
Pregnancy Me Karwa Chauth Kaise Kare: करवा चौथ हिंदू संस्कृति का एक अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। इस त्यौहार में विवाहित स्त्री अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत पूजा करती है। हालांकि केवल पति की लंबी आयु ही इस्तेमाल का मकसद नहीं होता, यह त्यौहार त्याग समर्पण और प्यार का भी प्रतीक होता है।
इस दिन पत्नी अपने पति के लिए व्रत रखती है। हालांकि आजकल पति भी अपनी पत्नियों के लिए व्रत रखने लगे हैं। इस दिन सूर्योदय से लेकर चंद्रमा के उदय तक महिलाएं निर्जला उपवास में रहती हैं और पूजा अर्चना कर पति की मंगल कामना करती है। हालांकि यह उपवास महिला हर स्थिति में हर वर्ष सकती है परंतु जब बात आती है गर्भवती महिलाओं की तो उनके लिए व्रत रखना और उसके नियम कुछ अलग हो जाते हैं। जी हां शास्त्रों के अनुसार गर्भावस्था में व्रत के नियमों में कुछ डिल दी जाती है ताकि महिला और बच्चे की सेहत पर कोई भी बुरा असर ना
जैसा कि हम सब जानते हैं गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर को समय-समय पर ऊर्जा पोषण और जल की आवश्यकता होती है। ऐसे में करवा चौथ के दिन बिना पानी और बिना भोजन के रहना महिला और बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है। इसीलिए करवा चौथ में गर्भावस्था के दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए और आज के इस लेख में हम आपको इस गर्भवती महिलाओं के लिए करवा चौथ व्रत से जुड़ी सारी सावधानी, आसान विकल्प, डॉक्टर की सलाह और आध्यात्मिक दृष्टिकोण पर विस्तारित विवरण देने वाले हैं।
और पढ़ें: अकेले कर रही हैं करवाचौथ व्रत तो ऐसे फेरें करवा
गर्भावस्था में करवा चौथ व्रत के दौरान कौन सी बातों का ध्यान देना अनिवार्य है
गर्भावस्था में दौरान यदि महिला करवा चौथ का व्रत कर रही है तो लंबे समय तक भूखा प्यासा रहना कमजोरी, सर दर्द, डिहाइड्रेशन, ब्लड प्रेशर और बच्चे के विकास पर असर डाल सकता है। इसीलिए इस दिन निर्जला व्रत नहीं रखना चाहिए। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि पावन पर्व बिल्कुल ना मनाया जाए, परंपरा और भावना को ध्यान में रखते हुए व्रत को लचीला रूप देकर मनाया जा सकता है।
गर्भवती महिलाओं ऐसे करें करवा चौथ |Pregnancy Me Karwa Chauth Kaise Kare
सात्विक आहार के साथ करें व्रत का पालन: गर्भवती महिलाएं निर्जला व्रत की जगह दिन भर हल्का और पौष्टिक आहार लेते हुए व्रत कर सकती हैं, जैसे कि फल, नारियल, पानी, दूध और मखाने इत्यादि।
गलती से भी ना रखें निर्जला व्रत: गर्भवती महिलाओं को व्रत में पानी पीने की अनुभूति होती है। ऐसे में महिलाएं दिन भर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पानी, जूस, नारियल पानी इत्यादि पी सकती हैं ताकि शिशु पर कोई भी विपरीत प्रभाव ना पड़े।
अपने स्वास्थ्य के आधार पर लें निर्णय: हालांकि सभी गर्भवती महिलाओं की शारीरिक स्थिति एक जैसी नहीं होती। कुछ महिलाओं की गर्भावस्था में कई प्रकार की कॉम्प्लिकेशंस होते हैं। ऐसे में ऐसी महिलाएं जिनका बीपी नियंत्रण में नहीं रहता, जिन्हें डायबिटीज की दिक्कत है या जो माइग्रेन की मरीज हैं, उन्हें करवा चौथ का व्रत करने से पहले डॉक्टर का परामर्श लेना अनिवार्य है।
व्रत की जगह पूजा पाठ पर दें ध्यान: करवा चौथ का महत्व केवल व्रत से नहीं होता, बल्कि पूजा पाठ से भी होता है। ऐसे में महिलाएं करवा चौथ के दिन व्रत ना करते हुए पूजा श्रद्धा से कर सकती हैं। महिलाएं करवा माता की पूजा, कथा श्रवण और चंद्रमा को अर्घ्य देना जैसे काम निश्चित रूप से कर सकती हैं।

क्या कहते हैं इस बारे में धर्म ग्रंथ धर्म
धर्म ग्रंथ और शास्त्रों में भी गर्भवती महिलाओं की सबसे बड़ी जिम्मेदारी उनके गर्भस्थ शिशु बताया गया है। धार्मिक ग्रंथो में भी वर्णित है कि एक माता की जिम्मेदारी उसके बच्चे का लालन-पालन और उसकी रक्षा होता है। ऐसे में यदि किसी भी परिस्थिति में ऐसा लगे कि व्रत का पालन नहीं किया जा रहा तो गर्भवती महिलाएं करवा चौथ के उपवास में नियमों को अपने हिसाब से परिवर्तित कर सकती हैं और निर्जल उपवास न रखते हुए हल्का-फुल्का खाना खाते हुए उपवास कर सकती हैं। हालांकि यदि इतना भी नहीं हो पाता तो सात्विक आहार का सेवन, करवा पूजा और चंद्रमा को अर्घ देकर भी पूजा संपन्न की जा सकती है।
गर्भवती महिलाओं के लिए करवा चौथ की पूजा विधि
यदि कोई गर्भवती महिला करवा चौथ का व्रत पालन करना चाहती है तो उसे सुबह उठकर सबसे पहले स्नान इत्यादि कर भगवान गणेश, शिव-पार्वती तथा करवा माता का ध्यान करना होगा। उसे संकल्प करना होगा कि मैं अपने पति और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य, लंबी आयु के लिए यह व्रत कर रही हूं और भगवान से आशीर्वाद की प्रार्थना करती हूं।
साथ ही महिला को संकल्प के दौरान स्पष्ट करना होगा कि वह गर्भवती है ऐसे में इस दौरान उससे हुई छोटी बड़ी भूल को भगवान क्षमा करें और ऐसा कहकर महिला अपना व्रत और दिन आरंभ कर सकती है। इस दौरान महिला निर्जला व्रत की जगह हल्का फलाहार ले सकती है। सुहागिन महिलाओं को सौभाग्य की सामग्री देकर आशीर्वाद ले सकती है। शाम को करवा की कथा सुनकर करवा माता की पूजा कर दीप जला सकती हैं। इसके बाद चंद्रमा निकलने पर चंद्र को जल अर्पित कर पति और होने वाली संतान की सुख समृद्धि की कामना कर सकती हैं।

गर्भवती महिलाओं को किस परिस्थिति में व्रत नहीं रखना चाहिए
यदि गर्भवती महिला की गर्भावस्था काफी कठिन है, उसे बार-बार उल्टियां हो रही हैं, चक्कर आ रहे हैं, ब्लड प्रेशर या डिहाइड्रेशन की समस्या है या महिला डायबिटीज की मरीज़ है तो उन्हें व्रत नहीं रखना चाहिए। वहीं गर्भवती महिला की आयु 40 वर्ष से अधिक है और कॉम्प्लिकेटेड प्रेगनेंसी है तब भी उन्हें व्रत नहीं रखना चाहिए। बिना व्रत के केवल पूजा पाठ और संकल्प पर भी पर्व मनाना चाहिए।
FAQ– Pregnancy Me Karwa Chauth Kaise Kare
गर्भावस्था के दौरान करवा चौथ व्रत कैसे करें?
गर्भावस्था के दौरान निर्जला व्रत बिल्कुल भी ना करें और थोड़ी-थोड़ी देर बार पानी या जूस पीते रहे साथ में आप सुख मेरे या फल इत्यादि का सेवन भी कर सकते हैं। यदि गर्भावस्था काफी कठिन है तो व्रत ना करना ही बेहतर है।
1 thought on “गर्भावस्था में करवा चौथ कैसे करें व्रत और किन बातों का रखें ध्यान”