
Sarva Pitru Amavasya Daan: सर्वपितृ अमावस्या पितृपक्ष का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है जिसका हमारे हिंदू धर्म में बहुत महत्व होता है। इस दिन पूर्वजों को याद करके उनका श्राद्ध तर्पण करके उन्हें तृप्त करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। सर्वपित्र अमावस्या पर किया गया दान केवल हमारे ग्रहदोष और पितृदोष दूर करने के लिए नही होता बल्कि अपने पितरों की आत्मा को संतुष्टि प्रदान करने के लिए किया जाता है।
इस दिन किया गया दान हमारे पूर्वजों की आत्मा को शांति देता है। उनकी आत्मा संतुष्ट होकर हमारे परिवार के कष्टों को दूर करती है। हमारी संतानों को अच्छा स्वास्थ, मनोबल, सुख समृद्धि प्रदान करती है। यदि कोई व्यक्ति किसी कारणवश पितृपक्ष में श्राद्ध तर्पण नहीं कर पाया हो तो वो अमावस्या के दिन अपने परिवार के अनुसार दान करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है।
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रिश्तो के अनुसार क्या दान करें
हर रिश्ते का संबंध एक विशेष ग्रह से माना गया है। उसी के अनुसार दान करने से ग्रह दोष दूर होता है और पितरों को शांति मिलती है। आइए जानते है कि रिश्तो के अनुसार किस प्रकार क्या क्या दान करना चाहिए –
पिता के लिए दान (सूर्य)
पिता हमारे घर की नीव होता है। घर का आधार होता है इसलिए पिता का संबंध सूर्य से होता है। पिता में भी सूर्य के समान तेज होता है। इसलिए पिता के लिए अमावस्या के दिन लाल चीजों का दान करना चाहिए।
लाल चीज़े जैसे–
- लाल वस्त्र
- तांबे के पात्र
- लाल मीठी चीज
- गुड़
इस प्रकार का दान करने से हमारे पिता की आत्मा तृप्त होती है और हमारे कुल की प्रतिष्ठा बनी रहती है।
माता के लिए दान (चन्द्रमा)
माता का संबंध चंद्रमा से होता है। जिस प्रकार चंद्रमा का स्वभाव शीतल और शांत होता है उसी प्रकार माता का स्वभाव भी ममता से भरा हुआ होता है। इसलिए माता के लिए चांदी की वस्तुएं सफेद चीज जैसे शक्कर, दूध, दही या सफेद वस्त्र इत्यादि का दान करना चाहिए। इससे माता की आत्मा तृप्त होती है और हमें अच्छा स्वास्थ्य मिलता है और घर परिवार में शांति का वातावरण बना रहता है।

दादा के लिए दान (बृहस्पति)
दादा घर के बड़े होते है और गुरु के समान होते है। गुरु धर्म का कारक होता है इसलिए इसका संबंध बृहस्पति से होता है। इसलिए हमें दादा की आत्मा की शांति के लिए पीली चीजों का दान करना चाहिए। पीली चीज जैसे पीले वस्त्र, केसर, चने की दाल इस प्रकार का दान करने से दादाजी की आत्मा को शांति मिलती है और हमारे कुल में अच्छा स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहती है कुल की मान मर्यादा प्रतिष्ठा बनी रहती है।
दादी के लिए दान (शुक्र ग्रह)
दादी जी भी घर की बड़ी सदस्य होती हैं। उनका भी स्थान मां की तरह ही होता है और दादी जी का संबंध शुक्र से होता है जो प्रेम सौभाग्य का कारक होते है। इसलिए दादी जी के लिए सफेद चीज जैसे सफेद वस्त्र चांदी की वस्तुएं दूध दही शक्कर इत्यादि का दान अवश्य करना चाहिए। इससे पारिवारिक जीवन में होने वाले कलह दूर होते हैं परिवार में एकता बनी रहती है। दांपत्य जीवन में खुशहाली बनी रहती है
नाना के लिए दान (बुध ग्रह)
नाना जी का संबंध बुध ग्रह से होता है। बुध ग्रह बुद्धि और व्यापार का कारक होता है इसलिए इनके लिए हरी वस्तुओं का दान उत्तम माना जाता है। हरी वस्तुएँ जैसे हरे वस्त्र, हरी मूंग दाल, कांसे से बने बर्तन इत्यादि का दान करना शुभ होता है। इससे व्यापार व्यवसाय में उन्नति होती है और बच्चों में बुद्धि का विकास होता है।
नानी के लिए दान (शुक्र/चंद्रमा)
नानी के लिए भी सफेद वस्तुओं का दान करना उत्तम माना जाता है। सफेद वस्त्र चावल दूध दही घी मिठाईयां। नानीजी का संबंध शुक्र चंद्रमा दोनों से होता है। इस प्रकार का दान करने से नानी जी की आत्मा को तृप्ति मिलती है और परिवार में शांति बनी रहती हैं। मातृ सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
दिवंगत पति के लिए (सूर्य)
यदि पति की मृत्यु हो गई हो तो पति के लिए लाल चीजों का दान करना चाहिए जैसे तांबे के पात्र, लाल वस्त्र बेसन से बनी मिठाई गुड इत्यादि। इसका संबंध सूर्य से होता है। इस प्रकार का दान करने से पति की आत्मा को शांति मिलती है, परिवार के सभी सदस्यों में एकता बनी रहती है और उन्हें सुख समृद्धि प्राप्त होती है। परिवार में एकता बनी रहती है।
दिवंगत पत्नी के लिए( शुक्र/चन्द्र)
यदि पत्नी की मृत्यु हो गई हो तो पत्नी के लिए सफेद चीजों का दान करना चाहिए। सफेद मिठाइयां, चांदी के पात्र, दूध, दही, घी इत्यादि का दान करने से शुक्र और चंद्र देव प्रसन्न होते हैं और पत्नी की आत्मा भी तृप्त होती है। इस प्रकार का दान करने से घर में शांति का वातावरण बना रहता है और कष्टों से मुक्ति मिलती है सौभाग्य में वृद्धि होती है।

भाई बहन के लिए दान (शनि)
भाई बहन यदि मृत्यु को प्राप्त हो गए हैं तो उनके लिए दान करके उनकी आत्मा को तृप्त किया जा सकता है। भाई बहन का संबंध शनिदेव से होता है इसलिए भाई बहन के निमित्त काली चीजों का दान सर्वोत्तम माना जाता है। काली चीजे यानी काले वस्त्र, काली दाल, काले तिल, सरसों का तेल का दान करने से परिवार के सदस्यों के कार्य में आने वाली बाधाएँ दूर होती है। व्यापार व्यवसाय की उन्नति के नए मार्ग खुलते हैं।
संतान के लिए दान (नवग्रह)
संतान की आत्मा की शांति के लिए फल, वस्त्र, मिठाइयां, अन्न धन इत्यादी सभी प्रकार की वस्तुओं का दान कर सकते हैं। इससे सभी नवग्रह संतुष्ट होकर संतान की आत्मा की तृप्ति करते हैं तथा घर परिवार में वंश वृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। नई पीढ़ी की रक्षा होती है।
सर्वपितृ अमावस्या के दान के नियम
सर्वप्रथम अमावस्या के दिन दान करते वक्त कुछ नियमों का पालन किया जाना बहुत आवश्यक है तभी इन दान का पुण्य फल मिलता है-
- दान हमेशा किसी जरूरतमंद को ही देना चाहिए, किसी ब्राह्मण को भोजन करवाना चाहिए या किसी गरीब कन्या की सहायता करनी चाहिए।
- दान दक्षिण दिशा की और मुख करके ही देना चाहिए।
- दान करते समय अपने पितरों का स्मरण करना चाहिए और ॐ पितृभ्य: सध्वा, या पितृदेवाय नमः का जाप करना चाहिए।
- दान ब्राम्हण कन्याओं को और जरूरतमंदों को करने से ही फल की प्राप्ति होती है।
- दान अपने सामर्थ्य के अनुसार करना चाहिए दिखावे के लिए दान नही करना चाहिए।

रिश्तों के अनुसार दान करना केवल एक परम्परा निभाना नही होता है बल्कि यदि हम दादा – दादी, नाना– नानी, माता – पिता, भाई –बहन, संतान के लिए दान करते है तो इनसे जुड़े ग्रह भी शांत होते है तथा हमारे पूर्वजों को भी तृप्ति प्राप्त होती है। उनका आशीर्वाद भी घर पर सदैव बना रहता है। परिवार में लगा हुआ पितृदोष ग्रह दोष भी दूर होता है और सभी प्रकार की बाधाओं से हमे मुक्ति मिलती है।सुख समृद्धि बनी रहती है।
FAQ- Sarva Pitru Amavasya Daan
पितृ अमावस्या पर क्या दान करना चाहिए?
चित्र अमावस्या पर रिश्तो के अनुसार दान करना चाहिए। जैसे दिवंगत पिता के लिए लाल वस्तुओं का दान दिवंगत माता के लिए सफेद वस्तुओं का दान दिवंगत दादा के लिए पीले वस्तुओं का दान, दिवंगत पति के लिए लाल वस्तुओं का दान दिवंगत भाई बहन के लिए कई वस्तुओं का दान किया जा सकता है।