
Navratri 6th Day Devi Name: शारदीय नवरात्र का छठा दिन मां कात्यायनी देवी को समर्पित होता है। इस दिन मां कात्यायनी देवी की पूजा अर्चना की जाती है। इनका नाम ऋषि कात्यायन से जुड़ा है, ऋषि कात्यायन ने कठोर तपस्या की थी इसलिए पार्वती देवी ने उनके घर अवतार लिया था इसलिए उन्हें कात्यायनी देवी कहा जाता है। माता कात्यायनी ने महिषासुर का वध कर देवताओं को उसके आतंक से मुक्त किया था, इसलिए उन्हे महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है।
मां कात्यायनी देवी शेर पर विराजमान होती है। इनकी चार भुजाएं होती हैं, एक में तलवार दूसरे में कमल पुष्प, तीसरा हाथ वरद मुद्रा में और चौथा हाथ अभय मुद्रा में होता है। मां कात्यायनी का स्वरूप बहुत ही तेजस्वी और दिव्य होता है, इनकी उपासना करने से साधक को आत्मबल, साहस, रोग से मुक्ति और विवाह संबंधी परेशानियों से मुक्ति प्राप्त होती है। कन्याओं को उचित वर की प्राप्ति हेतु मां कात्यायनी की उपासना करनी चाहिए।
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2025 में छठे दिन की तिथि और पूजा मुहूर्त
नवरात्रि का छठा दिन रविवार 28 सितंबर को मनाया जाएगा। छठी तिथि का आरंभ 27 सितंबर को 11:45 से हो जाएगा और 28 सितंबर को रात्रि 10:50 पर इसका समापन होगा। पूजन का शुभ मुहूर्त प्रात: काल को होगा। 28 सितंबर की सुबह ब्रह्म मुहूर्त 04:36 से 5:24 तक पूजा का रहेगा। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:48 से 12:35 का होगा वही अमृत काल 6:05 से 7:53 का होगा। इस समय में कात्यायनी मां की आराधना करना अत्यंत शुभ फल प्रदान करेगा।
कात्यायनी मां का प्रिय भोग(Bhog for the 6th Day of Navratri)
कात्यायनी मां को शहद का भोग विशेष रूप से प्रिय है, इसलिए शहद से बनी हुई वस्तुएं इसके अलावा शुद्ध घी से बनी हुई वस्तुएं जैसे मालपुए, पकवान, हलवा, पूरी और अनार का भोग मां कात्यायनी को इस दिन लगाना चाहिए। इससे मां अत्यंत प्रसन्न होती हैं। शहद का भोग लगाने से साधक को रोगों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख समृद्धि और धन वैभव बढ़ता है।

छठी तिथि का शुभ रंग
मां कात्यानी को धूसर अर्थात ग्रे रंग अत्यंत प्रिय होता है, जो संतुलन का प्रतीक है। यह रंग पहनना हमारे भीतर विनम्रता और स्थिरता लाता है और हमारी आभा को नर्म रखता है। यह रंग हमें व्यावहारिक और सरल बने रहने के लिए प्रेरित करता है।
छठे दिन रात्रि साधना का महत्व
नवरात्रि के छठे दिन साधक को लाल वस्त्र पहन कर, लाल आसन पर बैठकर घी का दीपक जलाकर ॐ ऐं कात्यायिन्ये नमः का 108 बार जाप करना चाहिए। इस प्रकार की साधना करने से साधक के सभी विघ्न दूर होते हैं। उन्हें जीवन में सफलता प्राप्त होती है, अविवाहित लोगों को इस प्रकार की साधना करने से उत्तम वर की प्राप्ति होती है और उनका वैवाहिक जीवन बहुत अच्छा होता है।
छठे दिन पर माता को प्रसन्न करने के उपाय
- सुबह स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनकर साधक को पूजा करनी चाहिए।
- पूजा में साधक को लाल वस्त्र धारण करने चाहिए।
- मां कात्यायनी को लाल पुष्प,लाल वस्त्र अर्पण करने चाहिए और उन्हें शहद का भोग लगाकर और लाल गुलाब अवश्य चढ़ाना चाहिए।
- इस दिन कन्याओं को भोजन कराने से और जरूरमद को दान देने से मां कात्यायनी का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है।
- गाय को गुड और रोटी खिलाने से जीवन की सारी बधाएं दूर होती है।

इस प्रकार छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा करने से साधक को साहस, संतान सुख, दांपत्य सुख और जीवन में शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। मां कात्यायनी की उपासना से उपासकों को धर्म,अर्थ काम,मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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FAQ– Navratri 6th Day Devi Name
छठे दिन का भोग क्या है?
नवरात्रि के छठे दिन की देवी मां कात्यायनी को शहद अत्यंत प्रिय है इसलिए उन्हें भोग के रूप में शहद से बनी वस्तुएं, हलवा, पूरी इत्यादि चढ़ाएँ। इस भोग से माता प्रसन्न होकर भक्तों के रोग और दुख का नाश करती हैं।