
Death in Pitru Paksha Good or Bad: हमारे हिंदू धर्म में पितृपक्ष का बहुत महत्व होता है। पितृ पक्ष 15–16 दिनों का वह समय होता है जब हम पितरों को याद करते हैं, उनका श्राद्ध और तर्पण करते हैं जिससे हमारे पितृ तृप्त होते हैं और हमें उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। पितृपक्ष में जिस तरह लाखों बच्चे जन्म लेते हैं वैसे कई लोग मरते भी हैं। ऐसे में क्योंकि मन में यह सवाल होता है कि क्या पितृपक्ष में मृत्यु होना शुभ होता है या अशुभ। चलिए इस बारे में हम आपको विस्तार से जानकारी देते हैं।
पितृपक्ष में मृत्यु शुभ अशुभ (Death in Pitru Paksha Good or Bad)
जिस तरह प्रतिदिन लाखों बच्चों का जन्म होता है उसी प्रकार मृत्यु होना भी एक स्वाभाविक प्रक्रिया ही है। परंतु सबके मन में यह सवाल होता है कि क्या पितृपक्ष में मृत्यु होना शुभ है या अशुभ। हमारे पूर्वजों का ऐसा मानना था कि पितृपक्ष में मृत्यु होना शुभ होता है माना जाता है कि पितृपक्ष में किसी की मृत्यु होने पर उसे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इससे मृत आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है और उसे स्वर्ग की भी प्राप्ति होती है। पितृपक्ष में उन लोगों की मृत्यु होती है जिन लोगों ने अच्छे कर्म किए हुए हों–
सांसारिक कष्टों से मुक्ति –पितृपक्ष वह समय होता है जहां दान पुण्य, आत्मा की शुद्धि, तर्पण इत्यादि किए जाते हैं। इसलिए माना जाता है कि इस समय में यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसे सांसारिक कष्ट नहीं भोगने पड़ते हैं आत्माओं को स्वर्ग में स्थान मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

स्वर्ग में स्थान –पितृपक्ष पुण्य कर्मों को करने वाला पक्ष होता है इसलिए जिस भी व्यक्ति की इस पितृपक्ष में मृत्यु होती है उन्हें सांसारिक बंधनों से मुक्ति प्राप्त होती है और उन्हें सीधे स्वर्ग में स्थान मिलता है। यह भी कहा जाता है कि पितृपक्ष में मरने वाले व्यक्ति को सीधे भगवान की शरण में स्थान प्राप्त होता है।
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पितरों का आशीर्वाद – पितृपक्ष पितरों को समर्पित होता है इसमें पितरों के लिए श्राद्ध तर्पण इत्यादि किया जाता है। इसलिए कहा जाता है कि यदि किसी व्यक्ति की पितृपक्ष में मृत्यु होती है तो उन्हें स्वयं ही पितरों का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है। पितृ उनकी आत्मा को शांति प्राप्त करवाते हैं जिससे आत्मा को कष्ट भोगना नहीं पड़ता है।
कर्मों का फल और ग्रह की दशाएं – किसी भी इंसान की मृत्यु उसके कर्मों का और ग्रहों का फल होती है। पितृपक्ष पितरों को समर्पित होता है। इन दिनों पितरों के निमित्त श्राद्ध तर्पण किया जाता हैं इसलिए यदि पितृपक्ष में किसी की मृत्यु होती है तो उन्हे पितरों के समीप रहने का अवसर प्राप्त होता है और उनकी आत्मा को मुक्ति मिलती है।

पितृदोष से मुक्ति –जब हमारी कुंडली में पितृ दोष होता है तो हमें हमारी संतानों को बहुत से कष्टों का सामना करना पड़ता है। परंतु ऐसा माना गया है कि यदि पितृपक्ष में मृत्यु होती है तो आत्मा अपने दोषों को लेकर पितरों में विलीन हो जाती है जिससे परिवार में लगे पितृ दोष कम हो जाते हैं और उसे परिवार पर पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पुनर्जन्म की कम संभावना –यदि हमारे कुछ कर्म अधूरे रह जाते हैं या हमारी ऐसी कोई इच्छा होती है जो अधूरी हो जाती है तो हमें पुनर्जन्म लेना पड़ता है। परंतु ऐसा माना जाता है कि यदि पितृपक्ष में मृत्यु होती है तो उससे आत्मा को शांति मिलती है और मोक्ष प्राप्त होता है। पितृपक्ष में मृत्यु होने से अंतिम संस्कार और श्राद्ध पितृपक्ष में ही हो जाते हैं जिससे आत्मा के पुनर्जन्म की संभावना कम हो जाती है। आत्मा का सीधे परमात्मा से मिलन हो जाता है।
पितरों की गोद मृत्यु –पितृपक्ष में मृत्यु को पितरों की गोद में मृत्यु माना गया है। माना जाता है कि पितृपक्ष में मृत्यु होने से पितृ स्वयं आत्मा को लेने आते हैं। आत्मा का पितरों के साथ मिलन आसान हो जाता है और आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है।

परिवार के लिए आशीर्वाद –पितृपक्ष में मृत्यु होना केवल उस आत्मा के लिए नहीं बल्कि उस पूरे परिवार के लिए शुभ संकेत होता है क्योंकि इससे आत्मा और उससे जुड़े हुए परिवार को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। क्योंकि पितृपक्ष पितरों को समर्पित होता है इसलिए पितृपक्ष में यदि किसी की मृत्यु हो जाती है तो उस व्यक्ति को पितरों के समीप रहने का अवसर मिलता है और ईश्वर की भी कृपा परिवार पर बनी रहती है।
निष्कर्ष
पितृ पक्ष में मृत्यु होना उस व्यक्ति के लिए सौभाग्यशाली माना जाता है उस व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है, पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है और उस व्यक्ति के परिवार को सुख समृद्धि भी प्राप्त होती है। पितृपक्ष में मृत्यु होना अच्छे कर्मों का फल होता है।
कुछ सामाजिक तथ्य इस समय मृत्यु को अशुभ मानते हैं परंतु शास्त्र इस तथ्य को शुभ मानते हैं इसलिए कहते हैं कि पितृपक्ष में हुई मृत्यु सीधे परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग होती है। इस समय में हुई मृत्यु सांसारिक बंधनों से मुक्त करके स्वर्ग की प्राप्ति करवाती है। इसलिए यदि पितृपक्ष में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो उसे अशुभ ना समझ के उसे व्यक्ति के मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग समझा जाए। यदि कोई व्यक्ति इस पवित्र समय में मृत्यु को प्राप्त होता है तो उसका भी श्राद्ध तर्पण और दान पुण्य करके उस व्यक्ति की आत्मा को शांति प्रदान करी जाए।
FAQ- Death in Pitru Paksha Good or Bad
क्या पितृपक्ष में मृत्यु अच्छी है?
पितृपक्ष में हुई मृत्यु सीधे परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग होती है। इस समय में हुई मृत्यु सांसारिक बंधनों से मुक्त करके स्वर्ग की प्राप्ति करवाती है। इसलिए यदि पितृपक्ष में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो उसे अशुभ ना समझ के उसे व्यक्ति के मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग समझा जाए।