ट्रिगर स्टैकिंग यानी तनाव का ज्वालामुखी कैसे बचाएं ख़ुद को ट्रिगर स्टैकिंग से

Trigger Stacking in Humans
Trigger Stacking in Humans

Trigger Stacking in Humans: इस आधुनिक जीवन में परिवार की चिंता, ऑफिस की टेंशन,  फाइनेंशियल प्रॉब्लम्स,  हेल्थ को लेकर टेंशंस ऐसी कई सारी चिंताएं हमारे जीवन में लगातार बनी रहती हैं। यह चिंताएं हमारे शरीर के साथ-साथ हमारे मन पर भी नकारात्मक असर डालती हैं। ऐसी चिंताओं को ट्रिगर कहा जाता है।

मनोविज्ञान में ट्रिगर्स उन परिस्थितियों कर्म या व्यवहार को कहा जाता है जो हमारे जीवन में तनाव को बढ़ा देते हैं। काम का बोझ ,जिम्मेदारियां का बोझ , रिश्तों का तनाव, आर्थिक चिंता, मानसिक तनाव इत्यादि कई तरह के ट्रिगर्स से हर किसी को दो चार होना पड़ता है। लेकिन जब ऐसे कई सारे ट्रिगर्स छोटे छोटे से अंतराल के बाद होते हैं तो उन्हें ट्रिगर स्टैकिंग कहते हैं।

ट्रिगर स्टैकिंग क्या है और क्यों है हानिकारक

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि कई सारे तनावों का धीरे-धीरे करके जमा होना ट्रिगर स्टैकिंग कहलाता है।और यह खतरनाक क्यों होता है, इसे इस उदाहरण से समझें। तरह तरह के तनाव से उत्पन्न ट्रिगर लावा की तरह होते हैं और जब वो जमा होते जाते हैं तो उसके परिणाम स्वरूप इंसान का धैर्य समाप्त हो जाता है और उसके व्यवहार में एक तरह का विस्फोट होता है। जिसके कारण वो गुस्से में सबसे ज्यादा अपना नुकसान कर बैठता है।

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ट्रिगर स्टैकिंग में इंसान जिस चीज पर फटता है वो बहुत छोटी सी चीज हो सकती है लेकिन उसके पीछे इतना लंबा ट्रिगर्स का भंडार होता है कि सारा ज्वालमुखी उसी छोटे ट्रिगर पर फूट जाता है। इसलिए अगर हम इस ट्रिगर स्टैकिंग को खाली करना सीख जाते हैं तो गुस्से में अपना व अपने प्रियजनों का नुकसान करने से बच सकते हैं।

ट्रिगर स्टैकिंग को कैसे पहचाने इसके लक्षण 

ट्रिगर स्टैकिंग के लक्षणों की बात की जाए तो इसमें सबसे जरूरी बात यह है कि जब इंसान बहुत सारे तनाव एक साथ झेल रहा होता है, तब उनका भंडार हमारे मस्तिष्क, हमारे विचारों में लगने लगता है।

ऐसी परिस्थिति में अक्सर हमें एक फीलिंग आती है कि “अब बस बहुत हुआ, अब तो ये खत्म ही करना होगा “ इस फीलिंग के साथ जो गुस्सा मिला होता है उसे हमें समझना होगा। 

क्या यह गुस्सा बस कुछ देर तक रहा या यह गुस्सा किसी समस्या से निकलने के बाद भी बना रहा, क्या बेकाबू होकर एकदम से फट जाने का विचार लगातार आ रहा है?  अगर यह मानसिक विचार नियमित रूप से बना रह रहा है तो इसका मतलब आपकी बहुत सारी ट्रिगर्स स्टेक होकर आपके अंदर जमा हो रखे हैं। अगर समय रहते इससे निपटा नहीं गया तो किसी भी दिन तनाव का यह ज्वालामुखी फट सकता है।

Symptoms of Trigger Stacking
Symptoms of Trigger Stacking

आइए इसके कुछ समझ में आने वाले लक्षणों को समझते हैं – 

  • छोटी-छोटी बात पर गुस्सा आना
  • चिड़चिड़ापन बढ़ना
  • नींद न आना या ज्यादा सोना
  • खाने- पीने की आदतों में अनियमितता 
  • काम में ध्यान न लगना
  • अचानक रो पड़ना या चुप हो जाना

ट्रिगर स्टैकिंग का सटीक उदाहरण 

ट्रिगर स्टैकिंग सिर्फ इंसानों में नहीं बल्कि जानवरों में भी पाई जाती है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण पालतू कुत्ते होते हैं।  मान लीजिए एक कुत्ता बहुत शांत रहता है। वह बहुत ही मिलनसार है। लेकिन एक सुबह उसकी नींद किसी शरारती बच्चे के पटाखे फेंकने की वजह से खुल जाती है। फिर उसी दिन कोई बाहरी कुत्ता आकर उससे लड़कर उसका खाना छीन लेता है।

शाम को जब वह मालिक के साथ बाहर घूमने जाता है तो ट्रैफिक का शोर बहुत ज्यादा होता है, जो उसे और ज्यादा चिड़चिड़ा कर देता है। अब यही कुत्ता जब देर शाम को घर में बैठा होता है, तब कोई अजनबी आकर उससे छेड़खानी करने लगता है तो वह कुत्ता उस अजनबी को बहुत भयंकर काटता है। यह कुत्ता ऐसा क्यों करता है क्योंकि उसकी सहनशीलता जवाब दे जाती है। 

सुबह पटाखा फटने से लेकर होने वाली छोटी-छोटी घटनाएं उसके लिए छोटे-छोटे ट्रिगर्स बन जाते हैं जो आखिरी में जाकर उस अजनबी के छूने पर ज्वालामुखी की तरह फूट जाते हैं। लोग इसे समझ नहीं पाते हैं और वह अक्सर कहते पाए जाते हैं – “पता नहीं हमारे कुत्ते ने आपको कैसे काट लिया जबकि हमारा कुत्ता तो बहुत ही सीधा है।” यह ट्रिगर स्टैकिंग का सबसे अच्छा उदाहरण है।

How to Manage Trigger Stacking
How to Manage Trigger Stacking

कैसे निपटें ट्रिगर स्टैकिंग से

अपने रेड फ्लैग पहचानें; ऐसे कार्य जिसे आपको तनाव या चिड़चिड़ापन होता है। उन्हें ख़ुद ही पहचानिए। उन्हें नजर अंदाज न करें।

रेड फ्लैग से निपटने को लें छोटे छोटे ब्रेक: एक बार आपको समझ में आ गया कि कौन से लोग, काम, चीजें, जगहें आपके तनाव का कारण हैं। यानि जो आपके लिए रेड फ्लैग हैं उनके बारे में आप जागरूक हो गए, फिर चीजें आसान हो जाती हैं।  आपको इन लोगों ,चीजों , कार्यों से निपटते हुए छोटे-छोटे ब्रेक लेने हैं।

इसका मतलब यह है कि आपको एक लंबे समय तक इन रेड फ्लैग को अपने दिमाग में जगह नहीं देनी है। इसे ऐसे समझे जैसे हम बचपन में क्लास में होते हुए भी उन चीजों के बारे में सोचते थे जिनमें हमारा मन लगता था। ठीक वैसे ही रेड फ्लैग से डील करते हुए हमें उन चीजों के बारे में सोचना है जो हमारे लिए पॉजिटिवली काम करती हैं।

स्ट्रेस मैनेजमेंट तकनीक: इस तकनीक के अंतर्गत हम ध्यान, माइंडफुलनेस, प्रार्थना जैसी चीजों को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लेते हैं। जिससे हमारे चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है।

नींद पूरी लेना और ट्रिगर को समझकर रिएक्ट करना: हम किसी पर यूं ही नहीं फट जाते हैं। हमारे गुस्से के पीछे बहुत सारे लॉजिक होते हैं और अगर हम उन्हें समझ लेंगे तो तो खुद को नुकसान पहुंचने से बच सकते हैं।  इसलिए सबसे जरूरी चीज है पूरी नींद लेना। 

अगर इंसान की नींद पूरी नहीं होगी तो उसके रेड फ्लैग उसे और ज्यादा ट्रिगर करेंगे। इसलिए पूरी नींद लें। साथ ही यह ध्यान रखें कि अगर आपको पता है कि आपका रेड फ्लैग क्या है ,तो उन जगहों पर आपको कम से कम रिएक्ट करना है या ना के बराबर उन पर ध्यान देना है।

प्रोफेशनल हेल्प लेना: कोशिश करें कि आप अपने आसपास एक छोटा सा ग्रुप बनाकर रखें जहां आप अपने रेड फ्लैग, ट्रिगर्स से जुड़ी चीजें डिस्कस कर सकें। फिर भी अगर गुस्से का यह ज्वालामुखी लगातार फूट रहा है और यह आपको बेहद चिड़चिड़ा बनाता जा रहा है तो प्रोफेशनल हेल्प लेने से हिचकिचाएं नहीं।

कुछ जरूरी टिप्स

  • अपने व्यवहार में एक पॉज बटन क्रिएट करें, जहां कोई एक्सट्रीम रिएक्शन देने से पहले आप खुद को रोकें और उस बारे में कुछ सेकंड विचार करें। उसके बाद अपना रिएक्शन दें, यह पॉज बटन आपके ट्रिगर को रोकने के लिए बहुत कारगर साबित होगा।
  • आप अपनी दिनचर्या का एक रूटीन बना ले और उसमें से ऐसे वक्त/ लोगो को ध्यान में रख कर चले जहां रेड फ्लैग से ट्रिगर होने की संभावना ज्यादा होती है। इससे कई बार आपको यह पता रहेगा कि आपको किन जगहों/ लोगों से ट्रिगर ज्यादा मिल रहे हैं जिससे आप उनसे आसानी से डील कर सकते हैं।
  • सबसे जरूरी बात आपकी मानसिक शांति आपके लिए बेहद जरूरी है। उसे किसी और को खराब करने ना दें। अपने मन के विचारों को स्वयं ही नियंत्रित करें।
  • अपने ग्रुप के साथ मिलकर ऐसी कई सारी चीजों पर खुलकर चर्चा कर लें। जिससे आप सभी पहलुओं पर बात करके इन ट्रिगर्स को अच्छे से समझ पाएंगे।

इन टिप्स को अपनाने के बाद आप पाएंगे कि गुस्से में भी आप कितने नियंत्रित और संयमित हैं। अगर हम अपने और दूसरों के ट्रिगर्स को पहचान लें,रेड फ्लैग पर ध्यान दें, तनाव का मैनेजमेंट कर पाएं ,तो न केवल ट्रिगर स्टैकिंग को रोक सकते हैं बल्कि एक संतुलित और शांतिप्रिय जीवन जी सकते हैं।

FAQ- Trigger Stacking in Humans

मनुष्यों में ट्रिगर स्टैकिंग क्या है?

विभिन्न तनावों से उत्पन्न ट्रिगर लावा की तरह होते हैं, और जब ये जमा हो जाते हैं, तो व्यक्ति का धैर्य खत्म हो जाता है और उसका व्यवहार विस्फोटक हो जाता है। इससे क्रोध उत्पन्न होता है, जिससे उसे सबसे ज़्यादा नुकसान होता है।

Anu Pal

मैं अनु पाल, Wisdom Hindi ब्लॉग की फाउंडर हूँ। मैं इंदौर मध्य प्रदेश की रहने वाली हूं। मैं एक ब्लॉगर और Content Writer के साथ-साथ Copy Editor हूं और 5 साल से यह काम कर रही हूं। पढ़ने में मेरी विशेष रूचि है और मैं धर्म, आध्यात्म, Manifestation आदि विषयों पर आर्टिकल्स लिखती हूं।

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