दोस्तों आज चर्चा होगी 4 Yogas of Hinduism के बारे में। यह चार योग हमें हमारे वास्तविक रूप से मिलाने में सहायक होते हैं वह रूप जिसे हम बाहरी दुनिया के तामझाम में फंसकर भूल चुके हैं। सारी दुनिया की माया ही हमारे दुखों का कारण है। इन दुखों से उबरने का एक उपाय है हिंदू धर्म में बताए गए चार योग।

आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि किस तरह से 4 Yogas of Hinduism को समझ कर इनकी मदद से हम इस माया से मेरे रहने के बावजूद भी अपने असली रूप और उद्देश्य को जानकर अपने मन को शांत और सुखी बना सकते हैं। इन चार योग को जानने के साथ ही हम जानेंगे कि गीता में इन 4 योगों के बारे में क्या कहा गया है। आखिर तक इस आर्टिकल को पढ़ना ना भूले।
योग का सच्चा अर्थ क्या है| What Is The Real Meaning of Yoga
योग को जीवन जीने की कला माना जाता है। जोना केवल हमारी बाहरी वास्तविकता को बल्कि हमारे अंतरतम को प्रभावित करती है और उसे बदलने की ताकत रखती है। स्वामी विवेकानंद ने योग के बारे में बहुत ही सार्थक टिप्पणी की है। उनके शब्दों में,
“ योग एक कर्म योगी के लिए मनुष्य और मानवता का, संत के लिए उसके निम्न और उच्चतम स्तर, अन्य के लिए उसके प्रीतम और दार्शनिक के लिए उसके संपूर्ण अस्तित्व का एक हो जाना है।”
हिंदू धर्म के अनुसार एक आदर्श मनुष्य वही है जिसके अंदर दर्शन भक्ति कर्म और ज्ञान का संतुलन हो। किसी मनुष्य में इन चारों ही तत्वों की संतुलित स्थिति योग कहलाती हैं।
हिंदू धर्म के चार योग कौन से हैं| 4 Yogas of Hinduism
योग दर्शन के अनुसार सुख आत्मा का स्वभाव है लेकिन जीव माया के वश में आकर इस स्वभाव को भूल जाता है। इसके पीछे का मुख्य कारण है अज्ञानता और खुद से दूर होना। इस विस्मृति या अज्ञानता को अविद्या कहा जाता है जो शरीर और आत्मा के अस्तित्व को अलग-अलग समझने के कारण आती हैं।
योग का अभ्यास हमारे मन मस्तिष्क पर पड़े इस भ्रम के पर्दे को हटाने का बेहतरीन उपाय है। योग हमें उसे सनातन सत्य की करीब लेकर जाता है जो यह कहता है कि हम शरीर और बुद्धि के पार एक सच्चिदानंद आत्मा हैं। हम उस परम सत्ता का अंश हैं जिसे ब्रह्म कहा जाता है। वेदांत दर्शन में चार योग के बारे में बताया गया है जिनकी प्रेक्टिस से हम यूनिवर्स या उसे परम सत्ता से जुड़ सकते हैं, जो कि हमारी आत्मा का भी एक अंश है। आइये हम जानते हैं वे चार योग 4 Yogas of Hinduism कौन से हैं-
कर्म योग (Karma Yoga)
4 Yogas of Hinduism में सबसे पहला और लोकप्रिय योग है कर्म योग। कर्म योग यानी अपना काम करना, अपना कर्तव्य निभाना। लेकिन यह काम निस्वार्थ भाव से होना चाहिए। तभी यह योग की श्रेणी में आएगा। इस कर्म में व्यक्तिगत फायदा या नुकसान नहीं देखा जाता। यह काम हमारे मन को साफ करता है, क्योंकि इसमें हम अपने काम के परिणाम से डिटैच हो जाते हैं
और इस तरह हमारे भीतर की स्वार्थी प्रवृत्ति नष्ट हो जाती है। हम समाज के कल्याण के बारे में सोचते हैं। और जब हम अपने काम से दूसरों का भला करते हैं तो हमारे अंदर एक खुशी और शांति का भाव पैदा होता है। डॉक्टर अब्दुल कलाम, मदर टेरेसा जैसे लोग सच्चे कर्म योगी के उदाहरण हैं। गीता में अर्जुन कर्मयोगी का उदाहरण है।
भक्ति योग (Bhakti Yoga)
भक्ति योग जैसा कि नाम से ही हम समझ सकते हैं कि यह भक्ति, प्रेम और समर्पण की बात करता है। भक्ति और प्रेम उस परम शक्तिमान ईश्वर से जिसका हम अंश हैं और माया के वश में पड़कर उससे दूर हो गए हैं। इस माया से छूटने का एकमात्र उपाय है उस ईश्वर से प्रेम, उसका स्मरण-भजन करना और उसे पूरी तरह से समर्पित हो जाना।
भक्ति योग में हम अपने बाहरी रूप को भुलाकर हम सात्विक विचारों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ईश्वर की साधना करते हैं और अपनी सारी भावनाएं और प्रेम उसे ही समर्पित करते हैं। भक्ति योग में हम पूजा पाठ, मंत्र जाप, व्रत उपवास व साधना करते हैं। मीरा बाई भक्ति योग का उदाहरण हैं।
ज्ञान योग (Gyan Yoga)
ज्ञान योग आत्मा की खोज पर बोल देता है। हमारा अज्ञान रूपी अहंकार हमें अपने यथार्थ से मिलने से रोकता है। ज्ञान योग में हम तर्क के माध्यम से वास्तविकता को जानते हैं और हमारे जीवन में जो भी घटित हो रहा है उसके पीछे छिपे हुए कारण को पहचानते हैं। तर्क की खोज हमारी बुद्धि पर पड़े अज्ञानता के पर्दे को हटा देती है।
ज्ञान योग मुख्य रूप से वेदांत दर्शन और अद्वैत की शिक्षा पर आधारित है। इसमें साधक वेदों पुराणों और दर्शन शास्त्रों का अध्ययन करके अपनी तर्कशीलता विकसित करता है और ज्ञान के माध्यम से ईश्वर तक पहुंचता है। यह भी जीवन के सुख-दुख को समझने और माया से छुटकारा पाने का एक बेहतर साधन है
राज योग (Raja Yoga)
हमारे मन की आस्था हमें बाहरी दुनिया में उलझाए रखती है और हम अपनी वास्तविकता से दूर होते जाते हैं। राजयोग हमें ध्यान और मानसिक अनुशासन के आधार पर खुद से जुड़ने की बात करता है। राजयोग कहता है कि हम ध्यान या मेडिटेशन करें और अपने ईश्वर से जुड़ने की कोशिश करें।
आज के समय में प्रचलित योग और ध्यान राजयोग का ही एक रूप है जो हमें अष्टांग योग के अभ्यास के माध्यम से मानसिक संतुलन बनाने और अपने भीतर उतरने में सहायक होता है। यह योग हमारे मेंटल और फिजिकल एनर्जी को स्पिरिचुअल एनर्जी में बदलता है। अष्टांग योग की खोज महर्षि पतंजलि ने की थी। यह बाहर भटकने वाले मन को काबू करके उसे अपने भीतर उतारने की एक प्रक्रिया है।
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अष्टांग योग क्या है| Eight Limbs Of Yoga
आज हम योग को केवल आसनों के माध्यम से जानते हैं, लेकिन यह अष्टांग योग का केवल एक हिस्सा है। अष्टांग योग ख़ास तौर पर ध्यान के माध्यम से ईश्वर को प्राप्त करने का एक जरिया के रूप में विकसित किया गया। जैसा कि हमने आपको बताया कि महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग की खोज की थी जिसमें उन्होंने योग के इन आठ अंगों के बारे में अपनी ‘योग सूत्र’ नामक पुस्तक में लिखा था लिए हम योग के इन आठ अंगों को विस्तार से समझे –
- नियम– यह पांच तरह के सकारात्मक व्यवहार हैं जिसमें स्वच्छता, संतोष, आत्म अनुशासन, स्वाध्याय और ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण को सम्मिलित किया गया है।
- यम- यह पांच तरह के सकारात्मक नैतिक मूल्य हैं जिनमें अहिंसा, चोरी ना करना, चीजों का संग्रह न करना, सच बोलना और ईश्वर के प्रति निष्ठा रखने शामिल हैं।
- आसन- यह कुछ शारीरिक आसन है आज के समय में काफी प्रचलित हो रहे हैं यह आसान हमारे शरीर को स्वस्थ और लचीला रखने के लिए बनाए गए हैं। यह हमारे शरीर और मस्तिष्क को आराम देते हैं।
- प्राणायाम- यह सांसों से जुड़ा योग है जो मन की शांति, बेहतर स्वास्थ्य और पावर देता है।
- धारणा– यह एकाग्रता (Concentration) का पॉवरफुल अभ्यास है।
- ध्यान- इसके अंतर्गत ईश्वर का ध्यान करके विचारों से घिरे मन को स्थिर किया जाता है।
- प्रत्याहार– यह एक ऐसा योग जो जीवन के सभी उतार-चढ़ाव और चुनौतियों को लेकर हमारा नजरिया बदलता है। हमारे जीवन में जो कुछ भी घट रहा है यह उससे डिटैच होने में हमारी मदद करता है।
- समाधि- यह योग का उच्चतम स्तर है इसमें योगी अपने भीतर ईश्वर को महसूस करता है और उसके साथ संवादलीन रहता है। यह सुख और आनंद का सबसे अंतहीन स्तर है।

निष्कर्ष | Conclusion
दोस्तों इस आर्टिकल में हमने 4 Yogas of Hinduism के बारे में बात की और हिंदू धर्म के चार योग कर्म योग, भक्ति योग, राज योग और ज्ञान योग के बारे में जाना। इसके अलावा हमने महर्षि पतंजलि द्वारा बताए गए अष्टांग योग सूत्र के बारे में जाना और इसके आठ अंगों की चर्चा की। यदि आप भी अपनी मानसिक शांति की तलाश में हैं तो इन योगों को अपने जीवन में शामिल करें। इस आर्टिकल के बारे में अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में साझा करें और ऐसे ही जानकारी भरे आर्टिकल पढ़ने के लिए हमसे जुड़े।
4 Yogas of Hinduism: यहाँ देखें वीडियो
FAQ- 4 Yogas of Hinduism
4 Yogas of Hinduism कौन-कौन से हैं?
कर्म योग, ज्ञान योग, भक्ति योग, राजयोग 4 Yogas of Hinduism है।
कर्म योग का महत्व क्या है?
योग में व्यक्ति निस्वार्थ कर्म के माध्यम से ईश्वर की प्राप्ति करता है।
भक्ति योग को कैसे अपनाएं?
भक्ति योग में साधक भगवान की आराधना, पूजा-पाठ, मंत्र जाप इत्यादि के माध्यम से ईश्वर को प्राप्त करता है
अष्टांग योग की खोज किसने की थी?
अष्टांग योग की खोज महर्षि पतंजलि ने की थी। उन्होंने अपनी पुस्तक योग सूत्र में योग के आठ अंगों के बारे में बताया है।
अष्टांग योग के अनुसार योग की उच्चतम अवस्था क्या है?
अष्टांग योग के अनुसार योग के उच्चतम अवस्था समाधि है।