
Yam Dwitiya Mantra: दीपावली के पांचवें दिन यम द्वितीय पर्व मनाया जाता है। इसे भाई दूज भी कहा जाता है। यह पर्व यमराज और उनकी बहन यमुना के पवित्र मिलन स्मृति में मनाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे तब यमुना ने विधिवत उनका पूजन किया और उससे प्रसन्न होकर यमराज ने वरदान दिया कि जो बहन इस दिन भाई का तिलक करेगी वह दीर्घायु होगा और उसे यमलोक का भय नहीं होगा।
हालांकि यह पर्व केवल भाई बहन के प्रेम का पर्व नहीं है, इस दिन यदि कोई व्यक्ति यमदेव की उपासना कर ले तो मृत्यु पर विजय प्राप्त करता है और जीवन में गहन से गहन बीमारियों से दूर हो जाता है। धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि यम द्वितीया के दिन यमराज, यमदूत, चित्रगुप्त, यमुना देवी की पूजा करने से पापों का नाश होता है, कर्म दोष मिटते हैं और जीवन में शांति आती है।
और आज के इस लेख में हम आपको इन्हीं विशेष उपायों के बारे में जानकारी देने वाले हैं जहां हम बताएंगे कि यम द्वितीया के दिन आप किस प्रकार यमराज और यमदेव की विशेष पूजा अर्चना कर सकते हैं। साथ ही किस प्रकार इस दिन ज्योतिषिय उपाय कर आप मृत्यु और दुर्घटना के भय को समाप्त कर सकते हैं।
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यम द्वितीया के दिन किस प्रकार करें यमराज की पूजा
- यम द्वितीया के दिन सुबह सवेरे स्नान इत्यादि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- तत्पश्चात दक्षिण दिशा की ओर एक छोटा सा यह वेदी स्थान बनाएं।
- इस स्थान पर मिट्टी से यमराज और चित्रगुप्त की प्रतीकात्मक मूर्ति बनाएं।
- इसके बाद यहां घी का दीपक जलाएं, तत्पश्चात सबसे पहले भगवान गणेश का स्मरण करें।
- इसके बाद यमदेव का निम्न मंत्र से आह्वान करें ओम यमाय नमः, ओम धर्म राजाय नमः, ओम श श्रवनाय नमः
- अब इस पर चावल,चंदन अक्षत अर्पित करें ।
- इस दिन चित्रगुप्त की भी पूजा करें क्योंकि वह कर्म के लेखा संरक्षक माने जाते हैं।
- सुबह सवेरे की पूजा करने के बाद यम द्वितीया के दिन सूर्यास्त के समय घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा में एक दीप जलाएं इसे यमदीप कहा जाता है।
- यह दीपक तिल के तेल का जलाएं और सूत की बाती का प्रयोग करें।
- इससे यमराज प्रसन्न होते हैं और अकाल मृत्यु और दुर्घटना के भय को दूर करते हैं।

यम द्वितीया के दिन बोले जाने वाले पवित्र मंत्र, स्तोत्र और जाप
यमराज बीज मंत्र
ॐ यमाय नमः
यमद्वितीया के दिन सूर्यास्त के समय दक्षिण दिशा की ओर दीपक जलाते समय यमराज को प्रसन्न करने वाले यमराज बीज मंत्र का जाप अवश्य करें और उसके बाद तिल और गुड़ का भोग लगाएं। यह मंत्र लंबी आयु, मानसिक स्थिरता और दुर्घटना से मुक्ति का आशीर्वाद प्रदान करता है।
धर्मराज स्त्रोत
ॐ धर्मराजाय नमः।
यमाय धर्मराजाय मृत्यवे च अंतकाय च।
वैवस्वताय कालाय सर्वभूतक्षयाय च॥
औदुम्बराय दंडाय नीलाय परमाय च।
वैवस्वताय शांताय सर्वलोकनमस्कृताय॥”
संध्या के समय दक्षिण दिशा में दीपक जलाते समय इस स्तोत्र का पाठ एक बार अवश्य करें और इसके बाद यमराज के बीज मंत्र का जाप करें। यह स्रोत अकाल मृत्यु के भाई को दूर करता है और पाप के प्रभाव को समाप्त करता है।
चित्रगुप्त स्तुति मंत्र
ॐ चित्रगुप्ताय नमः।
नमस्ते धर्मराजस्य सचिवाय नमोऽस्तु ते।
लेखाकाराय सत्याय चित्रगुप्ताय ते नमः॥”
यम द्वितीया के दिन चित्रगुप्त का स्मरण भी अवश्य करें क्योंकि चित्रगुप्त ही कर्मों के लेखा-जोखा के देवता हैं उनकी आराधना से कम दोष की शांति होती है।
यमुना देवी स्तोत्र
“ॐ यमुने नमः।
नमस्ते देवी यमुने लोकपावनि शुभप्रदे।
स्नानमात्रेण पापानि हरस्व मे सदा शुभे॥”
यमद्वितीया का दिन यम और यमुना के पावन मिलन का पर्व है। यमुना जी यमराज की बहन है अतः इस दिन यमुना के स्रोत का जाप करना विशेष फल प्रदान करता है। इससे यमदेव भी प्रसन्न होते हैं की पूजा से पहले 11 बार इस मंत्र का जाप करें जिससे नकारात्मकता दूर होती है।

यमदीप स्तुति (यमदीप जलाने का विशेष मंत्र)
मृत्युनाऽपहराम्यहम् दीपनं यमदीपकं।
तेन दीपेन मे मृत्युः न भूयात् गृहमेव च॥”
यमदीप जलाते समय इस मंत्र का जाप अवश्य करें दक्षिण दिशा में जब आप दीपक जलते हैं तो यह मंत्र एकाग्र होकर तीन बार बोले इसके बाद तिल के तेल से जलते हुए दीपक के सामने थोड़ा तिल और जल अर्पित करें इससे यमदेव प्रसन्न होते हैं।

इस प्रकार यम द्वितीया के दिन इन विशेष मन्त्रो और स्त्रोत का जाप कर आप दुर्घटना अकाल मृत्यु और पाप कर्मों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। इन मेट्रो स्रोतों और जब का स्मरण करने से न केवल बाय शांति प्राप्त होती है बल्कि आंतरिक स्थिरता की भावना भी जागृत होती है इन मंत्र स्रोतों का जाप करने से यमदेव और यमुना देवी की कृपा प्राप्त होती है और जहां तक भाई मुक्त जीवन जीने में सक्षम होता है।
FAQ- Yam Dwitiya Mantra
यम का मंत्र क्या है?
यम का मंत्र ॐ यमाय नमः है। यमद्वितीया के दिन सूर्यास्त के समय दक्षिण दिशा की ओर दीपक जलाते समय यमराज को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप कर के तिल और गुड़ का भोग लगाने पर लंबी आयु, मानसिक स्थिरता और दुर्घटना से मुक्ति का आशीर्वाद मिलता है।
यम द्वितीया क्या होती है?
यम द्वितीया दिवाली के तीसरे दिन मनाई जाती है और यम द्वितीया के दिन यमराज, यमदूत, चित्रगुप्त, यमुना देवी की पूजा करने से पापों का नाश होता है, कर्म दोष मिटते हैं और जीवन में शांति आती है।
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