यावरण के संरक्षण का प्रतीक है। ऐसे में जितना हो सके जल स्रोत को स्वच्छ बनाए रखें और इसमें अस्वच्छ पदार्थ बिल्कुल भी ना डालें।
मोबाइल का प्रयोग ना करें: छठ पूजा पूरी तरह से समर्पण और एकाग्रता का प्रतीक है। अर्घ देते समय हंसी मजाक, बातचीत करना, मोबाइल से फोटो लेना अनुचित है। यह समय सूर्य और प्रकृति से संवाद साधने का होता है। ऐसे में कोशिश करें कि इस दौरान भौतिक प्रलोभन से दूर रहे।
सूर्य अस्त होते समय पीठ न करें: डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के दौरान गलती से भी उसकी ओर पीठ ना करें। पीठ करने का मतलब है भाग्य से विमुख हो जाना। इसीलिए सूर्य को अरग देते समय सूर्य की ओर मुख करें और श्रद्धा से झुक कर प्रणाम करें। अरग देने के बाद जब तक सूर्य देव विलुप्त नहीं होते तब तक पीठ ना दें बल्कि वहीं खड़े होकर इंतजार करें।

अर्घ्य के जल में गलत सामग्री ना डालें: कई लोग अर्घ्य का जल तैयार करते समय कलश में अत्यधिक वस्तुएं डाल देते हैं। जबकि छठ पर्व के दौरान केवल स्वच्छ जल, लाल फूल, लाल चंदन, अक्षत, थोड़ा सा गुड और रोली का प्रयोग करना चाहिए। गलती से भी अवांछित वस्तुएं ना डालें।
सूर्यास्त के बाद कोई कार्य प्रारंभ ना करें: छठ पूजा में सूर्यास्त के बाद किसी प्रकार का कोई नए कार्य को आरंभ बना करें। नए छठ पूजा में सूर्यास्त के बाद नई कार्य की योजना बनाना, बहस करना, किसी बड़े निर्णय को लेने से बच्चे बल्कि अगले दिन सूर्योदय को अर्क देने के बाद ही इस प्रकार की योजनाएं या निर्णय ले।
निष्कर्ष
इस प्रकार छठ पूजा के दौरान अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देना केवल एक कर्मकांड नहीं होता बल्कि यह सूर्य देव के प्रति कृतज्ञता है। इस दौरान जब कोई व्यक्ति श्रद्धा से सूर्य देव को प्रणाम करता है और नियमों का पालन करता है तब निश्चित ही उसकी किस्मत चमक होती है और छठी मैया उसे पर अपनी कृपा करती है।
FAQ- Pehla Argh Chhath Puja 2025
छठ पूजा में क्या नहीं करना चाहिए?
छठ पूजा में डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के दौरान गलती से भी उसकी ओर पीठ ना करें। पीठ करने का मतलब है भाग्य से विमुख हो जाना। इसीलिए सूर्य को अरग देते समय सूर्य की ओर मुख करें और श्रद्धा से झुक कर प्रणाम करें। अरग देने के बाद जब तक सूर्य देव विलुप्त नहीं होते तब तक पीठ ना दें बल्कि वहीं खड़े होकर इंतजार करें।
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