
Vivah Panchami ka Mahatva: हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाई जाती है। यह वह पवित्र दिन है जब त्रेता युग में मिथिला के राजा जनक की पुत्री सीता का विवाह मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के साथ हुआ था। यह त्यौहार विशेष रूप से उत्तर भारत मिथिलांचल अयोध्या और नेपाल में बहुत उत्साह और समृद्धि के साथ मनाया जाता है। राम सीता को भारतीय संस्कृति में आदर्श दंपत्ति का प्रतीक माना जाता है। इसलिए इस दिन उनकी पूजा अर्चना से वैवाहिक जीवन सुख में समृद्ध और मर्यादा से परिपूर्ण होता है।
विवाह पंचमी का महत्व(Vivah Panchami ka Mahatva)
विवाह पंचमी का दिन दंपति जीवन के लिए बहुत शुभ और फलदाई माना जाता है। इस दिन भगवान राम और माता सीता की विधि पूजा करने से वैवाहिक जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं, पति-पत्नी में प्रेम और सामंजस से बढ़ता है और अविवाहितों को मनचाहा जीवन साथी प्राप्त होता है। रामचरितमानस या रामायण का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है और पारिवारिक कलह समाप्त होती है।
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राम जी ने अपने जीवन में मर्यादा का पूर्ण पालन पर पुरुषोत्तम का दर्जा प्राप्त किया वही माता सीता ने पति व्रत धर्म की परिकाष्ठा दिखाई। इन दोनों के आदर्श जीवन से प्रेरणा लेकर पूजा करने से दांपत्य जीवन में भी मर्यादा, प्रेम और त्याग की भावना जागृत होती है
विवाह पंचमी की कथा
त्रेता युग में मिथिला नरेश राजा जनक बहुत धर्म परायण थे। उन्होंने घोषणा की थी कि उनकी पुत्री सीता का विवाह उसी वीर से होगा जो भगवान शिव के विशाल धनुष पिनाक को उठाकर उसे पर प्रत्यंचा चढ़ा सके। इस स्वयंवर में देश-विदेश से अनेक शक्तिशाली राजा महाराजा आए परन्तु कोई भी उस धनुष को हिला तक न सका।
तब गुरु विश्वामित्र के आदेश पर भगवान श्री राम आगे बढ़े और उन्होंने बहुत आसानी से उसे महान धनुष को उठाया और उसे पर प्रत्यंचा चढ़ाते समय इतनी शक्ति से उसे खींच की धनुष भयंकर ध्वनि के साथ दो टुकड़ों में टूट गया। यह देखकर सभी आश्चर्य चकित रह गए। माता सीता ने हर्षित होकर स्वयं वरमाला भगवान राम के गले में डाल दी।
आकाश से देवता पुष्प वर्षा करने लगे और सारी दिशाएं आनंद मग्न हो गई इसके बाद अयोध्या से राजा दशरथ बारातियों का दल लेकर मिथिला पहुंचे और चारों भाइयों राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न के विवाह धूमधाम से संपन्न हुए।

विवाह पंचमी पूजा पूजा विधि
विवाह पंचमी के दिन प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर घर के पूजा स्थल को साफ सुथरा करें। पूजा स्थल में राम सीता की मूर्ति यह चित्र स्थापित करें। फिर संकल्प लें कि आज विवाह पंचमी के पावन पर्व पर में श्री राम जानकी के विवाह की स्मृति में उनकी पूजा करता/करती हूं। इसके बाद इन चरणों में पूजा करें-
- भगवान राम को पीतांबर (पीले वस्त्र) और माता सीता को लाल चुनरी अर्पित करें।
- रामायण के बालकांड में वर्णित विवाह प्रसंग का पाठ करें या सुनें।
- “ॐ जानकीवल्लभाय नमः” या “जय सिया राम” मंत्र का अधिकाधिक जाप करें।
- राम-सीता की मूर्तियों के हाथों में गठबंधन करें, अर्थात एक दूसरे से बंधी डोरी बाँधें।
- धूप, दीप, नैवेद्य (मिठाई, फल) अर्पित करें।
- राम-सीता की आरती उतारें और भोग लगाकर प्रसाद वितरित करें।

एक विशेष परंपरा
मिथिलांचल और नेपाल में विवाह पंचमी के दिन विवाह नहीं किए जाते। का कारण यह है की माता सीता का वैवाहिक जीवन बेहद कष्ट पूर्ण रहा था- वनवास, रावण द्वारा हरण, अग्नि परीक्षा आदि दुखों से उन्हें गुजरना पड़ा था। लोग डरते हैं कि इस दिन विवाह करने से बेटी का जीवन भी दुखमय ना हो जाए। यही कारण है कि इस दिन राम कथा सुनाते समय विवाह प्रसंग पर ही कथा समाप्त कर दी जाती है और आगे की दुखद घटनाएं नहीं सुनाई जाती।
निष्कर्ष–Vivah Panchami ka Mahatva
विवाह पंचमी केवल एक त्यौहार नहीं बल्कि दांपत्य जीवन के आदर्शों की पुनर स्मृति है। इस दिन श्री राम सीता की पूजा कर हम अपने जीवन में भी मर्यादा, प्रेम, त्याग और विश्वास की ज्योति जला सकते हैं। इस पावन त्योहार पर राम जानकी की कृपा से सभी के वैवाहिक जीवन में सुख शांति और समृद्धि बनी रहे यही कामना है।
FAQ- Vivah Panchami ka Mahatva
विवाह पंचमी पर क्या करना चाहिए?
भगवान राम को पीतांबर (पीले वस्त्र) और माता सीता को लाल चुनरी अर्पित करें। रामायण के बालकांड में वर्णित विवाह प्रसंग का पाठ करें या सुनें। “ॐ जानकीवल्लभाय नमः” या “जय सिया राम” मंत्र का अधिकाधिक जाप करें। राम-सीता की मूर्तियों के हाथों में गठबंधन करें, अर्थात एक दूसरे से बंधी डोरी बाँधें। धूप, दीप, नैवेद्य (मिठाई, फल) अर्पित करें। राम-सीता की आरती उतारें और भोग लगाकर प्रसाद वितरित करें।
विवाह पंचमी के दिन किसका विवाह हुआ था?
विवाह पंचमी वह पवित्र दिन है जब त्रेता युग में मिथिला के राजा जनक की पुत्री सीता का विवाह मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के साथ हुआ था।
विवाह पंचमी क्यों मनाई जाती है?
विवाह पंचमी हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है इस दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था साथ ही इस दिन तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के अवधि संस्करण को पूर्ण किया था।