
Nag Panchami Mantra: हिंदू धर्म में सांप अर्थात नागदेवता को विशेष महत्व दिया जाता है। नागों को शक्ति, सुरक्षा, ज्ञान और पुनर्जन्म का प्रतीक कहा जाता है। ऐसे मे श्रावण माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी तिथि मनाई जाती है। इस दिन नाग देवताओं की पूजा कर उनसे कृपा की प्रार्थना की जाती है। कहा जाता है कि नाग पंचमी के दिन सर्प की पूजा करने से कालसर्प दोष, कुंडली के ग्रह दोष, संतान प्राप्ति जैसे दोषों से मुक्ति मिल जाती है।
नाग पंचमी के दिन पूजा करने पर आध्यात्मिक उन्नति की भी प्राप्ति होती है। आज के इस लेख में हम आपको इसी से जुड़ी विस्तारित जानकारी देंगे जहां हम बताएंगे नाग पंचमी के दिन कुछ ऐसे विशेष मंत्रों (Nag Panchami Mantra) के जाप का विधान जो आपको न केवल विभिन्न दोषों से मुक्ति देगा बल्कि आपकी आध्यात्मिक उन्नति भी सुनिश्चित करेगा।
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नाग पंचमी के दिन करें इन मन्त्रों का जाप
नाग मंत्र: मूल नाग स्तुति: नाग पंचमी के दिन यदि आप सर्प देवताओं का जाप करते हैं सर्प दोष, भय, रोग, शत्रु बाधा से छुटकारा मिलता है। यह मंत्र काल सर्प दोष मुक्ति के लिए भी बेहद प्रभावशाली है। यह मंत्र इस प्रकार से है-
ॐ नमः सर्वसर्पेभ्यः पशुपतिनाथाय नमः।
सर्पदोषनिवारणार्थं सर्वसर्पाणां तर्पणं करिष्ये॥”

अष्ट नाग स्तोत्र: नाग पंचमी के दिन आठ प्रमुख नाग अनंत, वास्तुकी, शेषनाग, पद्म, कंबल, शंखपाल, धृतराष्ट्र, तक्षक और कालिक की आराधना हेतु यदि आप इस मंत्र का जाप करते हैं तो आपके घर में शांति समृद्धि का आगमन होता है और रोग भय का नाश होते हैं। यह मंत्र इस प्रकार से है
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शङ्खपालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥”
महामृत्युंजय मंत्र: नाग पंचमी के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी न केवल मृत्यु के भय को दूर करता है बल्कि नाग के देवताओं को प्रसन्न करने का एक शक्तिशाली माध्यम भी है। यह मंत्र इस प्रकार से है
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥”
सर्प गायत्री मंत्र: सर्प गायत्री मंत्र उनके लिए है जिन्हें सपनों में सांप आते हैं या जो कालसर्प दोष से पीड़ित है। जिन्हें लगातार मानसिक तनाव और अनजान भय बना रहता है। वे लोग यदि इस मंत्र का जाप करते हैं तो उन्हें जीवन में तरक्की प्राप्त होती है और भय दूर हो जाते हैं ।
“ॐ फणिनाथाय विद्महे विषधराय धीमहि।
तन्नो नागः प्रचोदयात्॥”
सर्पशान्ति स्तोत्र: यह एक स्तुति मंत्र है जो नागों के अधिपति शेषनाग को समर्पित है। इस मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है कुंडलीनी जागृत करने के लिए भी इस मंत्र का जाप किया जाता है। यह मंत्र इस प्रकार से है
यः सर्पाणां पतिर्नित्यं सर्पदोष निवारकः।
तं वन्दे भुजगेशं च शेषनागं नमाम्यहम्॥”
कुंडलीनी शक्ति जागरण हेतु मंत्र: यह गुप्त मंत्र उन साधकों के लिए है जो नाग पंचमी के दिन योग साधना कर कुंडलीनी शक्ति को जागृत करना चाहते हैं। यह मंत्र आत्मिक शक्ति को जागृत करने में मदद करता है जिससे एकाग्रता में भी वृद्धि होती है। यह मंत्र इस प्रकार से है
ॐ नमः शेषनागाय कुंडलिनी रूपिणे स्वाहा॥”

इन मन्त्रो का जाप करते समय ध्यान रखने योग्य तथ्य
- इन मन्त्रो का जाप करने से पहले हमेशा शांत और एकांत जगह में बैठे।
- पूजन आरंभ करने से पहले नाग नागिन के जोड़े की पूजा करें।
- इसके पश्चात उन्हें कच्चा दूध चंदन पुष्प दुर्गा कुश अक्षत इत्यादि अर्पित करें।
- ध्यान रखें की जीवन में कभी भी किसी जीव को कष्ट ना पहुंचाएं।
कुल मिलाकर नाग पंचमी केवल कर्मकांड नहीं बल्कि प्रकृति के अदृश्य संरक्षक तत्वों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का भी एक विशेष दिन है। इस दिन यदि आप विशेष मन्त्रो (Nag Panchami Mantra) का जाप करते हैं तो न केवल आप विभिन्न ग्रह दोष, सर्प दोष शांत करते हैं बल्कि अपने लिए कुंडलिनी शक्ति को जागृत कर आध्यात्मिक चेतना की भी प्राप्ति कर सकते हैं।
FAQ- Nag Panchami Mantra
नागदेवता का मंत्र क्या है?
नाग देवता का मंत्र अथवा मूल नाग स्तुति “ॐ नमः सर्वसर्पेभ्यः पशुपतिनाथाय नमः। सर्पदोषनिवारणार्थं सर्वसर्पाणां तर्पणं करिष्ये॥” हैं। नाग पंचमी के दिन इस मंत्र जाप करने से सर्प दोष, भय, रोग, शत्रु बाधा से छुटकारा मिलता है। यह मंत्र काल सर्प दोष मुक्ति के लिए भी बेहद प्रभावशाली है।