
Navratri Ka Panchwa Din Skandmata: शारदीय नवरात्र का की पंचमी तिथि मां स्कंदमाता को समर्पित होता है। स्कंदमाता को कार्तिकेय की माता के रूम पे पूजा जाता है। स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान, चार भुजाओं वाली और सिंह पर सवार होती है। स्कंदमाता की गोद में स्कंद विराजमान रहते है। देवी स्कंद माता का नाम स्कंद (कार्तिकेय) और माता(मां) को मिलाकर बना हुआ है। माता की पूजा अर्चना करने से मन को शांति, शक्ति तथा बुद्धि मिलती है।
स्कंद माता भक्तों को विपत्ति से बचाने वाली व मोक्ष दिलाने वाली माता मानी जाती हैं। माता को मातृत्व का प्रतीक माना जाता है। इनकी पूजा से साधक को संतान की प्राप्ति और आर्थिक समृद्धि अवश्य ही प्राप्त होती है। स्कंदमाता चार भुजाओं वाली देवी होती हैं जिनके दो हाथो में कमल के पुष्प होते है और 1 हाथ वरद मुद्रा में होता है। कमल के आसन पर विराजमान होने के कारण इन्हें पद्मासन देवी भी कहा जाता है। 2025 वर्ष में नवरात्रि की पंचमी तिथि 27 सितंबर दिन शनिवार को मनाई जाएगी।
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पंचमी तिथि पर पूजा महूर्त
नवरात्रि की पंचमी तिथि का आरंभ 26 सितंबर रात 11: 28 से होगा और समापन 27 सितंबर की रात 11:47 मिनट पर होगा। पूजा का श्रेष्ठ समय प्रातः काल का माना गया है। इसलिए इस तिथि का ब्रह्म मुहूर्त 4:36 से से 5:24 तक होगा। वही अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:48 से 12 36 का रहेगा। अमित काल का समय जो स्कंद माता की आराधना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है दोपहर 1:26 से लेकर 3:14 तक रहेगा।
पंचमी तिथि का शुभ रंग
मां स्कंदमाता को हरा रंग अत्यंत प्रिय होता है। हरा रंग बुध ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है, यह उर्वरता और नई शुरुआत का प्रतीक है। प्रकृति का प्रतीक यह रंग हमारे भीतर सकारात्मक और स्थिरता लाता है। नवरात्रि के पंचमी तिथि को हरे रंग का वस्त्र पहनकर माता की पूजा और प्रार्थना करें
मां स्कंदमाता का प्रिय भोग
मां स्कंद माता को फल विशेष कर केले और खीर बहुत पसंद होती है। इस दिन भक्तों को केले, खीर, दूध, घी से बने व्यंजन का भोग माता को अर्पित करना चाहिए। भोग को शुद्धता और सात्विकता से तयार करना चाहिए। इससे माता भोग को स्वीकार करके भक्तो को आशीर्वाद देती हैं। उनके जीवन में समृद्धि आती है। साधक को संतान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पंचमी की रात्रि साधना का महत्व
मा स्कंद मात्रा की रात्रि साधना साधक को आंतरिक शक्ति और मानसिक स्थिरता प्रदान करती है। रात्रि में साधक पीले आसन पर बैठकर, पीले वस्त्र पहनकर घी का दीपक जलाकर ॐ स्कंदमाताय नमः का 108 बार जाप करते हैं तो उनके जीवन में स्थिरता आती है। उनके सारे दुख और रोग नष्ट होते हैं, उनके जीवन में संतान सुख मिलता है, परिवार से नकारात्मक शक्ति का नाश होता है और जीवन में सकारात्मकता आती है। जिन साधक को संतान सुख प्राप्त नहीं है यदि वह स्कंद माता की विधि पूर्वक पूजा करते हैं तो उन्हें उनके जीवन में संतान सुख अवश्य मिलता है।
पंचमी तिथि पर माता को प्रसन्न करने के उपाय
- नवरात्रि के पांचवें दिन सुबह उठकर स्नान करके साफ वस्त्र पहनकर साफ आसन पर बैठ के माता की पूजा करनी चाहिए।
- इस दिन माता को केले, खीर और हरे वस्त्र, केसर पीली मिठाई का भोग लगाना चाहिए।
- इस दिन पीली वस्तु जैसे बेसन की मिठाई केसर की खीर हरे वस्त्र का दान करने से साधक को विशेष फल प्राप्त होता है।
- जरूरतमंद को भोजन करने से गरीबों की मदद करने से माता अत्यंत प्रसन्न होती है तथा उनकी विशेष कृपा साधक पर बनी रहती है।

इस प्रकार पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा अर्चना करने से संतान सुख, मानसिक शांति, सुख समृद्धि प्राप्त की जा सकती है।
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FAQ- Navratri Ka Panchwa Din Skandmata
नवरात्रि के पांचवें दिन कौन सा रंग पहनना चाहिए?
नवरात्रि के पांचवें दिन हरा रंग पहनना चाहिए क्योंकि यह है स्कंदमाता को बेहद प्रिय है और यह रंग बुध ग्रह का प्रतिनिधि भी है। साथ ही यह प्रकृति का प्रतीक है जो हमारे भीतर शांति और स्थिरता लाता है।